छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए महीने की ‘रेडी टू ईट योजना’ को आखिर किसके हांथों सौपने की तैयारी में है कांग्रेस सरकार ? केन्द्रीयकृत व्यवस्था के पीछे कौन ? आटोमेटिक मशीन का उपक्रम स्थापित करने वाले ‘सेठ’ जी पर इतनी मेहरबानी कैसे ? आखिर क्यों 25 हज़ार से ज्यादा महिलाओं की रोजी रोटी छीनने पर आमादा है छत्तीसगढ़ सरकार ? 2 और 3 मार्च को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर लोगों की निगाहें…

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रायपुर/बिलासपुर:- छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के एक फैसले से राज्य की लगभग 25 हज़ार महिलाओं के रोजगार पर संकट के बादल घिर आए हैं. ये महिलाएं स्व सहायता समूहों के जरिए स्कूली बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन तैयार कर वितरित करती है. कांग्रेस सरकार के फैसले से इनका रोजगार छिनने की कगार पर आ गया है. राज्य सरकार की दलील है कि अब यह भोजन केंद्रीयकृत व्यवस्था से संचालित होगा.

स्वचालित मशीनों के ज़रिए रेडी टू ईट आहार का उत्पादन किया जाएगा. जबकि स्व सहायता समूहों को परिवहन एवं वितरण कार्य सौपा जाएगा. हालांकि सरकार ने यह नहीं बताया कि नई व्यवस्था से पूर्व से कार्यरत इन स्व सहायता समूहों की आय में वृद्धि होगी या फिर गिरावट के कोई आसार नहीं है. राज्य सरकार ने दावा किया है कि मशीन से पोषण आहार की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जाएगा. यह कार्य कृषि विकास एवं कृषक कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंर्तगत छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के संयुक्त उपक्रम रायगढ़ सयंत्र द्वारा प्रदाय किया जाएगा.

सरकार की ओर से बेरोजगारी की दहलीज़ पर महिलाओं को भेजने के लिए कानूनी दांव पेंचो का भी सहारा लिए जाने की खबर है. सरकारी दावे में कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एवं फ़ूड सेफ्टी हाइजिन निर्देश 2013 में पूरक पोषण आहार निर्माण में स्वच्छता सम्बन्धी मानक निर्देश दी गए है.

इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि हितग्राहियों को दी जा रहे पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत रेडी टू ईट में निर्धारित ऊर्जा माइक्रोन्यूट्रीएंट्स (कैलोरी, प्रोटीन, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन, नाईसीन, कैल्शियम, थायमिन, आयरन, बिटामिन ए, बी 12, सी एवं डी )होने के साथ वह फोटिफाईड एवं फाइन मिक्स होना चाहिए. इसके साथ ही रेडी टू ईट मानव स्पर्शरहित स्वचालित मशीन द्वारा निर्मित एवं जीरो संक्रमण रहित होना चाहिए. छत्तीसगढ़ सरकार को इस प्रावधान की तीन साल बाद अचानक याद आना चर्चा में है. हालांकि स्व सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा रेडी टू ईट इसी पैमाने पर खरा उतरा है.

22 नवंबर 2021 को कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने रेडी टू ईट फ़ूड के केंद्रीयकृत व्यवस्था के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके बाद से प्रदेश भर के स्व सहायता समूह सकते में है. शासन के इस निर्णय को पांच महिला स्व सहायता समूहों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इसके अलावा 230 अलग अलग रिट पिटीशन भी दायर हुई. इस मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजीव दूबे, राकेश पांडे और सिद्धार्थ पांडे के मुताबिक़ शासन का ऐसा निर्णय हैरान करने वाला है. उनके मुताबिक हज़ारों महिलाए इस फैसले से बेरोजगार हो जाएंगी. यही नहीं किसी को भी बगैर नोटिस और सुनवाई किए यह फैसला लिया गया है. मतलब साफ़ है कि, किसी खास पक्ष को लाभ पहुचाने के लिए ही यह कवायत की जा रही है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका और राहुल गांधी महिलाओं को रोजगार दिलाने की मांग पर वोट मांग रहे हैं. राज्य में कांग्रेस महिला सशक्तिकरण की डींगे हांक रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आगरा में आयोजित युवा संसद में रोजगार का राग छेड़ रहे हैं. इस बीच अपने प्रदेश में महिलाओं को बेरोजगारी की दहलीज़ पर पहुंचाने के लिए वो आश्चर्यजनक फैसले लिए जा रहे हैं. इन फैसलों को लागू कराने की सरकारी पहल के बीच इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि रेडी टू ईट तैयार करने वाले सयंत्र के मालिक और पार्टनर कौन है ? आखिर क्यों बगैर टेंडर-निविदा जारी किए राज्य सरकार उन पर इतनी मेहरबान है ?

एक जानकारी के मुतबिक रेडी टू ईट निर्माण की नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2022 से लागू करने के लिए कांग्रेस सर्कार ने कमर कस ली है. इस सम्बन्ध में 18 जनवरी 2022 को आदेश जारी किया जा चुका है. उधर 2 और 3 मार्च को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मामले की अंतिम सुनवाई होगी. लिहाजा लोगों की निगाहें राज्य सरकार के नए पैतरे पर टिकी हुई है.