रायपुर / छत्तीसगढ़ में एक ओर जहाँ राज्य महिला आयोग सक्रियता के साथ महिलाओं से बदसलूकी करने वाले तत्वों और प्रताड़ना के आरोपियों के साथ सख्ती बरत रहा है, वही दूसरी ओर मंत्रालय से लेकर विभागाध्यक्ष ऐसे कर्मियों – अफसरों को संरक्षण देने में पीछे नहीं है। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और अश्लील हरकतों के आरोपों से घिरे कर्मियों – अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई पर जोर देने के बजाये उन्हें प्रोत्साहित करने की नई परंपरा कायम होने से लोग हैरत में है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के प्रभारी संपदा अधिकारी एम एच शेख का है। इस अफसर पर उनकी सहयोगी महिला कर्मचारी ने अश्लील और अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
पीड़ित कर्मी ने मामले की लिखित शिकायत कमिश्नर और विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर से की थी। यही नहीं पीड़िता ने एम एच शेख के खिलाफ राज्य महिला आयोग में भी शिकायत की थी। इस मामले में वैधानिक कार्रवाई पर जोर देने के बजाये कमिश्नर ने एम एच शेख को पदोन्नति देने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बताया जाता है कि एम एच शेख को पदोन्नति देने के लिए कमिश्नर की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की जमीन घोटाले वाली शांति नगर रिडेवेप्लोमेंट योजना के लिए एम एच शेख को चीफ अकॉउंटेट बनाने की साजिश रची गई है। इसके चलते सिर्फ उनकी पदोन्नति के लिए कमिश्नर खास रूचि दिखा रहे है।
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के प्रभारी संपदा अधिकारी एम एच शेख की कार्यप्रणाली को लेकर भी कर्मियों में काफी रोष है। उन्होंने लिखित शिकायत कर कमिश्नर को अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। हालाँकि पीड़ितों की शिकायतों को दरकिनार किये जाने की भी खबर है। बताया जाता है कि एम एच शेख पूर्व में जेल की भी हवा खा चुके है। उन्हें अनुसूचित जाति जनजाति प्रताड़ना अधिनियम के तहत पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जानकारी के मुताबिक आरोपी एम एच शेख ने अपने सहकर्मी के साथ मारपीट और गाली गलौज की थी। पीड़ित कर्मी बताते है कि 24 घंटे से अधिक वक़्त तक जेल की हवा खाने के बावजूद आरोपी शेख को निलंबित नहीं किया गया था।
इससे उसके हौसले इतने बुलंद हुए कि वो महिलाओं के साथ भी प्रताड़ना और बदसलूकी करने में नहीं चूकता। जानकारी के मुताबिक विभागीय मंत्री और अफसरों के संरक्षण के चलते एम एच शेख की पदोन्नति की फाइल मंत्रालय में तेजी से दौड़ रही है। उधर सिर्फ हाउसिंग बोर्ड ही नहीं बल्कि पुलिस मुख्यालय और स्वास्थ विभाग समेत कई सरकारी दफ्तरों में महिला प्रताड़ना से घिरे कर्मियों – अफसरों की पदोन्नति और वाह वाही चर्चा में है। रायपुर के सबसे बड़े मैकाहारा अस्पताल के तत्कालीन सुप्रीटेंटेड डॉ. विवेक चौधरी को पदोन्नति दे दी गई। जानकारी के मुताबिक डॉ. विवेक चौधरी पर पीजी की एक छात्रा ने यौन शोषण के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था।
उसने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि डॉ. चौधरी मोबाइल पर ‘KISS’ डिमांड करते है। पीड़िता ने सबूतों के साथ मामले की शिकायत डीन समेत अन्य जिम्मेदार अफसरों को की थी। लेकिन पीड़िता की शिकायत दरकिनार कर दी गई। यही हाल पुलिस मुख्यालय में तैनात अतिरिक्त पुलिस महानिर्देशक पवन देव का है। एक महिला पुलिस कर्मी ने भी उनके खिलाफ यौन शोषण समेत बदसलूकी के गंभीर आरोप लगाए थे। उनके खिलाफ गठित विशाखा कमेटी ने उन आरोपी को प्रमाणित पाया था। विशाखा कमेटी ने इस मामले में ADG पवन देव के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई किये जाने की सिफारिश की थी। लेकिन तत्कालीन IG पवन देव को AGD के पद पर पदोन्नति दे दी गई।
छत्तीसगढ़ में पहली बार राज्य महिला आयोग काफी सक्रीय दिखाई दे रहा है। राजनैतिक दांवपेचों से परे हटकर आयोग की अध्यक्ष किरण मई नायक लगातार पीड़ित महिलाओं की सुध ले रही है। रायपुर से लेकर अलग – अलग जिलों में उनके दौरों से महिला प्रताड़ना के मामलों की जाँच में तेजी आई है। लेकिन मंत्रालय से लेकर विभागाध्यक्ष कार्यालयों में महिला प्रताड़ना के आरोपियों के प्रति नरमी बरते जाने की कार्य प्रणाली से महिला आयोग के अरमानों पर पानी फिर रहा है। राज्य सरकार को अपने वादे के मुताबिक प्रताड़ना की मार झेल रही महिलाओं के संरक्षण और न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।