शिमला / 9वीं कक्षा में पढ़ने वाला एक बच्चा 20 साल पहले अपने माता-पिता के साथ न्यूजीलैंड पहुंचा था | उसके माता-पिता को वहां अपने ही किसी परिजन के माध्यम से नौकरी मिली थी | ये बच्चा भी भारत छोड़ अपने परिजनों के साथ बस गया | उसने वहां डॉक्टरी की पढाई की और अपने कार्यों से ऐसी शोहरत अर्जित की कि आज वो न्यूजीलैंड में सांसद का चुनाव जीत गया | वैसे तो भारतीयों का को पूरी दुनिया में डंका बज रहा है | अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में भारत वंशियों ने ना केवल अपना मुकाम बनाया बल्कि अपने कार्यों से हर क्षेत्र में खुद को स्थापित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी | दुनिया का शायद ही ऐसा कोई हिस्सा होगा जहां भारतीय ने अपनी कामयाबी का झंड़ा बुलंद नहीं किया हो | तकनीक से लेकर सामाजिक क्षेत्र में भारतियों ने खूब नाम कमाया है |

ऐसे ही एक भारतवंशी शख्स हैं डॉक्टर गौरव शर्मा | इन्हे हाल ही में न्यूजीलैंड की संसद के सदस्य के रूप में चुना गया है | डॉ गौरव शर्मा हैमिल्टन में जनरल प्रैक्टिशनर के रूप में काम कर रहे थे | उन्होंने हैमिल्टन वेस्ट से लेबर पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता है | गौरव शर्मा ने द यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड मेडिकल स्कूल में बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी का अध्ययन किया | इसके बाद में वाशिंगटन डीसी के जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की, जहां वे फुलब्राइट स्कॉलर थे

गौरव शर्मा विभिन्न स्तरों पर लेबर पार्टी में शामिल रहे हैं. 2014 में एक जमीनी स्तर के कार्यकर्ता होने से लेकर हाल ही में हैमिल्टन वेस्ट इलेक्टोरेट के अध्यक्ष और लेबर रीजनल 2 काउंसिल (LRC) के उपाध्यक्ष बने. उन्होंने अपनी भूमिकाओं के अनुसार न केवल अहम रोल निभाया, बल्कि पार्टी की नीति परिषद और साथ ही बहुसांस्कृतिक क्षेत्र की नीति समिति के नीति निर्माण में भी लेबर पार्टी के साथ काम किया | उनकी इस कामयाबी से न्यूजीलैंड में भारतीयों का गौरव बढ़ा है |

गौरव शर्मा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के निवासी हैं | गौरव शर्मा नौवीं कक्षा में थे जब वह अपने पिता और मां के साथ न्यूजीलैंड चले गए थे | शर्मा के पिता, जो हिमाचल प्रदेश के बिजली बोर्ड में एक कार्यकारी इंजीनियर के रूप में काम करते थे | न्यूजीलैंड में नौकरी मिलने के बाद उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था | इसके बाद वे न्यूजीलैंड में जाकर बस गए थे | न्यूजीलैंड में शुरुआती वर्षों के दौरान, शर्मा के परिवार को बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ा. उनके पिता ने आखिरकार छह साल बाद नौकरी छोड़ दी. दिक्कतों के कारण, परिवार को कुछ समय के लिए बेघर भी रहना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा परिवार ने पार्कों में बेंचों पर रातें बिताई थीं |

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने रविवार को 33 वर्षीय गौरव शर्मा को उनकी जीत पर बधाई दी और कहा कि राज्य के लोगों को डॉक्टर पर गर्व है. ठाकुर ने कहा, “डॉ गौरव, जो हमीरपुर के गलोड़ के हैं, ने राज्य और देश के लिए नाम कमाया है और हिमाचल प्रदेश के लोग इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं.” बताया जा रहा है कि सांसद बनने के बाद गौरव शर्मा अपने गृहनगर हमीरपुर का रुख करने वाले है | उनकी इस कामयाबी से हमीरपुर में खुशी का माहौल है |
