दिल्ली :देशभर में हर दिन हजारों की संख्या में ट्रेने चलती है। बीते कुछ सालों में रेलवे ने कई बड़े बदलाव किए हैं। अब रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई से लेकर कई प्रीमियम ट्रेनों को शुरू किया गया है। इसमें तेजस और वंदे भारत जैसी ट्रेनों का नाम शामिल है।वर्ष 2019 में तेजस ट्रेन का संचालन शुरू किया गया था। हाल में,इस ट्रेन को दिल्ली से लखनऊ और अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलाया जा रहा है।
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पिछले तीन सालों में लगभग IRCTC को 62.88 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हालाँकि दिल्ली-लखनऊ रूट की बात करें तो साल 2019 में इस ट्रेन को 2.33 करोड़ का फायदा हुआ था। इसके बाद से साल 2020-21 में 16.69 करोड़ और 2021-2022 में 8.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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हाल ही में आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,रेलवे के इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन द्वारा संचालित ट्रेन तेजस भारी घाटे में चल रही है।ट्रेन में यात्रियों की कम संख्या के कारण रेलवे ने इस ट्रेन के आवाजाही को भी कम करने का फैसला किया है। यह ट्रेन हफ्ते में 6 दिन दिल्ली से लखनऊ के बीच संचालित होती थी। लेकिन अब इसमें कटौती कर केवल चार कर दिया गया है। इस ट्रेन में हर दिन कम के कम 200 से 250 सीटें खाली रह जाती हैं। ऐसे में रेलवे और IRCTC को इससे बड़ा नुकसान हो रहा है।
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इसके संचालन में रेलवे को चंद महीनो में ही कुल 63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि, तीन साल पहले रेलवे ने पहली बार तेल ट्रेन को प्राइवेट ऑपरेटर्स के हाथ में सौंपा दिया था। तेजस को हो रहे नुकसान के बाद रेल मंत्रालय ने यह फैसला किया है कि वह फिलहाल अभी किसी भी ट्रेन को प्राइवेट हाथों में नहीं देगा।
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तेजस ट्रेन से हो रहे नुकसान को लेकर एक्सपर्ट्स की दलील है कि इन दिनों तेजस के रूट्स पर पहले से ही शताब्दी और राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनें दौड़ रही है। इससे कम पैसों में लोगों को समान सुविधाएं मिल रही हैं। यात्री भी पहले इन दोनों ट्रेनों में रिजर्वेशन करवाना पसंद करते हैं। जबकि इन ट्रेनों में कंफर्म टिकट नहीं मिलने की सूरत में ही वे तेजस में सफर करते हैं।