रायपुर / छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों को भत्ता देने को लेकर नौजवानों की बैचैनी बढ़ गई है | वे ढाई हजार रूपये प्रतिमाह की दर से 18 माह के 45 हजार रूपये प्रत्येक बेरोजगारों को देने की मांग कर रहे है | इन बेरोजगारों ने सरकार को उसका वो वादा याद दिलाया है जो उसने सत्ता में आने से पहले किया था | कांग्रेस के पार्टी घोषणा पत्र में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष राज्य के सभी नेताओं ने बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये प्रतिमाह स्टाइफंड के रूप में देना का वादा किया था | इसके लिए सालाना 3 हजार करोड़ के बजट के प्रावधान की भी घोषणा की गई थी | लेकिन डेढ़ साल बाद भी सरकार ने शिक्षित बेरोगारों की सुध तक नहीं ली |
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सोमवार को मुख्यमंत्री निवास के सामने एक बेरोजगार युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया | उसने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली | गंभीर रूप से जल चुके इस युवक का सरकारी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है | सरकार ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए है | वही दूसरी ओर इस मामले को लेकर राज्य में सियासत गरमा गई है | बेरोजगारी भत्ते के मामले को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया है | उसने कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अपने वादों से मुकर रही है | उसे पार्टी घोषणा पत्र के अनुरूप शिक्षित बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये प्रतिमाह देना चाहिए था | लेकिन डेढ़ साल बीत गया कांग्रेस सरकार ने बेरोजगारों की सुध तक नहीं ली | बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस की वादाखिलाफी के चलते प्रदेश के बेरोजगार मायूस होकर आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा रहे है |
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पार्टी प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि प्रत्येक बेरोजगार को ढाई हजार प्रतिमाह की दर से 18 माह का 45 हजार रूपये का फौरन भुगतान करना चाहिए | इसके लिए राज्य सरकार को फौरन कड़े कदम उठाने चाहिए | ताकि गांव से लेकर शहरों तक के शिक्षित बेरोजगारों को आजीविका चलाने के लिए कुछ रकम मिल सके |
उधर पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने भी बेरोजगारों को लेकर कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया है| उन्होंने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा है कि राज्य की जनता हरदेव की इस दशा को आपकी विफलता माने या सफलता? मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस ट्वीट के बाद एक और ट्वीट किया | इस ट्वीट में उन्होंने शेरो-शायरी के जरिये कांग्रेस सरकार पर तंज कसा |
उधर मामले की मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए गए है | दंडाधिकारी जांच के लिए जो बिन्दु निर्धारित किए गए है उनमें :- यह घटना क्यों और किन परिस्थितियों में हुई , घटना के पूर्व संबंधित किन-किन व्यक्तियों से मिला ,घटना के पीछे किसी की उत्प्रेरणा तो नहीं थी, वह क्यों और किसके सहयोग से रायपुर आया , क्या आत्मदाह का प्रयास के पूर्व इसकी लिखित सूचना किसी कार्यालय को दी गई थी , यदि मानसिक संतुलन ठीक नहीं था तो ईलाज के प्रयास परिवार वालों ने क्यों नहीं किया , संबंधित का राशन कार्ड में नाम है कि नहीं। क्या उन्हें विगत दो माह में राशन प्रदाय किया गया है कि नहीं। इसके अलावा परिस्थितिजन्य अन्य कोई बिंदु जो जांच के लिए आवश्यक होंगे को शामिल किया जाएगा।
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दरअसल छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गई है | राज्य में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या 15 लाख के लगभग है | राज्य में करीब सवा लाख नौजवान हर साल ग्रेजवेशन करते है | इनमे से कई युवा रोजगार के लिए पडोसी राज्यों की ओर पलायन भी करते है | बेरोजगारी का आलम ये है कि चपरासी जैसे मामूली पदों के लिए पोस्ट ग्रेजवेट और इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी आवेदकों की लंबी कतार लगती है | प्रदेश में कई उद्योग धंधों के बंद होने और लॉकडाउन की वजह से हजारों नौजवानों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है | ऐसे में शिक्षित बेरोजगारों का तनाव में आना स्वभाविक माना जा रहा है | हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेरोजगारों से अपील की है कि वे भावावेश में आकर ऐसा कोई कदम ना उठाये |
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बेरोजगारी को लेकर मुख्यमंत्री आवास के सामने यह अप्रत्याशित घटना पहली बार नहीं हुई है | इसके पूर्व भी साल 2016 में जब बीजेपी की रमन सिंह सरकार सत्ता में काबिज थी, उस दौरान भी ऐसी ही घटना सामने आई थी | उस वक्त योगेश साहू नाम के एक दिव्यांग ने भी मुख्यमंत्री निवास के सामने आग लगा ली थी | हालांकि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी | कांग्रेस के कार्यकाल में हुई इस घटना में पीड़ित की हालत स्थिर बताई जा रही है | गौरतलब है कि दोनों ही घटनाओं में पीड़ित बेरोजागारी से परेशान होकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे |