चीन के लिए भारत का साफ संकेत, देश नहीं भूलने वाला है 20 जवानों की शहादत , पीछे हटे वरना हटा दिया जाएगा , LAC तनाव पर भारत को मिला जापान का मजबूत साथ

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नई दिल्ली / आर्थिक एवं कूटनीतिक स्तर पर चीन को झटका देने के बाद भारत ने अब सैन्य मोर्चे पर भी चीन को साफ संकेत दे दिया है कि उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे में चीन के लिए स्पष्ट संकेत हैं कि भारत ने उसकी हरकतों को बेहद गंभीरता से लिया है तथा अपने 20 सैनिकों की शहादत को वह भूलने वाला नहीं है और न ही यह बर्दाश्त है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को चीन नए सिरे से निर्धारित करने की कोशिश करे।

चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने, चीनी कंपनियों को नए कांट्रेक्ट देने में प्रतिबंध लगाने और चीनी सामानों के देश में विरोध ने चीन को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका दिया है। इससे चीन को अरबों डॉलर का नुकसान होने लगा है। दीर्घकालिक नुकसान बहुत बड़ा है। चीन को दिखने लगा है कि भारत का बाजार उसके हाथ से निकल सकता है जिसकी भरपाई उसके लिए आसान नहीं होगी। इसी प्रकार हांगकांग में चीन के काले कानून को लेकर भी भारत ने अपने रुख में बदलाव के संकेत दे दिए हैं। और भी कई मंचों पर चीन की कूटनीतिक घेराबंदी भारत कर रहा है ।

उधर भारत को जापान की तरफ से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद पर मजबूत समर्थन मिला है। जापान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के लिए एकपक्षीय प्रयास का विरोध करेगा। विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला और भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी के बीच शुक्रवार सुबह फोन पर बातचीत के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई। भारत ने जापान के साथ अमेरिका, फ्रांस, रूस और जर्मनी को एलएसी पर तनाव की ताजा स्थिति की जानकारी दी है।

भारत लगातार अपने मित्र व प्रभावी देशो को स्थिति पर अपडेट कर रहा है। ज्यादातर देशों की ओर से भारत को सीमा विवाद पर समर्थन मिला है। जापान के राजदूत सुजुकी ने एक ट्वीट में कहा, “विदेश सचिव श्रृंगला के साथ अच्छी बातचीत हुई। जापान शांतिपूर्ण समाधान को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार की नीति सहित एलएसी के साथ स्थिति पर उनकी जानकारी की सराहना करता है। जापान संवाद के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद भी करता है। साथ ही जापान ने यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध किया है।

गलवान घाटी की खूनी झड़प के बाद शांति वार्ता में चीन सहमति बनाकर भी पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहा। उसकी कोशिश साफ नजर आ रही है कि वह नई सीमा खींचना चाहता है, लेकिन 3 जुलाई को प्रधानमंत्री के दौरे से साफ हो गया है कि भारत सैन्य मोर्चे पर भी चीन को जवाब देने में जरा भी नहीं हिचकेगा।

यह संदेश सेना प्रमुख या रक्षा मंत्री ने नहीं, बल्कि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से सीधे चीन को दिया गया है जिसमें किसी प्रकार के संदेह या पुनर्विचार की गुंजाइश नहीं है। रक्षा जानकारों का मानना है कि चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध के बाद भारत का अब तक का यह सर्वाधिक कड़ा रुख है। रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह ने कहा कि चीन के लिए संकेत साफ है कि या तो पीछे हटे वरना भारत हटाएगा।

इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री ने लद्दाख जाकर सैनिकों को संबोधित कर उनका हौसला बढ़ाया है। यह काम वह शुरू से कर रहे हैं। 2014 की दिवाली उन्होंने सियाचिन में सैनिकों के साथ मनाई थी और तब से हर दिवाली किसी न किसी सीमा के निकट जाकर सुरक्षाबलों के साथ मनाते हैं। 2019 में वे एलएसी के निकट राजौरी में सैनिकों के साथ दिवाली मनाने गए थे।