नई दिल्ली: स्विट्जरलैंड में बसे भारतीय मूल के उद्योगपति पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल पिछले कई दिनों से युगांडा पुलिस की हिरासत में हैं। युगांडा से बेटी को रिहा कराने के लिए पंकज ने संयुक्त राष्ट्र संघ एवं युगांडा के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। इसके जरिए उन्होंने कहा है कि उनकी बेटी को बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है और परिवार के सदस्यों से भी उनको मिलने नहीं दिया जा रहा।
जानकारी के अनुसार 1 अक्तूबर को वह युगांडा में अपने औद्योगिक प्लांट का दौरा कर रही थी तो उनको कुछ हथियारबंद लोगों ने बिना किसी वारंट और कानूनी दस्तावेज के अवैध तौर पर हिरासत में ले लिया। बताया जा रहा है कि वसुंधरा के साथ उनके कुछ साथियों को भी हिरासत में रखा हुआ है। वसुंधरा के पिता का दावा है कि उन्हें झूठे आरोप लगा कर फंसाया गया है। अधिकारियों का दावा है कि यह मामला एक लापता व्यक्ति से संबंधित जांच पर आधारित है।
पंकज ओसवाल का दावा है कि यह मामला कंपनी के एक पूर्व कर्मी की ओर से दो लाख डाॅलर का ऋण लेने से संबंधित है। परिवार का दावा है कि कर्मी ने इसे चुकाने से मना कर दिया और अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों से बचने के लिए वसुंधरा पर झूठे आरोप मढ़ दिए।
वसुंधरा का जन्म 1999 में हुआ था और वह ओसवाल ग्रुप ग्लोबल के संस्थापक परिवार से ताल्लुक रखती है। वसुंधरा युगांडा में पीआरओ इंडस्ट्रीज की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। पंकज ओसवाल ने उनकी बेटी को अवैध तौर पर हिरासत में रखने के आरोप लगाए हैं। ओसवाल परिवार ने बेटी की रिहाई के लिए भारत सरकार के अलावा यूनाइटेड नेशन्स वर्किंग ग्रुप से भी सहयोग की मांग की है। अब मामला सामने आने के बाद युगांडा सरकार ने भी वसुंधरा को कानून सहयोग देने का आवश्वासन दिया है।