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छत्तीसगढ़ में हाऊसिंग बोर्ड के घटिया और गुणवत्ताविहीन मकानो को 15-20 फीसदी कम दर पर जनता को टिकाने में जुटी कांग्रेस सरकार , ग्राहकों को चूना लगाने के पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के पैतरे को फिर आजमाया

रायपुर | छत्तीसगढ़ में हाऊसिंग बोर्ड के गुणवत्ताविहीन और घटिया दर्जे के हजारो मकानों को एक बार फिर ग्राहकों को टिकाने के लिए मौजूदा कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है | फैसले में उन मकानों को अब 15 से 20 फीसदी कम दरों पर बेचने के लिए अनुमति दी गई है | कांग्रेस सरकार का यह फैसला कोई नया नहीं प्रतीत पड़ रहा है | इसके पूर्व भी ऐसी कई बार कोशिशे हो चुकी है ,लेकिन हाऊसिंग बोर्ड को ग्राहक ढूंढे नहीं मिल रहे है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में निर्मित घटिया और गुणवत्ताविहीन मकानों को रियायती दरों में बेचने की कई कोशिशे हुई | बावजूद इसके खाली पड़े हजारो मकानों को खरीदने में ग्राहकों ने कोई रूचि नहीं दिखाई | मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पुरानी बोतल में नई शराब की तर्ज पर एक बार फिर उन मकानों को बेचने की कार्य योजना तैयार की है | प्रदेश भर में हाऊसिंग बोर्ड के हजारो मकान खाली पड़े है | ये मकान लगातार जर्जर हो रहे है | दिलचस्प बात यह है कि हाउसिंग बोर्ड के घटिया निर्माण कार्यो को लेकर दागी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने में मंत्रिमंडल ने कोई फैसला नहीं लिया | अलबत्ता ग्राहकों को चूना लगाने के लिए रियायती दरों पर मकान बेचने के फैसले पर मंत्रिमंडल ने अपनी मुहर लगा दी | छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के उपभोक्ता नए ग्राहकों को सलाह दे रहे है कि उसके झांसे में फंसने से पहले ग्राहक उन प्रोजेक्ट का जायजा और वहां रहने वाले निवासियों से रूबरू हो जो भुक्तभोगी है | ऐसे में लोकलुभावन योजनाओ के बावजूद हाउसिंग बोर्ड के मकान ठिकाने लग पाएंगे कहना मुश्किल है | भुक्तभोगियों के मुताबिक हॉउसिंग बोर्ड के ज्यादातर प्रोजेक्ट फेल हो चुके है , वे ही प्रोजेक्ट कामयाब रहे जहां गुणवत्ता से समझौता नहीं किया गया |

इन मकानों को पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में निर्मित किया गया था | लेकिन भुक्त भोगियों की हालत देखकर ग्राहकों ने इन मकानों की खरीददारी के मामले में सूझबूझ दिखाई ,नतीजतन हजारो लोगो ने उन मकानों का सिर्फ मुआयना करना ही मुनाफिब समझा | मौके का जायजा लेने के बाद खरीददारों को हाऊसिंग बोर्ड के मकानों की गुणवत्ता और कालोनियों के रखरखाव की असलियत सामने आई | लिहाजा कई लोगो ने ऐसे मकानों को खरीदने से पल्ला झाड़ लिया | हालांकि कई लोग ऐसे भी थे ,जो हाऊसिंग बोर्ड की लोकलुभावन योजनाओ के झांसे में आ गए | उन पर अब यह मकान और उसका रखरखाव भारी पड़ रहा है | कई लोगो ने तो जिस दर पर उन मकानों को ख़रीदा था ,उसी दर पर ऐसे मकानों को बेचना मुनासिब समझा | जैसे-तैसे हाउसिंग बोर्ड के चंगुल से छूटे ग्राहक अब राहत की साँस ले रहे है |

