रायपुर / छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री-राज्यपाल समेत लाखों सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों का सितंबर माह का वेतन बीएसएनएल ने अटका दिया है | हालत ये है कि सरकारी कोषालय के अफसर बीएसएनएल के अधिकारियों के सामने नाक रगड़ रहे है | बावजूद इसके उन्हें कोई रिस्पांस नहीं मिल पाया है | समाचार लिखे जाने तक रायपुर स्थित मुख्य कोषालय का नेट ठप्प होने से सिस्टम क्लोज है | नतीजतन राज्यपाल और मुख्यमंत्री जैसे वीवीआईपी को समय पर वेतन मिलना मुश्किल नजर आ रहा है | यही हाल अन्य सरकारी सेवको का है | न्यूज़ टुडे ने कनेक्टिविटी ठप्प होने को लेकर बीएसएनएल के अधिकारियों से संपर्क किया | लेकिन सरकारी छुट्टी का हवाला देकर अफसरों ने इस मामले में अनभिग्यता जाहिर की |
आमतौर पर बाजार में नेट कनेक्टिविटी को लेकर कई प्राइवेट कंपनियां फौरन ग्राहकों की सुध लेती है | लेकिन सरकारी बीएसएनएल ने इन दिनों बाजार में अपनी सिर्फ प्रतिष्ठा ही नहीं बल्कि पेशेवर कामकाज को लेकर अपनी विश्वसनीयता भी खो चूका है | कई ग्राहकों को नेट ठप्प होने के बावजूद पूरा भुगतान अदा करने पर विवश किया जाता है | लेकिन सुविधा और उपभोक्ता के अधिकारों को लेकर बीएसएनएल अफसर कोई तव्वजों नहीं देते | यही नहीं शिकायतों के बावजूद कई कई दिनों तक सेवाएं सुचारु रूप से संचालित नहीं हो पाती | जबकि प्राइवेट सेक्टर में ग्राहकों की शिकायतों को प्राथमिकता के साथ निपटाया जाता है | बीएसएनएल के सरकारी करण का आलम यह है कि एक समय सरकार की तिजोरी भरने वाली यह एजेंसी अपनी कार्यप्रणाली के चलते जनता और सरकार पर बोझ बन गई है | इसीलिए भुक्त भोगियों ने बीएसएनएल का नाम “भूल से भी ना लेना” कर दिया है |