रिपोर्टर-रफीक खांन
सुकमा – सुकमा के पशुपालकों को अब उन्नत नस्ल के बछियों के पालन के साथ ही अपनी आर्थिक आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जिले में यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना का शुभारंभ किया जा रहा है। कलेक्टर चंदन कुमार के निर्देशन में पशुधन विकास विभाग सुकमा द्वारा जिले के पशुपालकों की आर्थिक उन्नति के लिए यह पहल की जा रही है। छतीसगढ शासन पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुओं में नस्ल सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए कृत्रिम गर्भाधन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधन नस्ल सुधार का एक प्रभावी साधन है । इसमें गाय एवं भैंस को उन्नत नस्ल के अनुवांशिक गुणों से परिपूर्ण सीमेन द्वारा कृत्रिम रूप से गर्भित किया जाता है । पशु चिकित्सा विभाग द्वारा यह सुविधा पशुपालकों के घर और गौठानों में निःशुल्क प्रदान की जाती है।

नस्ल सुधार से होगी पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी
कृत्रिम गर्भाधान का मुख्य उदेश्य नस्ल सुधार है। सुकमा जिले में कृत्रिम गर्भाधान के लिए उत्तराखण्ड ऋषिकेश से ‘‘सेक्स शार्टेड सीमेन’’ मंगाया गया है। कृत्रिम गर्भाधान में इस सीमेन का प्रयोग सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले राज्यों में किया जा रहा है। सुकमा जिले में हीट सिंक्रोनाईजेशन अभियान चलाया जा रहा है । जिससे गायों के हीट में आने पर आसानी से कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत सार्टेड सीमेन से पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी एवं प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है । यह अभियान बस्तर संभाग में सुकमा जिले में चलाया जा रहा है । सुकमा जिले में कृत्रिम गर्भाधान में किये जा रहे नवाचार में बछिया होने की सम्भावना 95 प्रतिशत है । साथ ही इस तकनीकी से दुग्ध उत्पादन को बढावा मिलेगा जिससे पशुपालकों को अतिरिक्त आय अर्जित करने का माध्यम मिलेगा ।
जिले के 500 पशुपालक होंगें लाभान्वित
यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत प्रारंभिक स्तर पर जिले के 500 पशुपालक लाभान्वित होंगे। उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ.एस.जहीरूद्दीन ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए सार्टेड सीमेन जिले के सभी पशु चिकित्सालयों में एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र में उपलब्ध है। कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए बछियों में बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गायों का टीकाकरण एवं समय समय पर जांच किया जाता है। वहीं इस तकनीक से पैदा बछियों को विशेष आहार की जरूरत भी नहीं होती। यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत हितग्राहियों को बछिया की देखभाल एवं भरण पोषण के लिए 15 हजार रुपए की अनुदान राशि भी प्रदाय की जाएगी। वहीं आदिवासी समुदाय के हितग्राहियों को अनुदान के रूप में 18 हजार रुपए की राशि प्रदाय की जाएगी ।

उन्होंने बताया कि कलेक्टर चंदन कुमार के मार्गदर्शन में यह कार्य डीएमएफ मद से संचालित किया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपयोग किए जा रहे सीमेन की दर 1150रु है। जिला-प्रशासन द्वारा पशुपालकों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शत-प्रतिशत् अनुदान दिया जा रहा है, जिससे पशुपालक लाभान्वित हो सकें। उन्होने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान का मुख्य उदेश्य नस्ल सुधार है। बछिया होने पर पशुपालकों को आय अर्जित करने का साधन मिल जाएगा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और किसानों की आय दुगनी करने में यह व्यवस्था मददगार साबित होगी।
