देश में कोरोना से होने वाली मौत का बढ़ा आंकड़ा, ज्यादातर मरीजों की मौत हार्ट को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने से ? इंसानी लंग्स को प्रभावित करता है कोरोना, फिर मरीज का दम घोट देता है वायरस, जाने कैसे जूझते हैं डॉक्टर

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दिल्ली वेब डेस्क / देश के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौत में एक खास चीज नज़र की जा रही है | मरीज की दम घुटने से मौत हो रही है | डॉक्टर बताते है कि मरीज के हार्ट को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाई | इसके पीछे लंग्स का काम ना करने का कारण बताया जाता है | यह भी बताया जाता है कि हार्ट और ब्रेन को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलने के चलते मल्टी ऑर्गन फेलियर जैसी स्थिति निर्मित होती है |आईसीयू में कोरोना वारियर्स वेंटिलेटर के जरिये कोरोना के संक्रमण पर वार करते है | लेकिन भाग्यशाली मरीज ही वेंटिलेटर से बाहर आ पाते है |

डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना का वायरस नाक, गले और फेफड़ों पर सबसे ज्यादा आक्रमण करता है। इस वायरस के प्रभाव से फेफड़ों में सूजन हो जाती है, जिसके कारण यह पर्याप्त वायु अपने अंदर नहीं ले पाता है। नतीजतन संक्रमित व्यक्ति को दर्द भी होता है जिसके कारण वह सांस लेने में तकलीफ महसूस करता है। यही नहीं इस प्रभाव से खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। आईसीयू ने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर मरीज को ऑक्सीजन मास्क लगााकर ऑक्सीजन की कमी को पूरी करते है। यही नहीं मरीज की हालत नाजुक होने की स्थिति में उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर डाल दिया जाता है | उसे वेंटिलेटर के जरिये ऑक्सीजन दी जाती है |

छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी के कॉडिनेटर डॉक्टर कुलदीप सोलंकी के मुताबिक ऐसी स्थिति ज्यादातर उन मरीजों की आती है जो पहले से ही किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित है | वो बताते है कि गंभीर होने पर मरीजों को वेंटीलेटर का सपोर्ट देना पड़ता है। न्यूज़ टुडे इंडिया से चर्चा करते हुए डॉक्टर कुलदीप सोलंकी ने बताया कि कोविड वायरस मरीजों के फेफड़ों को संक्रमित कर रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित कर देता है।

नतीजतन ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज की सांस फूलने लगती है। इससे पीड़ित को बहुत अधिक दर्द और कमजोरी का अहसास होता है। उनके मुताबिक ऐसे समय ऑक्सीजन की कमी को पूरा कर दिया जाए तो मरीज को आराम महसूस होता है।

उन्होंने बताया कि स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर मरीज को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 80 फीसदी मामलों में ऑक्सीजन मास्क से शरीर को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन की पूर्ति हो जाती है। पीड़ित की हालत स्थिर होने पर दवाओं के प्रभाव से वह स्वस्थ भी होने लगता है।

लेकिन जब किसी व्यक्ति में संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और वह बिल्कुल सांस लेने की स्थिति में नहीं होता, तब उसे वेंटीलेटर पर रखना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में आईसीयू बेड और वेंटीलेटर की उपलब्धता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए। इससे डॉक्टर लोगों की जान बचाने में कामयाब रहेंगे |

डॉ. कुलदीप सोलंकी के मुताबिक ऑक्सीजन सिलेंडर अब ग्रामीण से लेकर शहरी अस्पताल में मुहैया कराया जाना चाहिए | क्योंकि देखने में आ रहा है कि संक्रमित मरीज हर इलाकों से मिल रहे है | ऐसे समय वेंटिलेटर मेडिकल टीम की मूल आवश्यकता में शामिल हो गया हैं।

फ़िलहाल रविवार शाम 5 बजे तक देश में संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख 82 हज़ार 143 पहुँच चुकी है | जबकि ठीक हुए मरीज 86 हज़ार 984 है | लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ते हुए 5 हज़ार 164 पहुँच गया है |