दुनिया में जारी कोरोना कहर के बीच मौत के मामले में भारत के हालात बेहतर , प्रति लाख जनसंख्या पर मृत्यु का मामला सिर्फ 1 , रिकवरी रेट 56% से ज्यादा

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नई दिल्ली / कोरोना के तमाम कहर के बीच एक अच्छी ख़बर है । ये खबर खास कर भारत के लिए है । ख़बर ये है कि जून से भले ही कोरोना के मरीजों की रफ्तार भारत में बेहद तेजी से बढ़ रही है । मगर कोरोना से होने वाली मौत के मामले में भारत का नंबर दुनिया के 106 देशों के बाद आता है । पहले नंबर पर अमेरिका है, जहां हर दस लाख मरीजों में से 357 मरीजों की मौत हुई है । जबकि भारत में हर दस लाख लोगों पर सिर्फ 10 मरीजों की मौत हो रही है

कोरोना के कुल केस के मामले में भारत इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है । जबकि कोरोना से हुई कुल मौत के मामले में भारत 8वें नंबर पर है । मगर ये आंकड़े बेमानी हैं, अगर इन्हें आबादी और डेंसिटी यानी घनत्व के चश्में से ना देखा जाए तो । यानी जिस अमेरिका में कोरोना के सबसे ज़्यादा करीब 22 लाख मामले हैं । वहां हर 10 लाख लोगों पर मरने वालों की तादाद 369 है । वहीं भारत से पहले ब्राज़ील में 238 जबकि रूस में 56 है । कोरोना के कुल मामलों में भारत चौथे नंबर पर भले हो । मगर डेथ रेट के मामले में यहां हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 10 लोगों ने अपनी जान गंवाई है ।

अब तक भारत में कोरोना के कुल जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें से आधे तो ठीक भी हो चुके हैं । जबकि करीब उतने ही लोग अपना क्वारंटीन पीरियड खत्म कर रहे हैं ।  फिलहाल करीब 9 हज़ार ही ऐसे मामले हैं, जिन्हें सीरियस कंडीशन वाले केस कहे जा सकते हैं । यानी देश में इस वक्त कुल 18 हज़ार लोग ऐसे हैं जो कोरोना से या तो गंभीर रूप से बीमार हैं या जिनकी मौत हो चुकी है ।

कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा मौत पश्चिमी देशों में हुई हैं । जबकि दक्षिण एशियाई देशों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा बहुत कम है । वैज्ञानिक और कई हेल्थ एक्सपर्ट इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और घनी आबादी के बावजूद यहां कोरोना वायरस से इतनी कम मौतें क्यों हुईं?

पहली वजह

मुमकिन है कि इन देशों में मृत्यु दर का सही डेटा ही ना हो । क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित होकर मरने वालों का औसत भारत में 3.3 फीसदी, पाकिस्तान में 2.2, बांग्लादेश में 1.5 और श्रीलंका में 1 फीसदी ही रिकार्ड किया गया है ।

दूसरी वजह

सिम्टम्स होने के बावजूद भी अस्पताल में इलाज के लिए जाने वाले लोग इन देशों में कम हैं । या यूं कहिए की वो समझ ही नहीं पाते कि उन्हें खांसी बुखार कोरोना की वजह से हो रहा है । और वो खुद अनजाने में अपनी ही इम्यूनिटी से लड़कर या पैरासीटामॉल खाकर उसे हरा देते हैं ।

तीसरी वजह

दक्षिण एशियाई देशों में युवाओं की आबादी काफी ज़्यादा है, जो जल्द ही इससे रिकवर कर पा रहे है । जबकि अमेरिका और यूरोपिय देशों में बुज़ुर्गों की आबादी ज्यादा है और बुजुर्गों की मौत भी ज्यादा हुई है ।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु-दर में फर्क क्यों?

अमेरिका में अब तक सबसे ज़्यादा करीब 22 लाख मामले सामने आ चुके हैं । मगर मृत्य दर के हिसाब से वो अभी भी 9वें नंबर पर है । जबकि कोरोना से दूसरा सबसे प्रभावित देश है ब्राज़ील, जहां करीब 9 लाख मामले सामने आ चुके हैं.. मगर डेथ रेट के मामले में ब्राज़ील 18वें नंबर पर है । इसी तरह भारत में भी कोरोना के मामले भले साढ़े 4 लाख को छूने वाले हों । मगर कोरोना के वर्ल्डोमीटर के हिसाब से हिंदुस्तान 109वें स्थान पर है ।

दुनिया में जहां इस वक्त कोरोना वायरस के चलते औसतन प्रति एक लाख लोगों में 6.04 लोगों की मौत हो रही है। वहीं, भारत में प्रति एक लाख की आबादी पर महज एक मौत हो रही है, जो कि पूरी दुनिया में सबसे कम है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने इसके लिए मामलों की समय पर पहचान, संपर्क ट्रेसिंग और प्रभावी चिकित्सकीय प्रबंधन को श्रेय दिया। 

मंत्रालय ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की दिनांक 22 जून की स्थिति रिपोर्ट-154 यह दर्शाती है। देश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर वर्तमान में महज एक मौत हुई है, जबकि वैश्विक औसत भारत की तुलना में छह गुना अधिक 6.04 मौते हैं।

ब्रिटेन में प्रति एक लाख आबादी पर 63.13, स्पेन में 60.60, इटली में 57.19 और अमरीका में 36.30 मौतें हुई हैं।मंत्रालय ने कहा कि कोरोना के रोगियों की शीघ्र पहचान, समय पर नमूनों की जांच और सर्विलांस, समग्र संपर्क ट्रेसिंग के साथ ही प्रभावी नैदानिक प्रबंधन से कोरोना के संक्रमण से होने वाली मौतों को सीमित करने में मदद मिली है।


देश में कोरोना की रिकवरी दर लगातार बढ़ रही है और मंगलवार (23 जून) को यह दर 56.38 प्रतिशत तक पहुंच गई है। देश में अब तक कुल 2,48,189 रोगी स्वस्थ हुए हैं। पिछले 24 घंटों में कुल 10,994 रोगी ठीक हुए हैं। वर्तमान में 1,78,014 कुल सक्रिय मामले हैं जिनका उपचार किया जा रहा है। इस समय कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या कुल सक्रिय मामलों से 70,715 ज्यादा है।