सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के 36 हजार करोड़ के नान घोटाले की सुनवाई करीब आते ही आखिर क्यों शुरू हो जाती है ? अडानी के कोल ब्लॉक के लिए अंधाधुंध पेड़ो की कटाई ,सड़को पर आदिवासी ,सरकार मौन ?

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दिल्ली /  अंबिकापुर : छत्तीसगढ़ के सरगुजा से हैरान करने वाली खबर आ रही है| यहाँ अडानी के कोल ब्लॉक खोलने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है | सरगुजा के हसदेव अरण्य में बड़े पैमाने पर पेड़ो की कटाई की जा रही है | यहाँ कोयला निकालने के लिए जंगल को तबाह किया जा रहा है | यहाँ बसे आदिवासियो ने अवैध रूप से कट रहे पेड़ो को बचाने की मुहीम शुरू की है | जंगल बचाने ,अवैध रूप से पेड़ काटने के विरोध में सैकड़ो आदिवासियों को पुलिस हिरासत में ले रही है | इस इलाके के सभी 15 गांव में ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन शुरू कर दिया है |

वही विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार भी एड़ी -चोटी का जोर लगा रही है | उसके रवैये से आदिवासी हैरत में है | सरगुजा का हसदेव अरण्य इलाके में कोयले के कई भण्डार है | सरगुजा जिले के वन अधिकारी और प्रशासन आदिवासियों को जंगल छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे है | 

इस इलाके के डीएफओ पंकज कमल का कहना है कि आदेश में हसदेव अरण्य क्षेत्र के 43 हेक्टेयर पर 8000 पेड़ कटने हैं. मई में 100 पेड़ काटे जा चुके हैं. बाकी के लिए आदेश नहीं मिला है | फिर भी सरकार के निर्देशानुसार ग्रामीणों की असहमति के बावजूद पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है | गंभीर तथ्य यह है कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव की सारी खदानों के आबंटन को रद्द करने का संकल्प पारित किया था,इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट में नान घोटाले की 12 अक्टूबर 2022 को होने वाली सुनवाई से पहले ही परसा कोल ब्लॉक को खोलने के लिए बघेल सरकार सक्रिय हो गई है |

इसके पहले तक मुख्यमंत्री बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग को लेकर आदिवासियों के बीच चर्चित रहे है | लेकिन सुप्रीम कोर्ट में राज्य के बहुचर्चित नान घोटाले की सुनवाई के सिर पर होने के चलते दोनों ही नेताओ का यू-टर्न प्रभावित आबादी बखूबी देख रही है | उनका मौन गौरतलब बताया जा रहा है|आदिवासी पूंछ रहे है कि अडानी का नाम आते ही आखिर क्यों मुख्यमंत्री बघेल अपने वादों से “यू-टर्न” ले रहे है | उन्हें अंदेशा है कि अडानी और कांग्रेस के बीच भी अब कोई समझौता हो चूका है ,जिसे सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के मद्देनजर “तू डाल डाल तो मैं पात पात” की तर्ज पर क्रियान्वित किया जा रहा है |  

चर्चा है कि नान घोटाले के आरोपियों ख़ासतौर पर उद्योग विभाग के मौजूदा कर्ताधर्ता आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा अपने बचाव के लिए अडानी के शरण में है | जांच एजेंसियों से बचने के लिए वो अवैधानिक तौर पर अडानी के कोल ब्लॉक को खोलने के लिए अपने पद और अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे है बदले में “दिल्ली लॉबी” कोर्ट कचहरी के मामलों में उनका ध्यान रख रही है | इस बारे में भविष्य में बड़े खुलासे का इंतेज़ार किया जा रहा है | 

बता दें कि राज्य सरकार ने बीते 6 अप्रैल 2022 को सरगुजा जिले में परसा ईस्ट एवं कांते बेसन कोल माईन फेज टू के विस्तार को आधिकारिक मंजूरी दे दी थी. दोनों कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आबंटित है. एमडीओ के जरिए अडानी ग्रुप को खनन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पिछली बार कोल खनन के लिए पेड़ो की कटाई का जबरदस्त विरोध हुआ था | आरटीआई कार्यकर्ताओ के अलावा कई प्रभावितो ने पर्यावरण संतुलन और सरंक्षण की मांग को लेकर अदालत का रुख किया है |

मामले से जुडी जनहित याचिकाएं बिलासपुर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है | ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी मामले की सुनवाई जारी है ,बावजूद इसके इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर आधुनिक मशीनों के जरिए पेड़ो की अंधाधुंध कटाई शुरू कर दी गई है | इसका विरोध करने वालो को ठिकाने लगाया जा रहा है | हालत यह है कि आदिवासी समुदाय के लगभग सभी बड़े नेता ,विधायक ,मंत्री ,सांसद हर कोई इस मामले में चुप्पी साधे हुए है |

