छत्तीसगढ़ के जशपुर में CRPF के शहीद जवान का किसान पिता मुसीबत में , धान बेचने के लिए खा रहा है दर दर की ठोकरे , सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुआ था बेटा 

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रिपोर्टर-प्रेम प्रकाश शर्मा 

जशपुर/  जशपुर जिले के फरसाबहार तहसील में केन्दूटोली के रहने वाले किसान रोथोराम यादव के पास साढ़े तीन एकड़ का खेत है। इस खेत से होने वाली धान की उपज को वह 2016 से मंडी में बेचते आ रहे हैं। उनका नाम तपकरा मंडी के भगोरा उपार्जन केन्द्र में दर्ज है। खरीफ सीजन 2019—20 के लिए भी इसी उपार्जन केन्द्र में उनका नाम दर्ज होना बताया गया था। लेकिन गिरदावरी के दौरान उनका रकबा शून्य कर दिया गया। रकबा शून्य करने के कारण जानने के लिए जब उन्होंने स्थानीय राजस्व कर्मचारियों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि जमीन का नामातंरण उनके नाम से नहीं हो पाया है। इस पर जब उन्होनें फरसाबहार के एसडीएम के सामने नामातंरण सहित तमाम दस्तावेज के लेकर पहुंचे तो रिकॉर्ड दुरूस्त कर धान खरीदी करने के लिए टोकन जारी करने का आश्वासन दिया गया। लेकिन इन आश्वासनों के चलते ,प्रदेश सरकार द्वारा धान खरीदी की अंतिम तिथि 20 फरवरी भी गुजर गई | लेकिन रोथो राम को टोकन अब तक नहीं मिल पाया। अब अपने 80 बोरा धान के साथ रोथो राम यादव घर में ही बैठे हुए है। 

जिले के कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि फरसाबहार क्षेत्र में तकनीकी खराबी की वजह से रकबा शून्य हो गया था, उन्होंने बताया कि अगर किसी किसान का रकबा शून्य होने की जानकारी आती है| तो शासन के निर्देश के अनुसार उनका धान खरीद लिया जायेगा।

वही किसान अपने शहीद बेटे को याद करते हुए भाव-विभोर हो गए सीआरपीएफ के 74 वीं बटालियन के जवान बनमाली यादव सुकमा जिले के बुरकापाल में 24 अप्रैल 2017 को अपने साथी जवानों के साथ दोरनापाल में सड़क निर्माण कार्य के सुरक्षा में तैनात थे। इसी दौरान इस टुकड़ी पर नक्सलियों ने उन पर और उनके साथियो पर हमला कर दिया जिसमे बनमाली यादव नक्सलियों से डटकर मुकाबला किया और वे शहीद हो गए थे। जवान के इस शहादत को सलामी देने के लिए तत्कालिन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वयं शहीद के घर पहुंचे थे। बनमाली यादव की इस शहादत को चीर स्थाई बनाने के लिए स्कूल का नामकरण भी किया गया, एवं उनके नाम से गांव के एक चौराहे पर प्रतिमा स्थापित की जा रही है। जो पिछले तीन साल से अब तक बन कर तैयार नही हुई है इन सारी कवायदों के बीच शहीद के पिता के साथ धान खरीदी के दौरान किया गया सरकारी व्यवहार,शहीद के प्रति अधिकारियों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा कर रहा है।