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आम आदमी की बढ़ी टेंशन: दिवाली पर और बढ़ सकते हैं सरसों तेल के दाम, इस साल राहत मिलने की उम्मीद नहीं, जाने कितनी बढ़ सकती है रेड

नई दिल्ली / मानों सरसों के तेल के दाम को पहिए लग गए हों, दाम बढ़ने का जो सिलसिला शुरु हुआ है वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है | तेल कारोबारियों की मानें तो दिवाली के बाद अब तेल के दाम 150 के पार जा सकते हैं | शादी-ब्याह का सहलग शुरु हो जाएगा। तेल की डिमांड भी बढ़ जाएगी. वहीं ब्लैंडिंग बंद होने के चलते प्योर सरसों का तेल से इस रेट में कोई मुनाफा नहीं निकल रहा है | इसलिए रेट बढ़ाना मजबूरी होगी | वहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी दूसरे तेलों के दाम बढ़ने का असर सरसों के तेल पर भी पढ़ रहा है |

एक अक्टूबर से केन्द्र सरकार ने सरसों के तेल में की जाने वाली ब्लैंडिंग बंद कर दी है | अब कारोबारियों को प्योर सरसों का तेल बेचना होगा | लेकिन यहां सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हुई है | इस साल सरसों की पैदावार भी कम हो गई है और प्योर तेल बेचने का खर्च ज़्यादा है | ब्लैंडिंग बंद करने के खिलाफ कुछ कारोबारी अदालत का चक्कर भी लगाए थे जहां दिसम्बर में इसकी सुनवाई होनी है। वहीं दो कारोबारियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी ब्लैंडिंग बंद होने के खिलाफ अर्जी दी है |

तेल के रिटेल कारोबारी कपिल गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर से 5 नवंबर तक सरसों के तेल पर 15 से 20 रुपये बढ़ चुके हैं | सबसे ज़्यादा बिकने वाला एक लीटर का पाउच 140 से 150 रुपये तक का बिक रहा है | 140 रुपये लीटर में किसी भी शहर का लोकल ब्रांड बिक रहा है | वहीं अच्छे ब्रांड की बात करें तो 145 से 150 रुपये तक बिक रहा है | थोक बाज़ार में ऐसी आशंका है कि दिवाली के बाद सहलग शुरु होते ही देवोत्थान में यह दाम 10 रुपये किलो तक और बढ़ सकते हैं|

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एक नामी तेल कंपनी के एक्जीक्यूटिव फील्ड अफसर अमित सिंह का कहना है कि राइस ब्रान ऑयल, पॉमलीन और दूसरे तेल 20 फीसद तक की मात्रा में सरसों के तेल में मिलाए जाते थे | लेकिन पॉमलीन कितना भी अच्छा हो वो सर्दियों में जमने लगता है | और राइस ब्रान समेत दूसरे तेलों की बात करें तो इंटरनेशनल पॉलिसी के चलते उनके दाम पहले से ही बढ़े हुए हैं |

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