नई दिल्ली / कोरोना की एक साथ दो वैक्सीन को मिली मंजूरी से पीएम मोदी गदगद है। उन्होंने देश वासियों और वैज्ञानिकों को बधाई दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी दोनों देशी वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों को धन्यवाद और देश वासियों को बधाई दी है। बताया जाता है कि इस वैक्सीन की दो -दो डोज नागरिकों के लिए उपलब्ध होगी। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और नए स्ट्रेन के बीच दो-दो वैक्सीन को एक साथ मंजूरी मिली है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन ‘कोविशील्ड’, जिसका उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है और भारत बायोटेक की वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि डीसीजीआई की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी देना एक स्वस्थ और कोविड से मुक्त देश की ओर बढ़ता कदम है। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते से भारत में टीकाकरण अभियान शुरू होगा, जिसमें इन दोनों वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन लेने के बाद कितने दिन शरीर में एंटीबॉडी रहती है, अभी यह स्पष्ट रूप से बता पाना मुश्किल है। हालांकि भारत बायोटेक ने दावा किया है कि ‘कोवैक्सीन’ की वजह से शरीर में बनी एंटीबॉडी छह से 12 महीने तक कायम रहती है। ‘कोविशील्ड’ को लेकर अभी ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
‘कोविशील्ड’ क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती नतीजों में 90 फीसदी तक असरदार पाई गई थी। जबकि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा है कि कोवैक्सीन को 70.42 फीसदी प्रभावी पाया गया है। यह स्वदेशी वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर बनाई है।इस वैक्सीन को जेनेटिकली इंजीनियर्ड वायरस की मदद से तैयार किया गया है, इस वायरस की वजह से चिम्पांजी को सामान्य कोल्ड होता है। इस वायरस को काफी ज्यादा मोडिफाइड किया गया है ताकि इससे लोगों में संक्रमण नहीं हो और यह काफी हद तक कोरोना वायरस जैसा लगने लगा। इस वैक्सीन की मदद से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कोरोना वायरस पर हमला करना सीखता है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ का वितरण आने वाले हफ्तों में किया जाएगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा ‘कोविशील्ड’ को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी देने के तुरंत बाद उन्होंने यह टिप्पणी की। हालांकि कोवैक्सीन के वितरण को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है।स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि टीकाकरण अभियान के पहले चरण में देश के तीन करोड़ हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को मुफ्त में वैक्सीन दी जाएगी और बाकी 27 करोड़ वरीयता वाले लोगों को जुलाई तक वैक्सीन दिए जाने को लेकर फैसला किया जा रहा है। हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की कीमत को लेकर पहले कहा था कि ‘कोविशील्ड’ की एक डोज की कीमत करीब 500 रुपये हो सकती है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के निदेशक वीजी सोमानी का कहना है कि जिन वैक्सीन को मंजूरी दी गई है, वो 110 फीसदी सुरक्षित हैं, लेकिन हल्का बुखार, दर्द और एलर्जी होना किसी भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. ए. के. वार्ष्णेय कहते हैं कि ‘कोविशील्ड’ के परीक्षण के दौरान तो किसी प्रकार के एलर्जिक रिएक्शन की बात सामने नहीं आई है, लेकिन अगर आपको किसी भी चीज से एलर्जी है, तो वैक्सीन लगवाने से पहले डॉक्टर की जानकारी में दें।
भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के बारे में बताया जा रहा है कि यह एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ऐसी वैक्सीन वायरस या बैक्टीरिया को मारकर बनाई जाती है, इसलिए ये बीमारियां पैदा नहीं कर सकती। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत बायोटेक ने निष्क्रिय वायरस वैक्सीन विकसित करने के लिए उस वायरस का उपयोग किया है, जिसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा एक भारतीय मरीज से अलग किया गया था।