
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव अब खुलकर सामने आ गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कह दिया है कि मौजूदा हालात में भारत के साथ व्यापार वार्ता संभव नहीं है। वाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब एएनआई ने उनसे सवाल किया कि क्या टैरिफ विवाद के बावजूद भारत के साथ व्यापार वार्ता आगे बढ़ेगी, तो ट्रंप ने दो टूक कहा – “नहीं, जब तक यह विवाद हल नहीं होता, तब तक कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी।”
भारत पर अमेरिका का 50% टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने रूस से भारत द्वारा कच्चा तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद को लेकर चिंता जताई थी। इसके बाद 6 अगस्त को ट्रंप ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल अमेरिकी टैरिफ दर 50% तक पहुंच गई। ट्रंप ने भारत के खिलाफ सेकेंडरी सैंक्शंस लगाने की भी चेतावनी दी है।

पीएम मोदी का सख्त रुख
इस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपने किसानों और देश के हितों से किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगा। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा –
“भारत के किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों का हित सर्वोपरि है। चाहे इसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े, मैं इसके लिए तैयार हूं।”

शशि थरूर ने दिया कड़ा जवाब
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्रंप के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि भारत को अमेरिका के निर्यात पर भी 50% टैरिफ लगाना चाहिए। थरूर ने कहा –
“अगर अमेरिका हमें धमकाता है, तो हमें भी जवाब देना चाहिए। हम औसतन 17% टैरिफ लगाते हैं, लेकिन अब इसे भी 50% तक बढ़ा देना चाहिए। यह रिश्तों का अपमान है और भारत को अब कठोर कदम उठाने चाहिए।”

भारत का साफ संदेश – आत्मनिर्भरता और हित सर्वोपरि
भारत पहले ही अमेरिका को स्पष्ट कर चुका है कि वह अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र में विदेशी दखल नहीं चाहता। अमेरिकी पक्ष की मांग रही है कि भारत इन क्षेत्रों को भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते में शामिल करे, लेकिन भारत ने इसके लिए सख्त इंकार कर दिया है।
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच यह टैरिफ विवाद आने वाले समय में और गहराता दिख सकता है, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने आत्मनिर्भर दृष्टिकोण और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। देखना होगा कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच यह व्यापारिक रस्साकशी किस दिशा में जाती है।