रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में उस समय सनसनी फ़ैल गई, जब पोर्च पर एक चमचमाती सफ़ेद सरकारी गाड़ी में सवार अंतरराष्ट्रीय सट्टा सर्विस के आईजी उतरते नजर आये। पोर्च पर खड़े वाहन से उतरते ही उनके कदम पहले अपने कक्ष और फिर सीधे एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्शन की ओर बढ़ते चले गए। बताते है कि पुलिस मुख्यालय में आमद दरज करने के चंद मिनटों बाद ही छाबड़ा को आनन-फानन में सीढ़ियों से नीचे उतरते देखा गया। फिर किसी से नजर मिलाये पोर्च में खड़े उसी वाहन में सवार हो कर वे चलते बने। इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस मुख्यालय में गहमा-गहमी भी देखी गई।
सूत्र तस्दीक करते है कि पुलिस मुख्यालय के कक्ष विशेष में भी सीबीआई के छापे के अंदेशे के चलते दागी आईपीएस अधिकारियों ने अपने स्टाफ को सतर्क कर दिया है। उनके कक्ष में मौजूद कंप्यूटर, लेपटॉप और अन्य सामग्रियों को पाक-साफ कर यथा स्थान पर सुरक्षित कर दिया गया है। यह भी बताया जा रहा है कि आईजी छाबड़ा ने अपने कक्ष में हफ्तेभर पहले से साफ-सफाई अभियान शुरू करवाया था। उसके समापन के मौके पर उन्होंने जिस तेजी से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और उल्टे पांव भाग खड़े हुए, नजारा देख कर अटकलों का बाजार गर्म बताया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय सट्टा सर्विस के आईजी और प्रदेश के तत्कालीन महादेव ऐप सट्टा प्रभारी 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा को पुलिस मुख्यालय में बदहवास हालत में दौड़ते-भागते देख कर मौके पर मौजूद कई पुलिस कर्मियों ने हैरानी जताई है। घटनाक्रम बुधवार का बताया जाता है। बताते है कि हैरान परेशान नजर आ रहे आनंद छाबड़ा ने अचानक नवा रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। लेकिन चंद मिनटों बाद उल्टे पांव वापस भी लौट गए।
स्टाफ सूत्रों के मुताबिक पिछले लंबे दिनों से छुट्टियों में चल रहे आनंद छाबड़ा ने ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए दस्तक दी थी। आमद-दरज करते ही उनका फ़ोन घन-घना उठा, बातचीत के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने के मामले में उन्होंने अचानक अपने हाथ पीछे खींच लिए। टेबल पर ही एक बार फिर लंबी छुट्टी का आवेदन देकर वे चलते बने। सूत्रों के मुताबिक इस घटनाक्रम से पूर्व छाबड़ा ने कक्ष का हाल-चाल जाना और स्टाफ को कुछ हिदायतें भी दी। पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा से लेकर उनके कक्ष के आस-पास छाबड़ा की चहल-कदमी चर्चा का विषय बनी हुई है।
डीजी प्रशासन के कार्यालय और खुद के कक्ष का हालचाल जानकर ड्यूटी ज्वाइन करने के बजाय अचानक उनका फ़ौरन वापस लौट जाना संदेह के दायरे में देखा जा रहा है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि सीबीआई के छापे की जद में आये आईपीएस अधिकारियों ने अपने कार्यालय के कक्षों में इस्तेमाल होने वाले डिजिटल उपकरणों को पाक-साफ कर फिर से अपनी कुर्सी जमा ली है। दागी अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद उनके कर्तव्य स्थलों में भी जांच-पड़ताल का अंदेशा जाहिर किया जा रहा था।
बताते है कि हफ्तेभर तक ऐसे आईपीएस अधिकारियों के दफ्तरों में साफ-सफाई का कार्य जारी रहा। हालांकि ना तो यहाँ सीबीआई ने दस्तक दी और ना ही अन्य किसी सरकारी एजेंसी ने अपने पैर पसारे। हालिया घटनाक्रम को ‘चोर की दाढ़ी’ में तिनका करार दिया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक नया रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में आनंद छाबड़ा ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। दरअसल, पिछले कई दिनों से वे मेडिकल कारणों से छुट्टी पर थे।
