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Inflation: महंगाई उफान पर, मौसम की मार के बाद छह महीने में महंगे हुए आलू-प्याज और टमाटर, दाल – चावल भी अब ऊंची दुकानों पर, चुनाव के बाद क्या हर साल ऐसे ही आसमान छूती है कीमते, घर – घर के किचन में उछाल, गृहणियां बेहाल…… 

नई दिल्ली: Inflation: देशभर में अचानक खाद्यान्न सामग्रियों की कीमते आसमान छू रही है। कई उपभोक्ता कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमते बढ़ा दी है। उनके प्रोडक्ट में नए दाम चौंकाने वाले है, अधिकतम कीमत के तो क्या कहना, दाम देखकर ही ग्राहकों का पसीना छूट रहा है। सबसे ज्यादा मुसीबत उन महिलाओं की है, जिनके हाथों में घर खर्चों की बागडोर है। वे तस्दीक करती है कि चुनाव के पहले उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें और चुनाव के बाद उनकी नई दरों ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। यकीन ही नहीं होता कि खाद्यान्न सामग्री की कीमतें नियंत्रित करने की दशा में केंद्र और राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा  रही है।

पीड़ित महिलाओं के मुताबिक जिस खर्च में माह – दो माह पहले तक भरपेट भोजन कर लेते थे, अब वो बमुश्किल 15 दिनों तक ही चल पाता है। ऐसे में गुजर बसर करना मुश्किल हो रहा है, जबकि घर के सदस्यों की औसत आय स्थिर है। ऐसी महिलाएं सवाल खड़ा कर रही है कि चुनाव के बाद क्या हर साल ऐसे ही कीमते आसमान छूती है ? आखिर क्यों सरकार और विपक्षी दल इन मुद्दों को राजनैतिक क़वायतों में गुजार देते है, जबकि आम जनता को कोई राहत नहीं मिल पाती। एक बार कीमतें बढ़ी तो फिर कम होने का नाम नहीं लेती है।

केंद्र और राज्यों में किसी भी दल की सरकार हो, लेकिन महंगाई को नियंत्रित करने में उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे है। वही दूसरी ओर महंगाई का मुँह ‘सुरसा’ के मुँह की तर्ज पर लगातार बढ़ते जा रहा है। आम घर परिवार उसके मुँह में समा रहे है। इस खबर को आप पढ़ना शुरू करें उससे पहले अपने घर के बजट पर भी गौर फरमा ले। बीते छह माह में खाद्यान्न और उपभोक्ता सामग्री के खर्चों में लगभग दोगुने से कुछ कम उछाल दर्ज ही होगा।

साग – सब्जियों आलू, प्याज, टमाटर, दाल- चावल, तेल के अलावा दैनिक उपयोग में आने वाली अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की जुलाई माह की कीमतों और उससे पूर्व के महीनों में उन उत्पादों की कीमतों की तुलना करे तो प्रति उत्पाद 3 से 20 रुपये तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई हैं। जबकि सरकारी आंकड़े कुछ और कहानी बयां कर रहे है। उनकी कीमतें बाजार भाव की तुलना में काफी नरम नजर आ रही है। हालांकि ये कीमतें जुलाई महीने में देशभर में ये सब्जियां जिस दाम पर बिक रही हैं उसका औसत है।  

उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक 16 जुलाई को देश में टमाटर सबसे महंगा जहां बिका वहां इसकी कीमत 127 रुपये किलो रही। इसी तरह जहां यह सबसे सस्ता है वहां ये 24 रुपये किलो बिका। पूरे देश का औसत लें तो 16 जुलाई को टमाटर औसतन 69.86 रुपये/किलो बिका। ऐसे ही जुलाई महीने की औसत कीमत लें तो यह 61.66 रुपये/किलो है। इसलिए आपको ऊपर के चित्र में जो आंकड़े दिख रहे हैं वो आपके इलाके में मिल रहे टमाटर की कीमत से अलग हो सकते हैं। ऐसे ही बाकी सब्जियों का हाल है। अब खबर पर आ जाते हैं।

सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। टमाटर के दाम कई राज्यों में शतक लगा चुके हैं तो प्याज भी कई जगह 80 के आंकड़े को छू रही है। आलू के दाम में भी एक महीने में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है। दामों के इस इजाफे के चलते जून में थोक महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कीमतों में इस इजाफे के लिए मौसम को दोष दिया जा रहा है। मई में कीमतों में इजाफा शुरू हुआ तो कहा गया ज्यादा गर्मी के कारण फसल खराब हो रही इसलिए ऐसा महंगाई है। जून में कहा गया कि ज्यादा बरसात होने की वजह से फसल खराब हो रही इसलिए ऐसा हो रहा है।

ऐसे में सवाल उठता है कि हिन्दुस्तान में हर साल मई जून में मौसम कुछ इसी तरह का रहता है तो क्या हर साल मई-जून में आलू, प्याज टमाटर के दाम इसी तरह बढ़ते हैं? देश के कई हिस्सों में जनवरी-फरवरी में भीषण ठंड भी पड़ती है उस वक्त कीमतें कैसी रहती हैं? बीते तीन साल में जनवरी से जुलाई के दौरान आलू, प्याज टमाटर की कीमतों के इजाफे का क्या ट्रेंड रहा है? इस दौरान मौसम कैसा रहा है? एक मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दाल 100 रुपये से कम में मिल रही है, जबकि दुकान जाने पर पता पड़ता है कि दाल का भाव 140 रुपये प्रति किलों सबसे न्यूनतम है।

उच्च गुणवत्ता की दाल की कीमतें पहले इसी दर पर उपलब्ध थी। लेकिन अब वे 180 रुपये प्रति किलों का आंकड़ा छू रही है। स्थानीय बाजार में साग – सब्जियों के दाम में आग लगी है। हकीकत से रूबरू होना हो तो अपने इलाके के गली मौहल्लो में फुटपात पर लगने वाले बाजारों का रुख कर ले। सरकारी दामों और उसकी असलियत का अंतर कीमतों में रोजाना आ रही, उछाल को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है।

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