महासमुंद में पुलिस की निगरानी में युवक ने ली समाधी , 108 घंटे बाद जमीन के भीतर ही मौत , पुलिस अधिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग |   

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महासमुंद / छत्तीसगढ़ के महासमुंद में एक बार फिर सरकार की देखरेख में अंधविश्वास का खेल , खेला गया | इस घटना में एक व्यक्ति की  मौत हो गई | इस व्यक्ति ने जमीन के भीतर समाधी लेने का एलान किया था | सार्वजनिक रूप से वो गड्ढे में दाखिल भी हुआ , उसकी इस हरकत पर कई लोगों ने आपत्ति भी की | लेकिन स्थानीय पुलिस थाने ने कोई ध्यान नहीं दिया | बताया जाता है कि समाधी लेने से पूर्व इस शख्स ने अपना जोर-शोर से प्रचार भी किया था | लेकिन जिले के पुलिस अधिक्षक ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया | नतीजतन अंधविश्वास के हावी रहने से इस व्यक्ति की मौत हो गई | आमतौर पर समाधी लेने के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है | पुलिस और प्रशासन को  ऐसे मामलों में रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पूर्व में ही निर्देशित कर चूका है कि ना तो समाधी की अनुमति दी जाए , और ना ही इसका प्रचार-प्रसार हो सके | बावजूद इसके स्थानीय पुलिस की नाक के नीचे तीन दिनों तक समाधि लेने जैसा अंधविश्वास जारी रहा | चमन दास पिता दयालू जोशी की मौत के बाद पुलिस और प्रशासन जागा | 

महासमुंद में गुरु घासीदास बाबा की प्रेरणा का दावा कर एक शख्स ने जमीन के भीतर 108 घंटे की समाधि लगाने का ऐलान किया था | अपने दावे के अनुरूप यह शख्स 16 दिसंबर की सुबह आठ बजे समाधि लगाने जमीन के भीतर लगभग चार फीट के गड्ढे में दाखिल हुआ था। पांच दिन बाद 20 दिसंबर की सुबह आठ बजे जब उसे समाधि स्थल से बाहर निकाला गया तो वह बेहोशी की हालत में था। इस शख्स को फौरन बाहर निकालकर उसे निजी अस्पताल में ले जाया गया | निजी अस्पताल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे जिला अस्पताल महासमुंद रेफर कर दिया | इस शख्स की चिकित्स्कीय जांच के बाद यहां के डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

महासमुंद जिले के ग्राम पचरी में रहने वाला चमन लाल संत गुरुघासीदास का अनुयायी बताया जाता है | चमन लाल जोगी पिछले पांच सालों से लगातार खतरनाक तरीके से समाधि ले रहा था। लेकिन पुलिस और प्रशासन ने कभी भी अंधविश्वास के खेल पर रोक लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई | उसने पहले साल 24 घंटा, दूसरे साल 48 घंटा, तीसरे साल 72 घंटा, चौथे साल 96 घंटा की समाधि ली थी । चार बार बेहोशी की हालत में गड्ढे से जिंदा बच निकलने के बाद उसका हौसला और भी बढ़ गया था । पांचवी बार वो 108 घंटे की समाधि पर चार फुट गहरे गड्ढे में जा बैठा था | लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया | नतीजतन वो फिर वापस जिंदा नहीं लौटा।

फ़िलहाल पोस्टमार्टम के बाद उसका शव परिजनों को सौप दिया गया है | बताया जाता है कि जमीन के भीतर ऑक्सीजन की कमी के चलते दम घुटने से चमन लाल की मौत हुई है | बताया जाता है कि समाधी लगाने का प्रचार-प्रसार इलाके में काफी हुआ था | स्थानीय पुलिस और प्रशासन इस घटना से वाकिफ थे , बावजूद इसके किसी ने भी समय पर कोई कार्रवाई नहीं की | कई सामाजिक संगठनों और अंधविश्वास खत्म करने से जुडी संस्थाओं ने छत्तीसगढ़ सरकार और मानव अधिकार आयोग से इस घटना पर कार्रवाई की मांग की है |