नई दिल्ली! देश की जनता को जेब ढीली करने के लिए जल्द ही तैयार हो जाना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में बड़ा बदलाव करने वाली है। दरअसल केंद्र सरकार ने देशभर में लागू करने के लिए नया बिजली बिल ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसको कानून बनाने के लिए सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में पेंश करने की योजना बना रही है। इस कानून के लागू होने के बाद देश के करोड़ो बिजली उपभोक्ताओं पर सीधा असर होगा और उनको मिलने वाली सब्सिडी बिजली बंद हो जाएगी। दरसअल केंद्र सरकार अभी तक बिजली कंपनियों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी देती है। जिसे केंद्र सरकार बंद करने वाली है और इसको रसोई गैस की सब्सिडी की तरह सीधे ग्राहकों के खाते में ट्रांसफर करने की तैयारी कर रही है।
नए बिजली कानून के लागू होने के बाद बिजली कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी बंद हो जाएगी। जिसके बाद देशभर में बिजली कंपनियां ग्राहकों से पूरी चार्ज वसूल करेंगी। इसका सबसे बड़ा असर यह होगा कि मुफ्त बिजली के दिन खत्म हो जाएंगे, क्योंकि कोई भी सरकार मुफ्त बिजली नहीं दे सकेगी। हालांकि, वह ग्राहकों को सब्सिडी दे सकती है। साथ ही इस कानून के लागू होने के बाद ऐसा भी हो सकता है कि, सरकार सिर्फ जरूरतमंदों को ही बिजली सब्सिडी जारी रखें। जैसा रसोई गैस के मामले में किया जा रहा है।
नए बिजली कानून के लागू होने के बाद बिजली कंपनी इनपुट कॉस्ट के आधार पर उपभोक्ताओं से बिल वसूलने के लिए स्वतंत्र होगी। ऐसे में बिजली के दाम पेट्रोल की तर्ज पर जल्दी-जल्दी बदल सकते हैं। आपको बता दें अभी बिजली उत्पादक कंपनियों की लागत ग्रहकों से वसूले जाने वाले बिल से 0.47 रुपये प्रति यूनिट ज्यादा है। जिसकी भरपाई राज्य सरकारें सब्सिडी देकर करती है। जो कि, बिजली कंपनियों को एडवांस दी जाती है।
देश में बहुत से किरायदारों का बिजली कनेक्शन मकान मालिक के नाम पर होता है। ऐसे में सब्सिडी किसे मिलेगी ये साफ नहीं है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में 15 लाख कृषि उपभोक्ता ऐसे हैं, जो बिना मीटर के बिजली यूज कर रहे हैं। वहीं ‘पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च’ के अनुसार, कृषि उपभोक्ता का महीने का एवरेज बिल 5 हजार रु. तक हो सकता है। जिन्हें अभी फ्री बिजली मिल रही है, उनके लिए यह रकम बहुत भारी पड़ेगी।
बिजली वितरण कंपनियां बताती हैं कि वे भारी घाटे में चल रही हैं। उनका घाटा 50 हजार करोड़ रुपये के पार हो चुका है। इसके साथ ही डिसकॉम पर कंपनियों का 95 हजार करोड़ बकाया है। डिसकॉम को सब्सिडी मिलने में देरी होती है, जिससे वितरण कंपनियां संकट में हैं।