छत्तीसगढ़ की डिजिटल एजेंसी “चिप्स” में पहली ही झलक में ढाई हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला आया सामने,चिप्स की तर्ज पर सरकारी रकम डकार गए अफसर,जांच जारी

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रायपुर / दिल्ली :  छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी ”चिप्स” में पड़े छापो में हैरान करने वाला लगभग ढाई हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है। पहले ही झटके में प्राथमिक जांच के दौरान घोटाले की रकम के चढ़ते ग्राफ को देखकर इस रकम के और भी बढ़ने का अंदाजा लगाया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि “चिप्स घोटाले” में कई बड़े मगरमच्छ भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी में हैरान करने वाले सबूत सामने आ रहे है।

बता दें ,”चिप्स घोटाले” के चलते आईएएस समीर विश्नोई के ठिकानो पर ED की छापेमारी हुई थी। फिलहाल वो ED रिमांड में है। ED की कई टीम उनसे पूछताछ कर रही है।इस बीच सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि ED छापेमारी में योजनाओ की आढ़ में फर्जी बिलो के जरिए बड़े पैमाने पर सरकारी रकम की बंदरबांट हो रही थी। बगैर किसी कार्य के अंधाधुंध चेक काटे जा रहे थे। एक शक्तिशाली बंगले में तैनात प्रभावशील अफसरों के नाम पर कई एंट्री पाई गई है।सूत्र बता रहे है कि “चिप्स” की सरकारी रकम को मिल जुल कर आलू चिप्स समझ कर खाया जा रहा था। 

    
इसमें फाइबर ब्लॉक पर हुए कार्यो के नाम पर 15 सौ करोड़ से ज्यादा के भुगतान से जुड़े दस्तावेजों के सबूत मिले है | सूत्रों के मुताबिक भारत नेट परियोजना का भुगतान का लगभग पूरा हिस्सा अधिकारियो ने डकार लिया | बगैर SOP का पालन किए तमाम प्रक्रिया अपनाई गई थी। टाटा प्रोजेक्ट के कार्यो को लेकर 400 करोड़ की पेनाल्टी में से 200 करोड़ का भुगतान बगैर किसी ठोस आधार के किया गया। 


बताया जाता है कि आईडिमिया प्रोजेक्ट में 121 करोड़ के भुगतान में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। इसमें भुगतान के दौरान कंपनी के साथ 10 करोड़ का लेनदेन किया गया था। सरकारी तिजोरी में हाथ साफ़ करने के लिए इस कंपनी ने चिप्स के कुछ आलाधिकारियों की फैमिली ट्रिप स्पॉन्सर्ड कराई थी। भ्रष्टाचार की रकम से अफसरों के परिवारो ने भी टूरिस्ट प्लेसो का जमकर लुत्फ़ उठाया। इम्पेच में बगैर किसी कार्य के करोडो का भुगतान किया गया। इसके लिए ना तो अनुमोदन लिया गया और ना ही SOP का पालन किया गया। सूत्रों के मुताबिक सिर्फ खाना-पूर्ति कर करोडो की रकम निकाल ली गई।

 
खनिज ऑनलाइन में ऑडिट एप्लीकेशन जानबूझ कर नहीं कराया गया ताकि घोटालो की रकम का हिसाब-किताब सामने ना आ सके। जानकारी के मुताबिक नीलेश नामक शख्स SEMT कर्मी को ज्वाइंट CEO बनाकर अपराध को अंजाम दिया गया।सूत्रों के मुताबिक नीलेश की नियुक्ति इस पद पर गैरकानूनी रूप से की गई ताकि आर्थिक अपराधों को अंजाम दिया जा सके। बताया जाता है कि जिस दिन समीर विश्नोई के यहाँ छापा डाला गया था,उसी दिन सुबह नीलेश ने 15 स्वीट के पैकेट में मोटी रकम रख कर एक ख़ास ठिकाने में भेजा था। इस रकम के प्रमाणिक सबूत भी सामने आए है। 


सूत्रों के मुताबिक ,घोटाले की रकम और उससे जुड़े कई दस्तावेजों को आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई के फार्म हाउस से भी बरामद हुए है। इसका सीधा लिंक नीलेश से जुड़ा पाया गया है। सूत्रों द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि समीर विश्नोई की ब्लैक मनी को धनशोधन के लिए प्रतिक और राजेंद्र कई स्रोतों तक पहुंचाते थे। इस रकम से चल-अचल संपत्ति की खरीदी का कार्य भी इनके द्वारा किया जाता था। इसके पुख्ता सबूत मिले है। सूत्रों का यह भी दावा है कि चिप्स के अन्य कई जिम्मेदार अफसरों के ITR खंगाले जा रहे है।

सूत्रों के मुताबिक समीर विश्नोई की पत्नी प्रीति विश्नोई के लिए नीलेश ने एक नया मोबाइल फोन ख़रीदा था। बताया जा रहा है कि चिप्स के भ्रष्टाचारों की लम्बी फेहरिस्त इस मोबाइल में दर्ज है। इसका ब्यौरा प्रदेश में राजनैतिक भूचाल ला सकता है। दरअसल,बताया जा रहा है कि विश्नोई दंपत्ति के तार एक शक्तिशाली बंगले से सीधे तौर से जुड़े पाए गए है। लिहाजा केंद्रीय जांच एजेंसियां इस बड़े सुनियोजित भ्रष्टाचार की जांच गंभीरता पूर्वक एवं पेशेवर तरीके से कर रही है। 

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