नई दिल्ली / कोरोना वायरस को वाकई वैक्सीन के जरिये ख़त्म किया जा सकता है, इसे लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है | अभी तक इसके वायरस को सौ फीसदी ख़त्म करने का दावा किसी भी कंपनी ने नहीं किया है | ऐसे में वैक्सीन कितनी असरकारक होगी यह तो वक्त ही बताएगा | इस बीच दर्जनों कंपनियां अपना माल बेचने के लिए भारत का रुख करने जा रही है | दरअसल देश की लगभग एक अरब 37 करोड़ की आबादी को एक साथ एक ही कंपनी की वैक्सीन मुहैया नहीं कराई जा सकती | लिहाजा कई निजी लैब और कंपनियां अपनी वैक्सीन लेकर भारतीय बाजार में उतरने की तैयारी में है | उधर इन कंपनियों के दावे सरकार के गले नहीं उतर रहे है |
अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने हाल ही में कोरोना का टीका खोजने और इसे 70 डिग्री सेल्सियस तक रखने की घोषणा की थी। इसे लेकर भारत में कोल्डचेन व्यवस्था पर सवाल भी खड़े हुए। लेकिन अब सरकार वैक्सीन को लेकर कंपनियों के दावों पर भरोसा नहीं कर रही है। जब तक नियामक मंजूरी नहीं मिलती, तब तक सरकार उक्त कंपनी के दावों पर विचार नहीं करेगी।
देश में कोल्डचेन को लेकर फिलहाल सरकार चिंतित नहीं नजर आ रही है | दरअसल उसने इसे लेकर अपनी तैयारी पुख्ता कर ली है | स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अलग-अलग दावे कर रही हैं। कोई 70 तो कोई – 2 से – 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में वैक्सीन को सुरक्षित रखे जाने की पुष्टि कर रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर कोल्डचेन को लेकर तभी काम किया जा सकता है जब किसी एक दावे पर भरोसा किया जा सके।
फाइजर टीम के वैज्ञानिक उगूर साहिन ने हाल ही में कहा है कि वैक्सीन वायरस पर कड़ा प्रहार करेगी और महामारी को खत्म कर देगी। वैक्सीन का पूरा डाटा तीन हफ्ते में आ सकता है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन एक साल के लिए सुरक्षा देगी | उनके मुताबिक लोगों को हर साल एक बूस्टर की जरूरत पड़ सकती है। देश में कोल्डचेन को लेकर राष्ट्रीय इस टास्क फोर्स के भी सदस्य ने भी कहा कि देश में कोल्डचेन प्रबंधन को लेकर दिक्कतें हैं। हालांकि, इन चुनौतियों पर कोई फैसला लेना फिलहाल जल्दबाजी हो सकता है।
उधर वैक्सीन निर्माण में भारत आत्मनिर्भर दिखाई दे रहा है | टास्क फोर्स से जुड़े अफसरों का कहना है कि अलग-अलग देशों के दावों पर भरोसा करने की जगह सरकार स्वदेशी कंपनियों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इन्हीं कंपनियों की वैक्सीन देश के करोड़ों लोगों को उपलब्ध होगी।
स्वदेशी टीके को लेकर सरकार उत्साहित दिखाई दे रही है | जानकारी के मुताबिक, जिन कंपनियों को नियामक मंजूरी मिल चुकी है उनसे सरकार लगातार संपर्क में है। हालांकि फाइजर के पास अभी ऐसा नहीं है। इसलिए कोल्डचेन को लेकर फिलहाल चिंता नहीं है। इनकी जगह जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल जैसी कंपनियों को लेकर बातचीत चल रही है। यह कंपनी एमआरएनए आधारित वैक्सीन पर ही काम कर रही है। वहीं भारत बायोटेक सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और जायडस कैडिला को लेकर भी सरकार कार्य उत्साहित है।
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स्वदेशी टीके का तापमान 2 से 8 डिग्री के बीच पर्याप्त माना जा रहा है | जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल एमआरएनए तकनीक के आधार पर वैक्सीन खोज रही है। कंपनी के अनुसार, 2 से 8 डिग्री तापमान में वैक्सीन सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के पास कोल्डचेन प्रबंधन को लेकर दिक्कतें नहीं आएंगी। मार्च तक सभी परीक्षण पूरे हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन के आने से दुनिया के कई देशों में कोल्डचेन की परेशानी दूर हो सकती है।