21 जून 2025 को 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय सेना ने पूरे देश और विदेश में योग का अद्वितीय प्रदर्शन किया। बर्फ से ढकी सियाचिन की ऊंची चोटियों से लेकर समुद्री तटों, रेगिस्तान और विदेशी धरती तक, जवानों ने एकसाथ योग कर भारतीय संस्कृति, अनुशासन और मानसिक शक्ति का परिचय दिया।
भारत की सीमाओं के भीतर ही नहीं, बल्कि विदेशों में तैनात सैनिकों ने भी स्थानीय और विदेशी सैनिकों के साथ मिलकर योग किया। मंगोलिया में चल रहे “खान क्वेस्ट” और फ्रांस में “अभ्यास शक्ति” जैसे अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यासों के दौरान योग की गूंज सुनाई दी। इससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर नई ऊंचाई मिली।
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों के साथ योग किया। उन्होंने योग को न केवल तनाव से लड़ने, बल्कि युद्ध क्षमता को बेहतर बनाने का साधन बताया।
दिल्ली के करिअप्पा परेड ग्राउंड में 3,400 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें सैनिकों के परिवार, स्कूली छात्र, एनसीसी कैडेट्स और 25 देशों के सैन्य अधिकारी शामिल रहे। कार्यक्रम की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने की।
सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि International Yoga Day 2025 सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि योग को रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल करने का संकल्प है। ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ को अपनाते हुए भारतीय सेना ने फिर साबित किया कि योग अब उनकी शक्ति और संस्कृति दोनों का हिस्सा बन चुका है।
