रायपुर / छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषक और समाजसेवी प्रकाशपुंज पांडेय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि जिस प्रकार से पिछले 40 दिन से ज्यादा समय से पूरा भारत संपूर्ण लॉकडाउन में है उससे पता चलता है कि भारत की जनता सरकार के दिशा निर्देशों का बखूबी पालन करना जानती है। लेकिन इसकी दूसरी तरफ एक बात बहुत जरूरी है कि क्या सरकार भी जनता की सुध लेती है? क्या देश की केंद्र और राज्य सरकारें अपनी जनता के प्रति संवेदनशील है?
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि जिस प्रकार से केंद्र व राज्य सरकारें पूंजीपतियों और ग़रीबों के हितों को देखते हुए उनके लिए तत्परता से कार्य कर रही है उसी प्रकार एक और वर्ग है इस देश में, इस समाज में जिसे कहा जाता है “मध्यमवर्ग”। उस मध्यम वर्ग के व्यक्ति की भी व्यथा को सरकार को समझना होगा। उस मध्यम वर्ग के छोटे व्यापारी और मझोले व्यापारी को भी सरकार को ध्यान देना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उस वर्ग के लोग तथा व्यापारी इस विपत्ति के समय कैसे अपना जीवन जी रहे हैं? क्योंकि उन्होंने सबसे ज्यादा इन्होंने ही लॉकडाउन में सरकार के नियमों का पालन किया है। लेकिन आज क्या उनके पास पर्याप्त मात्रा में धन है? क्या उनके पास पर्याप्त मात्रा में खाने की सामग्री है? इसके बारे में सरकार को सोचना होगा। लॉकडाउन को 40 दिन से ऊपर हो गए हैं, व्यापार ठप है, बाजार बंद है, तो सरकार को यह सोचना होगा कि यह मध्यम वर्ग के लोग किस प्रकार से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और इनके सामने क्या क्या परेशानियां खड़ी हो सकती है?
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने सरकार से अपील की है कि कृपया मध्यमवर्ग और छोटे व्यापारी के बारे में भी सरकार सोचे और उनके लिए भी कुछ उचित कदम उठाए।