
रायपुर | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी कार्यप्रणाली में जल्द सुधार नहीं लाया तो दीपावली के बाद से उन पर मुसीबतो का पहाड़ टूट सकता है | यह खबर हवा हवाई नहीं बल्कि क़ानूनी गलियारों से प्राप्त महत्वपूर्ण तथ्यों पर आधारित है | इस खबर पर आगे प्रकाश डाले ,इसके पहले आपको फ्लैश बैक में लिए चलते है | गौर फरमाए 17 फरवरी 2019 की उस महत्वपूर्ण खबर पर जब रायपुर के मेडिकल कॉलेज सभागृह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंच से दावा किया था कि लोग बेफिक्र होकर मोबाईल और फोन पर बातचीत करें ,किसी का भी फोन टेप नहीं हो रहा है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह भी कहा था कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांढ भी फोन टेपिंग से भयभीत रहते थे | इसलिए वो सामान्य कॉल के बजाए वाट्सअप पर ही बात करना मुनासिब समझते थे | मंच पर मौजूद विवेक ढांढ ने भी सिर हिलाते और हंसते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस वक्तव्य पर अपनी हामी भरी थी | यह तस्वीर उस मौके और समारोह की गवाह है | न्यूज़ टुडे छस्तीसगढ़ के पास वो वीडियो क्लिप भी मौजूद है ,जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समारोह में मौजूद लोगो को भरोसा दिला रहे थे कि उनके फोन टेप करने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं |
उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा उस समय खोखला साबित हुआ जब छत्तीसगढ़ कैडर के कुख्यात आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की पत्नी और बच्चो ने दिल्ली के मालवीय नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उनके फोन टेप हो रहे है | यही नहीं डकैत एडीजी के प्राइवेट ड्राइवर ने भी इसी दौरान अपना मोबाईल इंटरसेप्ट होने और गाडी का पीछा किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी | हाल ही में इस शिकायत के बाद निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाया है कि वो उनकी बेटी और अन्य परिजनों की कॉल रिकॉर्डिंग कर रही है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार कार्यकाल में कई गंभीर मामलो का आरोपी मुकेश गुप्ता भी यही काम किया करता था | लेकिन अब बारी उसके करीबियों की आई तो वो ऐसा तिलमिलाया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने के लिए सुप्रीम कोर्ट में फोन टेपिंग संबधित दस्तावेज लेकर पहुंच गया | सवाल यह उठ रहा है कि यदि फोन टेपिंग की जा रही थी तो आखिर उसका मकसद क्या था ? फोन टेपिंग की जानकारी और उससे संबधित दस्तावेज इस कुख्यात आरोपी के हाथो में कैसे लगे ? जाहिर है ,पुलिस मुख्यालय में ऐसा कोई जिम्मेदार शख्स जरूर मौजूद है जो छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ साजिशो को अंजाम दे रहा है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस घटना को गंभीरता से लेना होगा | हालांकि 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर होने वाली सुनवाई पर मीडिया की भी निगाहें रहेगी |
यह तथ्य भी सामने आया है कि सेक्स सीडी कांड की छत्तीसगढ़ से बाहर सुनवाई किए जाने की सीबीआई की याचिका के पीछे भी कुछ आईपीएस और आईएएस अधिकारियों की लॉबी काफी सक्रिय रही | जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर सुनियोजित निशाना साधने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई को ऐसी याचिका दायर करने के लिए जानबूझकर रास्ता दिखाया गया |
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र और तत्कालीन रमन सिंह सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी कर वैधानिक कार्रवाई करने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उनके इर्द-गिर्द मंडराने वाली टोली में कई ऐसे दागियों की शिनाख्ती हो रही है जो मुख्यमंत्री को अस्थिर करने की साजिश में सहभागी और संदिग्ध बताए जा रहे है | पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह के खिलाफ दर्ज FIR पर नो कोरेसिव एक्शन का अदालती फरमान ,पूर्व नौकरशाह अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ चल रही क़ानूनी कार्रवाई पर नो कोरेसिव एक्शन जैसा क़ानूनी ब्रेक ,कुख्यात और निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता और उसकी खासम खास गीता नायर की अवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ भी पुख्ता सबूत होने के बावजूद नो कोरेसिव एक्शन ,दागियों के खिलाफ गठित SIT पर भी क़ानूनी ब्रेक से साफ़ हो रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल या तो बदलापुर की कार्रवाई कर रहे है या फिर कमजोर क़ानूनी कार्रवाई के चलते खुद-बा -खुद क़ानूनी कटघरे की ओर बढ़ रहे है |
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ ACB में दर्ज मामले के खात्मे को लेकर भी दुर्ग जिला अदालत में पेश प्रतिवेदन को चुनौती देने के लिए कुछ NGO और RTI कार्यकर्ताओ को फंडिंग की जानकारी भी प्राप्त हुई है | बताया जाता है कि दुर्ग जिले की तत्कालीन कलेक्टर आर संगीता के द्वारा गठित एक कमेटी की सिफारिश के आधार पर ACB ने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष और पाटन विधान सभा सीट से विधायक व साडा के तत्कालीन सदस्य भूपेश बघेल के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किया था | ACB ने 5 सिंतबर 2019 को दुर्ग न्यायालय में इस मामले को लेकर एडीजे अजित कुमार राजभानु की अदालत में खात्मा प्रतिवेदन पेश किया था | ACB ने अदालत मे कहा है कि जाँच में भूपेश बघेल के खिलाफ कोई प्रकरण नहीं बनता | अदालत ने ACB के खात्मे प्रकरण को स्वीकार कर लिया है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ सक्रिय लॉबी अब अपीलीय न्यायालय में इस खात्मे प्रकरण को चुनौती देने की तैयारी में है | उन्हें खात्मे प्रकरण की रजिस्टर्ड प्रतिलिपि भी प्राप्त हो चुकी है | खात्मा प्रकरण से जुड़े तमाम दस्तावेजों को दिल्ली के मशहूर वकील को सौपा गया है |
राजनैतिक गलियारों से लेकर अदालत तक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को विवादित करार देने को लेकर नौकरशाहों और नेताओ की एक टोली अपने -अपने मोर्चे पर जोर-शोर से जुटी हुई है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि ख़राब करने को लेकर यह टोली लगातार अपने मकसद पर कामयाब भी हो रही है | दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चारो ओर कई ऐसे दागी अफसरों और नेताओ का जमावड़ा है, जो विभिन्न प्रकरणों में सूचनाओं और दस्तावेजों का आदान प्रदान कर उन्हें अस्थिर करने की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है | राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय की कार्यप्रणाली की ओर भी सरकार को गौर फरमाना होगा | वरना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अदालती मोर्चो पर मुँह की खानी पड़ सकती है |