अडानी का नाम सुनते ही उनकी जुबान हलक में अटक जाती है | सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के नेताओ का भी यही हाल है | कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की हालत तो और भी ख़राब बताई जाती है | राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस के भीतर मरकाम की दावेदारी काफी मजबूत मानी जाती है | लेकिन आदिवासियों के जायज मुद्दों से वे बड़ी चालाकी से किनारा करते नजर आ रहे है | 

इन दिनों वे राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर एक अन्य यात्रा निकाल रहे है | ये यात्रा परसा कोल ब्लॉक से प्रभावित इलाको के बजाए उन इलाको में जा रही है जहा शांति छाई हुई है | परसा ब्लॉक की तरह जहाँ आदिवासी सड़को पर नहीं बल्कि अपने घरो में चैन की बंशी बजा रहे है | सूत्र बताते है कि मरकाम ऐसे खौफ खाए है कि अपनी ही कांग्रेस सरकार से यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है कि आखिर क्योँ सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक विस्तार के लिए हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है ? जबकि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने 2018 विधानसभा चुनाव में यहाँ के आदिवासियों से वादा किया था कि पेड़ो की कटाई नहीं होगी |

उनकी सरकार आने पर इस कोल् ब्लॉक की पर्यावरण स्वीकृति रद्द की जाएगी | यही नहीं हाल ही में राहुल गाँधी ने लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हसदेव अरण्य पर एक छात्रा की तरफ से पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए आदिवासियों के हिमायती होने का दावा किया था |

उन्होंने मामले की सुध ली और इन्साफ पर जोर दिया था | लेकिन छत्तीसगढ़ के 36 हजार करोड़ के नान घोटाले की सुप्रीम कोर्ट में निर्याणक बहस के दौरान एक बार फिर हसदेव अरण्य में पेड़ो की कटाई जोरो पर है | लंदन में इस मामले पर राहुल गाँधी का टवीट देखिए | 

यह पहला मौका नहीं है जब यहाँ कोयला निकालने के लिए मुख्यमंत्री बघेल सरकार जोर आजमाईश में जुटी है | बल्कि प्रदर्शनकारी आदिवासियों का खुला आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में जब-जब “नान घोटाले” की सुनवाई की तिथि करीब आती है , परसा कोल ब्लॉक चालू कराने को लेकर बघेल सरकार सक्रिय हो जाती है | प्रदर्शनकारी आदिवासियों का यह आरोप खोखला नहीं है | वे तिथिवार सुप्रीम कोर्ट में नान घोटाले की सुनवाई का ब्यौरा और परसा कोल ब्लॉक बेसिन को शुरू करने के लिए बघेल सरकार के द्वारा उठाए जा रहे कदमो का ब्यौरा सार्वजानिक कर रहे है |

उनका यह भी आरोप है कि नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा अपने बचाव के लिए हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक योजना को अवैध रूप से अमली जामा पहना रहे है | उनकी मांग है कि मुख्यमंत्री बघेल का यह अफसर बतौर उद्योग विभाग के सचिव के पद का इस्तेमाल अपने बचाव में कर रहा है | वो कही ना कही कोर्ट केस को मैनेज करने के लिए अपने पद,अधिकार और प्रभाव का इस्तेमाल अडानी के कोल ब्लाकों को अनुचित लाभ दिलाने के लिए बेजा इस्तेमाल करने के दायरे में है | जांच एजेंसियों को यह मामला भी संज्ञान में लेना चाहिए |

दरअसल आदिवासी इस लिए भड़के हुए है, क्योंकि पहले राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस सरकार फिर टीएस सिंहदेव ने आदिवासियों के साथ किये गए अपने वादों से एक से अधिक बार यु-टर्न लिया है |

फिलहाल छत्तीसगढ़ में अडानी के कोल ब्लॉक को कानूनी अड़चनों के बावजूद सरकारी सरंक्षण में खुलवाए जाने की प्रक्रिया को आदिवासी समुदाय नान घोटाले से जुडी आरोपियों को बचाए जाने की कवायत से जोड़ कर देख रहा है | इसे संयोग कहा जाए कि नान घोटाले की सुनवाई की घडी अडानी के कोल ब्लॉक खोलने की दिशा में “कोयले का पत्थर” साबित हो रही है |

दिलचस्प ही नहीं गंभीर तथ्य यह है कि कोयले की कालिख से घिरे नेता ही नहीं विभागीय अफसर भी इस मामले के वैधानिक पहलुओं पर चर्चा तक करने में अपना पल्ला झाड़ रहे है | बताया जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ अडानी के समझौते के बाद गहलोत की पहल से मुख्यमंत्री बघेल भी एक समझौता कर चुके है ,जो गहलोत -बघेल मुलाकात के बाद अस्तित्व में आया है |

हालाँकि यह समझौता बघेल के लिए अभी फलदायी हो लेकिन भविष्य में राहुल गाँधी और कांग्रेस के लिए गले की फ़ांस बन सकता है |इस समझौते को अंजाम देने के लिए पिछले दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रायपुर पहुँचकर हर एक पहलुओं विस्तृत चर्चा की थी|