रिपोर्टर – गेंदलाल शुक्ला
कोरबा / नगर पालिक निगम कोरबा हमेशा सुर्खियों में बनी रहती है। कारण है यहां व्याप्त नौकरशाही और नियम कानून को ताख पर रखकर किये जाने वाले फैसले। नगर निगम कोरबा का ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है। ई- टेंडरिंग का नियम लागू करने के बाद भी अधिकरियों ने अपनी कमाई और चहेतों को काम देने के इतने रास्ते निकाल लिए हैं कि कट-कमीशन का यह ‘निर्मम खेल’ अब भी जारी है। इसकी वजह से विभागों में भ्रष्टाचार पनप रहा है। ठेकेदार परेशान हैं और जनता काम की खराब गुणवत्ता का खामियाजा भुगत रही है। एक सप्ताह पहले ही निगम के अधिकारियों ने मनमानी कार्रवाई कर एक टेंडर को ही निरस्त कर दिया। अब दोबारा टेंडर किया जा रहा। नया टेंडर पिछले टेंडर से अधिक दर पर जाना तय है। ऐसे में शासन को पहुंचने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई कौन करेगा? यह सवाल मौजूं है।
जानकारी के अनुसार एक वर्ष पूर्व नगर निगम द्वारा ई टेंडर वार्ड क्र 42 रूमगरा बस्ती में नहर पर पुल निर्माण का कार्य ढाई करोड़ की लागत से आहत को गई थी। इस टेंडर को हाल ही में बिना किसी कारण निरस्त कर दिया गया। ठेकेदार द्वारा बताया गया है कि ई टेंडर पास होने के बावजूद ई-मेल के माध्यम से टेंडर निरस्त की जानकारी दी गई, जबकि ठेकेदार द्वारा टीडीआर एवं सुरक्षा निधि के रूप में 20 लाख रुपए गत वर्ष की जमा किए गए थे। इसके बावजूद नगर निगम द्वारा बिना किसी कारण के टेंडर को निरस्त किया गया है।
नगर निगम कोरबा में नियम कानून को जेब में रखकर लगभग गुंडागर्दी करते हुएएक तरफ फैसला लेने का यह पहला मामला नहीं है। ऐसे मामले अनेको हैं, लेकिन भ्रष्ट तंत्र के संरक्षण के कारण अफसरों के हौसले बुलंद हैं। इस मामले में संबंधित ठेकेदार अब हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है।