नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत निर्वाचन आयोग देश के कई राज्यों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करने जा रहा है। आयोग ने सबसे पहले बिहार को इस प्रक्रिया में शामिल किया है, जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।
बिहार में 2003 के बाद पहली बार विशेष गहन पुनरीक्षण किया जाएगा। आयोग का कहना है कि शहरीकरण, जनसंख्या में बदलाव, युवा मतदाताओं की बढ़ती संख्या और अवैध प्रवासियों की उपस्थिति जैसे कारणों से यह कदम जरूरी हो गया है। इस प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाता जानकारी का सत्यापन करेंगे।
इसके साथ ही 2026 में चुनावों वाले पांच राज्यों — असम, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल — में भी वर्ष के अंत तक यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल मई-जून 2026 तक समाप्त हो रहा है।
सत्यापन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आयोग ने नई व्यवस्था की है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो हाल ही में राज्य में आए हैं या जिनकी नागरिकता संदिग्ध हो सकती है, उनके लिए घोषणा फॉर्म और दस्तावेजों की अनिवार्यता तय की गई है।
फॉर्म में आवेदक को यह साबित करना होगा कि उसका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में हुआ था या फिर 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच भारत में जन्मे माता-पिता से उनका संबंध है।
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पूरी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के तहत की जा रही है।
