रायपुर / छत्तीसगढ़ में शराब के धंधे में गैंगवार के आसार बढ़ गए है | बताया जा रहा है कि इस कारोबार में एक वो गिरोह है जिसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है | इस गिरोह ने लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर प्रदेशभर में मुंह मांगी कीमत पर शराब की बिक्री की थी | जबकि दूसरा गिरोह वह है , जिसकी धरपकड़ में पुलिस और आबकारी विभाग की टीम रोजाना जुटी रहती है | दोनों ही गिरोह के बीच गैंगवार के आसार उस समय बढ़ गए जब राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन ने शराब की ऑनलाइन होम डिलीवरी के लिए टेंडर निकाला | इस टेंडर की शर्तों को लेकर सवालियां निशान लग रहा है | बता दे कि बीते वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ सरकार को 400 करोड़ से ज्यादा का आबकारी राजस्व का नुकसान हुआ है | इसके पीछे शराब की अवैध बिक्री बताई गई थी | लेकिन इस वित्तीय वर्ष में तो अवैध शराब के कारोबारियों ने शराब की घर पहुँच सेवा का सरकार की तर्ज पर समानांतर नेटवर्क खड़ा कर लिया है |
राज्य में शराब की ऑनलाइन होम डीलिवरी के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन ने जो टेंडर जारी किया हैं उसमें उस गिरोह को तरजीह मिलना लाजमी बताई जा रही है जो लॉकडाउन के दौरान वैध-अवैध तरीके से शराब की आपूर्ति कर रहा था | दरअसल देश में शराब की ऑनलाइन बिक्री का फार्मूला किसी भी राज्य में अमल में नहीं लाया गया था | लॉकडाउन के दौरान शराब की जबरदस्त मांग के चलते कई राज्यों ने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की थी | लेकिन अब छत्तीसगढ़ में नौकरशाहों से लेकर कई राजनेताओं और उनसे जुड़े गुर्गों के लिए इसे कमाई का वैधानिक जरिया बनाये जाने की कवायतें तेज हो गई है |
इसके लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन ने टेंडर की शर्तों में तय किया है कि शराब की होम डीलिवरी के टेंडर में वही एजेंसी शामिल हो सकती है जिसे शराब की होम डिलीवरी का एक माह का अनुभव हो। जाहिर है , यह शर्त वही एजेंसी पूरी करेगी , दावा किया जा रहा है कि जो साहब के मालिकाना हक़ की है | दरअसल लॉकडाउन के दौरान जिन अवैध ठिकानों से शराब की खुलेआम बिक्री की जा रही थी , ऐसे तत्व दावा कर रहे थे कि साहब ने उन्हें इसके लिए अधिकृत किया है |इसके चलते ना तो पुलिस और प्रशासन उन पर दबिश दे सकता है , और ना ही मीडिया उनकी असलियत बता सकता है | लिहाजा ग्राहकों से उन्होंने बेफिक्री के साथ भरपूर शराब खरीदने का आग्रह किया था |
छत्तीसगढ़ में शराब की आनलाइन होम डिलीवरी अधिकृत रूप से लॉकडाउन – 3 के दौर में शुरू हो गई थी | इसे जारी हुए अब लगभग पखवाड़ा भर बीत चूका है | मौके की नजाकत को देखते हुए आबकारी विभाग के अफसरों ने अपने प्रभुत्व वाली प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए शराब की होम डीलिवरी जारी की थी | आबकारी विभाग की सूची में शराब की होम डीलिवरी के लिए जिन प्लेसमेंट एजेंसी के नाम शामिल हैं , उनमें सुमीत फेसीलिट्रीस, प्राइम वन, ए टू जेड व अलर्ट कमांड़ों ये सभी सत्ताधारी दल के प्रभावशील नेताओं से जुड़े कारोबारियों की बताई जा रही है |
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जानकारी के मुताबिक सुमीत फेसीलिट्रीस और प्राइम वन प्लेसमेंट एजेंसी वर्तमान में शराब की होम डीलिवरी कर रही हैं। माना जा रहा है कि टेंडर में शराब की होम डीलिवरी का अनुभव की जो शर्त जोड़ी गई है उसके पीछे सुनियोजित तरीके से उन्हीं एजेंसियों को शराब की होम डीलिवरी का ठेका देने दिलाने की तैयारी चल रही है जो वर्तमान में शराब की होम डीलिवरी कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक दोनों एजेंसियों को महीने भर के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बिना टेंडर ही शराब की होम डीलिवरी का काम दिया गया था । ताकि भविष्य में इन्हे शराब की होम डीलिवरी का अनुभव प्रमाण पत्र प्रदान कर सामने के दरवाजे से ऑनलाइन शराब डिलीवरी का ठेका दिया जा सके | बताया जाता है कि अपने स्वामित्व वाली एजेंसी को उपकृत करने लिए शर्तों में ये क्लॉज भी जोड़ी गई है कि जिस एजेंसी के पास एक माह का अनुभव प्रमाणपत्र होगा उसे ठेका में 10 प्रतिशत बोनस अंक अलग से दिए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में शराब की आनलाइन होम डीलिवरी के टेंडर को लेकर विवाद शुरू हो गया है | इस टेंडर में भाग्य आजमाने के लिए सक्रीय अन्य एजेंसियों का कहना है कि शराब की आनलाइन होम डीलिवरी का अनुभव प्रमाण पत्र किसे देना है , साहब पहले ही तय कर चुके हैं | लिहाजा टेंडर की शर्तों में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन ने अपनों को उपकृत करने वाली शर्त डाली है | राज्य में शराब की आनलाइन होम डिलीवरी का ठेका एक तरह से शराब के प्रचलन को बढ़ावा देने जैसा है |
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इसे लेकर कई सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की यह कहकर आलोचना की थी कि वो राज्य में शराब बंदी के वादे को लेकर सत्ता में आई थी | लेकिन अब खुद सरकार ने घर घर शराब उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है | ज्यादातर लोगों का मानना है कि अब शराब दुकानें पहले की तरह रोजाना खुलने लगी है | ऐसे में होम डिलीवरी का फार्मूला औचित्यहीन है |