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने राज्य भर में विभिन्न योजनाओ के तहत MIG ,HIG ,सीनियर HIG और ड्यूप्लेक्स तैयार कर जरूरतमंद ग्राहकों को बेचा है | ग्राहकों के मुताबिक नए नवेले मकानों को खरीदते वक्त उन्हें खूब ख़ुशी हुई ,लेकिन जैसे ही बारिश का मौसम आया पहले ही दौर में उनके मकानों की असलियत सामने आ गई | हाऊसिंग बोर्ड के फ़्लैट हो या फिर ग्राउंड फ्लोर के मकान ,ज्यादातर मकानों में सीपेज और पानी के रिसाव को लेकर उनकी मुसीबते बढ़ गई | रही सही कसर ,इन मकानों के खडकी दरवाजो ने निकाल दी | हाउसिंग बोर्ड के रायपुर स्थित हीरापुर प्रोजेक्ट के सैकड़ो रहवासी लंबे अरसे से अपनी समस्याओ को लेकर दो चार हो रहे है | लेकिन मकान बेचने के बाद एक बार भी अफसरों ने अपने ग्राहकों की समस्याओ को सुलझाने में कोई रूचि नहीं दिखाई | हाउसिंग बोर्ड का मकान खरीदने के बाद आज ये ग्राहक मूलभूत समस्याओ को लेकर कभी जिला प्रशासन का तो कभी मंत्रालय का चक्कर कांट रहे है | यहाँ निवासरत देवीलाल साहू ,अरविंद वर्मा ,कनक शर्मा ,श्रीमती मोहनी साहू और श्रीमती दुर्गा देवी ने ग्राहकों को आगाह किया है कि हाउसिंग बोर्ड के किसी भी प्रोजेक्ट पर भाग्य आजमाने से पहले जरूर उन मकानों की हालात का परीक्षण करे |

इधर मौजूदा कांग्रेस सरकार ने हाउसिंग बोर्ड के मकानों पर 20 फीसदी की कटौती कर ग्राहकों को लुभाने की कवायत शरू की है | ऐसी ही कवायत पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार तीज त्यौहार के मौके पर पहले कर चुकी है | बड़े -बड़े विज्ञापनों और वादो पर भरोसा कर हजारो ग्राहकों ने हाउसिंग बोर्ड के विभिन्न प्रोजेक्ट पर निवेश किया | लेकिन ज्यादातर निवेशकर्ता आज पछता रहे है | बताया जाता है कि मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में निर्मित उन मकानों को ठिकाने लगाने के लिए खरीदी में छूट दी है ,जो लाखो कोशिशों के बावजूद उसके कार्यकाल में बिक नहीं पाये थे | ऐसे मकान प्रदेश के ज्यादातर जिलों में है | सालो से बंद पड़े ज्यादातर मकान जर्जर हालत में है | इन्हे जस की तस हालत में काफी रियायती दामों में बेचने के बजाये हाउसिंग बोर्ड इन्हे मात्र 20 फीसदी की कटौती पर बेचने में तुला है |

बताया जाता है कि हाऊसिंग बोर्ड के वही प्रोजेक्ट कारगर साबित हुए है ,जो शहरो के भीतर और आसपास उन अफसरों की निगरानी में निर्मित किए गए जिनका कमीशनखोरी से कोई वास्ता नही था | ऐसे अफसरों की देखरेख में निर्मित मकान टिकाऊ और भरोसेमंद साबित हुए | जबकि विवादित कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार से करीब का नाता रखने वाले अफसरों के कार्यकाल में निर्मित मकानों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतों का अंबार लग चूका है | ऐसे मकानों को ग्राहकों ने खरीद तो लिया ,लेकिन उनकी जमा पूंजी अब उन गुणवत्ताविहीन मकानों की मरम्मत में लग रही है |

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के विभिन्न प्रोजेक्ट का जायजा लेने के लिए अपने संवाददाताओं को मौके पर भेजा | ज्यादातर इलाको में ग्राहकों और निवेशकर्ताओं ने असंतोष जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ हाऊंसिंग बोर्ड और उसके अफसरों की कार्यप्रणाली को आड़े हाथो लिया | नाराजगी जाहिर करने वाले शख्स हाऊंसिंग बोर्ड की निम्न आय वर्ग ,सामान्य और उच्च आय वर्ग से जुडी योजनाओ के निवेशकर्ता और ग्राहक थे | ग्राहकों ने यह भी आरोप लगाया कि गुणवत्ताविहीन कार्यो और घटिया निर्माण की कई शिकायते उनके द्वारा की गई थी | लेकिन हाऊसिंग बोर्ड ने किसी भी अफसर के खिलाफ कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की | फ़िलहाल हाऊसिंग बोर्ड एक बार फिर ग्राहकों को चूना लगाने के लिए लोकलुभावन योजनाओ का पैतरा फेक रहा है | उसके झांसे नए ग्राहक फंसते है ,या नहीं यह देखना गौरतलब होगा |   
 

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