एक जानकारी के मुताबिक छुट्टियां ख़त्म होने पर ड्यूटी पर उपस्थित होने की मंशा के साथ छाबड़ा पुलिस मुख्यालय में उपस्थित भी हुए। लेकिन अचानक फैसला बदलते हुए एक बार फिर वे लंबी छुट्टी का आवेदन थमा कर चलते बने। यह जानकारी भी सामने आई है कि पुलिस मुख्यालय में अपने कक्ष की साफ-सफाई का जायजा लेने के बाद छाबड़ा ने अपने विश्वासपात्र कर्मियों के समक्ष संतोष जाहिर किया और कुछ हिदायते देने के बाद एक बार फिर अपने अगले गंतव्य की ओर रवाना हो गए थे।
उधर यह भी जानकारी सामने आई है कि दागी आईपीएस अधिकारियों के स्थानीय ठिकानों-आवास के अलावा उनके पैतृक इलाकों में भी सीबीआई की जांच-पड़ताल तेज हो गई है।छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप सट्टा घोटाले की छानबीन के दौरान सीबीआई ने 4 आईपीएस, 2 ASP समेत दर्जनभर पुलिस कर्मियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। बताते है कि सीबीआई की हालिया छापेमारी के बाद इन अफसरों के पुलिस मुख्यालय स्थित कक्षों में भी जांच पड़ताल का अंदेशा बना हुआ था।
हफ्तेभर से जारी साफ-सफाई का दौर ख़त्म होने के बाद छाबड़ा समेत अन्य अधिकारी अब राहत की सांस ले रहे है। भूपे राज में छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय राजनीति का अखाड़ा बन गया था। 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ की अगुवाई में राजनैतिक हस्तक्षेप से कई योग्य और ईमानदार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को ठिकाने लगा दिया गया था।
पुलिस मुख्यालय का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के बाद शेख आरिफ, छाबड़ा समेत कई पुलिस कर्मियों ने एक गिरोह बना कर महादेव ऐप सट्टा कारोबार की नींव रखी थी। सीबीआई अब इस नींव पर रखी गई अवैध कारोबार की ईमारत को जमींदरोज करने में जुटी हुई है। उधर दागी अफसर अपने बचाव में हाथ पैर मारते नजर आ रहे है। प्रदेश में सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथों में आने के बाद दागी पुलिस अधिकारियों को रायपुर मुख्यालय से दूर-दराज के इलाकों स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन यह स्थानांतरण सिर्फ औपचारिक साबित हुआ। चंद महीनों बाद ही तमाम प्रभावशील अधिकारी पुनः रायपुर में जम गए।
एक जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने आईपीएस प्रशांत अग्रवाल पुलिस उपमहानिरीक्षक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल बस्तर में वर्तमान में पदस्थ है। आईपीएस आनंद छाबड़ा को अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ एवं प्रशिक्षण के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) नियुक्त किया गया था। आईपीएस शेख आरिफ को पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ), सरगुजा स्थानांतरित किया गया था। जबकि 2004 बैच के आईपीएस अजय यादव पुलिस मुख्यालय रायपुर में पदस्थ है। हालांकि अजय यादव का नाम भी महादेव ऐप सट्टा घोटाले के लाभार्थियों में दर्ज है।
अन्य 4 आईपीएस और 2 ASP की तर्ज पर प्रतिमाह उन्हें लाखों का भुगतान होता था। ED ने उनके खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही के लिए EOW को निर्देशित किया था। हालांकि सीबीआई की छापेमारी व अन्य जांच प्रक्रिया-तफ्तीश से अजय यादव अछूते बताये जा रहे है। उधर महादेव ऐप सट्टेबाजी में लिप्त छाबड़ा समेत अन्य अधिकारियों की ओर से क़ानूनी प्रक्रिया को लेकर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने दागी पुलिस अफसरों पर वैधानिक कार्यवाही को लेकर DGP से संपर्क किया। लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं मिल पाया।