नई दिल्ली। आत्मर्निभर भारत के तहत विकसित की गई एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’ का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। यह ट्रायल पश्चिमी रेगिस्तान में सशस्त्र बलों के उपयोगकर्ता समूह के साथ पूरा कियाा गया। अब यह मिसाइल को सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। इस मिसाइल को थल सेना में ‘हेलिना’ और वायु सेना में ‘ध्रुवास्त्र’ के नाम से जाना जाता है। यह मिसाइल मोबाइल या स्थिर टैंक या बख्तरबंद कर्मियों के वाहक को आसानी से अपना निशाना बना सकता है।
यह सीधे और टॉप मोड दोनों में है। इसे उड़ते हेलीकॉप्टर से या जमीन पर किसी विशेष वाहन से भी दागा जा सकता है। इस मिसाइल की ताकत की बात करें तो यह दुश्मन के होश उड़ाने के साथ ही पलभर में दुश्मनों के ठिकाने को नेस्तनाबूद कर सकता है। इसकी मारक क्षमता 4 से 8 किलोमीटर के बीच है।
भारत की सशस्त्र सेना अपने मिशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह के आधुनिक टैंक-रोधी मिसाइल की तलाश कर रही थी, जिसे इस प्रणाली के सेना में शामिल होने के बाद पूरा माना जा सकता है। मिसाइल को DRDO ने विकसित किया है। पिछले साल इसका सफल परीक्षण ओडिशा के बालासोर तट पर किया गया था। यह दिन और रात दोनों समय दुश्मन को तबाह कर सकता है।
चीन से सीमा विवाद के बीच पश्चिमी रेगिस्तान में सेनाकर्मियों के साथ इसका सफल ट्रायल किया गया है। इसके तहत मिसाइल की क्षमता जांचने के लिए न्यूनतम और अधिकतम रेंज में पांच मिशन पूरे किए गए। स्थिर और गतिमान लक्ष्यों को साधने के लिए इन मिसाइलों को होवर और फॉरवर्ड फ्लाइट में दागा गया। कुछ मिशनों को युद्धक टैंकों के खिलाफ युद्धक हथियारों के साथ परीक्षण किया गया। एक मिशन गतिमान ध्रुव हेलिकॉप्टर के जरिए गतिमान ठिकाने पर भी पूरा किया गया है।