रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के राजपुत्र और पुत्री की पहली झलक सामने आई है, तस्वीर देखकर भू-पे के फैन्स खुशी जाहिर कर रहे हैं। राजनेता के कुनबे में बहार देखकर भले ही परिवार में घमासान मचा हो लेकिन नौनिहालों की यह तस्वीर फैन्स को बहुत लुभा रही है। बताते हैं कि कका के च्यवनप्राश और शक्तिवर्धक नुस्खों को जानने के लिए भू-पे फैन्स खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
बताते हैं कि मुखिया जनता का पालक होता है। इस लिहाज से इन नौनिहालों को लेकर फैन्स अलग अलग राय जाहिर कर रहे हैं। हालाकि अभी तक यह स्पष्ट नही हो पाया है कि इन जुड़वा बच्चों के आधिकारिक रूप से अनुवांशिक माता पिता कौन है ?DNA टेस्ट के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी। भू-पे को करीब से जानने वाले दावा कर रहे हैं कि यह बच्चे हूबहू “बिट्टू बिट्टी” की तरह नजर आ रहे हैं। वो बताते हैं कि कई महीनों बाद उन्हें पता चला कि आखिर क्यों बिट्टी ने जान देने की कोशिश की थी?
उनके मुताबिक नौनिहालों को लेकर मचे घमासान के बीच बिट्टी ने आत्महत्या की कोशिश की थी। उसे आनन फानन में एयर एम्बुलेंस से रायपुर से दिल्ली रेफर किया गया था। यहां मेदांता अस्पताल में इलाज के बाद बिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार आया था। करीबी यह भी दावा करते हैं कि एयर एम्बुलेंस और अस्पताल के खर्चों का नगद भुगतान किया गया था। ताकि किसी को बिट्टी के आत्मघाती कदम की कानों कान खबर ना हो पाए। हालाकि ऐसा हो ना सका, परिवार में मचे घमासान से मामला DNA टेस्ट के सफर पर निकल पड़ा है।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव ने जोर पकड़ लिया है। इस बीच सोशल मीडिया में वायरल कुछ तस्वीरों को लेकर जमकर माथा पच्ची हो रही है। इन तस्वीरों में दिख रही सूरत और सीरत पहली नजर में हूबहू बिट्टू और बिट्टी से मेल खाती कई लोगों को नजर आ रही है। उन्हें लगता है कि यह तस्वीर सालों पुरानी है।
शायद इतने सालों बाद वायरल हुई है, ये लोग कतई मानने को तैयार नही हैं की तस्वीरों में नजर आ रहे ये नौनिहाल पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया और उनके पति सौरभ के नही हैं। राजनेताओं के पारिवारिक मामलों की जानकारी रखने वाले पंडित बताते हैं कि मामला “हम दो हमारे दो, जनता को भाड़ मे जाने दो”से जुड़ा है।
बताया जाता है कि ये नौनिहाल एक राजनेता और उसकी करीबी महिला के गैरकानूनी कब्जे में है। इस मामले की पूर्व में शिकायत बाल आयोग और तत्कालीन कलेक्टर रायपुर के कार्यालय में भी की गई थी। लेकिन भू-पे जंगल राज में पीड़ितों की आवाज “नक्कारखाने में तूती की आवाज”की तरह दब कर रह गई थी। पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है। उन्हें महसूस हो रहा है कि राज्य के “Live”एन डी तिवारी के हाथों से सत्ता छीन कर लोकतंत्र के नए महारथी के हाथों में आ गई है,नया मुखिया ईमानदार है और जनता के प्रति समर्पित भी।
इसलिए न्याय होगा ? बस सरकार को बिट्टू बिट्टी के नए मॉडल का DNA टेस्ट कराने भर का फरमान जारी करना है। सबका साथ सबका विकास होगा। राज्य में लोकतंत्र के महापर्व के अवसर पर ग्रामीण अंचलों में पूछा जाने लगा है कि ये लईका मन के दाई ददा कौन हे ? ये सवाल बडे साहब से लेकर जनता मन पूछत हावय आखिर ये ऊमर मे कका ला कोख खरीदे के काबर जरूरत परिस ? नोनी, बाबू के अनुवांशिक दाई दादा के खोजबिन जारी हवैय।
बताते हैं कि हम दो हमारे दो,जनता को भाड़ में जाने दो, इस संकल्प के साथ भू-पे का मुख्यमंत्री कार्यकाल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक, तात्कालीन मुख्यमंत्री ने पूरे पाँच साल नाच गाने और मौज मस्ती मे गुजार दिए। छत्तीसगढ़ को दिल्ली दरबार का एटीएम बना दिया। छत्तीसगढ़ महतारी को भले ही मोहम्मद गजनवी के तर्ज पर लूट डाला, लेकिन महिलाओं के प्रति हमेशा सेवाभावी रहे वो भी 24× 7।
बताते हैं कि निःसंतान दंपत्तियों के कल्याण के लिए तो नेताजी ने खुद को भी समर्पित कर दिया। नेताजी हवस के नही बल्कि लोकतंत्र के पुजारी हैं। बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री का निःसंतान दंपत्तियों की गोद भरने का सरकारी कार्यक्रम इतना रंग लाया की आम कांग्रेसियों के अरमानों पर पानी फिर गया।