छत्तीसगढ़ में नक्सली मोर्चे पर डटे जवानों को घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट, मोटे कमीशन के चक्कर में आपराधिक धांधली, डीजीपी समेत तीन IPS कठघरे में, CBI जांच की मांग…..

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दिल्ली / रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सली मोर्चे पर डटे जवानों की जान जोखिम में है, ये कोई नई बात नहीं है, यहाँ पग – पग पर मौत मंडराती है। हमारे जवान नक्सलियों से लोहा ले रहे है। इस उम्मीद पर कि छत्तीसगढ़ सरकार को उनकी जान की परवाह है, लेकिन इन जवानों को नहीं पता कि आत्मरक्षा और दुशमनों की गोली का सामना करने के लिए उन्होंने जो बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखे है, वो स्टैण्डर्ड पैमाने पर खरे उतरते है की नहीं, इसे लेकर संशय है।

बताते है कि पुलिस मुख्यालय में एयर कंडीशन कमरों में कुर्सी तोड़ रहे, वरिष्ठ अफसरों ने जैकेट की खरीदी में बड़े पैमाने पर ना केवल धांधली बरती बल्कि आपराधिक षड़यंत्र कर घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट जवानों के सीने पर तान दिए है। सूत्र पुख्ता तौर पर बताते है कि बैलेस्टिक टेस्ट में भी फेल होने के बावजूद लगभग 13 करोड़ के बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी सिर्फ इसलिए की गई क्योंकि आपूर्तिकर्ता फर्म अथवा कंपनी का उल्टा – सीधा संबंध टुटेजा एंड कंपनी से था. बुलेट प्रूफ जैकेट की टेंडर और आपूर्ति प्रक्रिया में नियम और कायदे – कानूनों को रद्दी की टोकरी पर डाल दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक टेंडर – निविदा रिकॉर्ड में कंपनी का पता – ठिकाना और बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माण का हवाला दिया गया है, बिलासपुर स्थित इस जगह सिर्फ खाली प्लाट है। यही नहीं फर्जीवाड़ा सामने आने के बावजूद पुलिस मुख्यालय ने टेंडर – प्रतिस्पर्धा में शामिल बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माता 2 नामी – गिरामी कंपनियों कों बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इनमे से एक कंपनी दिल्ली तो दूसरी बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माता कंपनी कानपुर की थी।

इसके बाद मोटे कमीशन को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन सुपर सीएम टुटेजा के परिजनों की फर्जी कंपनी को सप्लाई ऑर्डर हाथों – हाथ सौंप दिया गया। जवानों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने के इस मामले की सीबीआई जांच की मांग जोर पकड़ रही है। देश – प्रदेश के जवानों के परिजनों ने PMO में शिकायत कर सीबीआई को मामला सौपे जाने की मांग की है।

शिकायत में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल ने सरकारी तिजोरी में हाथ साफ करने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों की जान तक का सौदा किया है। इस भ्रष्ट पूर्व मुख्यमंत्री और उसके गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की जा रही है। एक अन्य शिकायत में बीजेपी नेता नरेश गुप्ता ने घटिया जैकेट खरीदी के मामले से राज्य सरकार को अवगत कराया था। इसकी जांच के निर्देश दिए गए थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली मोर्चे में डटे जवान एक ओर अपनी जान की बाजी लगा कर जनता के जानमाल की सुरक्षा में जुटे है।

वही खुद उनकी जान जोखिम में है, पता नहीं कौन सी गोली बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने के बावजूद सीने से कही पार ना हो जाये। जिस बुलेट प्रूफ जैकेट के सहारे वे दुश्मनों से दो – दो हाथ कर रहे है, उसकी गुणवत्ता ही नहीं बल्कि टेंडर – निविदा प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने काफी पहले इस सुनियोजित भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया था। अब उनकी हकीकत भी जनता के सामने आ गई है, यह कंपनी कागजों में संचालित बताई जाती है। बिलासपुर में निवासरत टुटेजा एंड कंपनी के सदस्य इसके प्रमुख कर्ताधर्ता बताये जाते है। 

न्यूज़ टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक टुटेजा एंड कंपनी का यह ब्लैक मनी सेंटर सिर्फ हवा – हवाई बताया जा रहा है।बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माता इस कंपनी ने जिस पते ठिकाने पर फैक्ट्री होना बताया है, वहां खाली प्लॉट है। सरकारी दस्तावेजों में जो एड्रेस 722/1 सिरगिट्‌टी दर्ज है, वो मौके पर ना होकर वह परसदा में स्थित बताया जाता है, लेकिन यहाँ भी ना तो बुलेट प्रूफ जैकेट का कारखाना है, और ना ही ऐसा कोई दफ्तर।

मौके का जायजा लेने पर पता पड़ता है कि बिलासपुर के सिरगिट्‌टी सटे परसदा इलाके में दूर – दूर तक बुलेट प्रूफ जैकेट का कारखाना किसी को ढूंढे नहीं मिल रहा है। टुटेजा ब्रांड इस कंपनी का ऑफिसियल एड्रेस के साथ कॉर्पोरेट ऑफिस भी कोई आता – पता नहीं है, यहाँ का एक कमरा अरसे से बंद है।

408, लैंडमार्क कॉम्पलेक्स कर्बला मार्ग पर दर्ज ऑफिस, बताते है कि सिर्फ सरकार की आँखों में धूल झोकने के लिए था, इसके फर्जी पते – ठिकाने गढ़े गए थे। पुलिस मुख्यालय की प्रक्रिया और 13 करोड़ का भुकतान प्राप्त होते ही इस  कंपनी के कर्ताधर्ता भी भूमिगत हो गए है। बताया जाता है कि मामले के तूल पकड़ने के बाद पीेएचक्यू स्तर पर कंपनी के पते – ठिकाने की तस्दीक कराई गई थी।

सिरगिट्‌टी थाने की टीम ने मौके का जायजा लिया तो, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। मौके पर कही खाली प्लाट तो कही रिहायशी निर्माण नजर आया। बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी नियमों में भी जानबूझकर शिथिलता बरती गई थी। इसके लिए आनन-फानन में नियम और शर्ते बदल दी गई थी। वर्ष 2021 से लेकर 2022 तक इसकी टेंडर प्रक्रिया में कई उतार – चढ़ाव देखे गए थे। यह तिकड़म सिर्फ टुटेजा एंड कंपनी को एक तरफा फायदा पहुँचाने के लिए की गई थी।

सूत्र तस्दीक कर रहे है कि प्रगति डिफेंस सिस्टम बिलासपुर के टेंडर स्वीकृति में मुख्य भूमिका तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा ने निभाई थी। इस दौरान वे उद्योग विभाग के सचिव के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। बताते है कि टेंडर कमेटी में शामिल DGP अशोक जुनेजा, ADGP प्रदीप गुप्ता और DIG मनीष शर्मा की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। बताते है कि बुलेट प्रूफ जैकेट का बैलेस्टिक टेस्ट पहले दौर में फेल होने के बावजूद इन्ही अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए  दोबारा इसका टेस्ट करवाया था, ताकि टुटेजा और उसके गुर्गों को उपकृत किया जा सके। जबकि दूसरे दौर में बैलेस्टिक रिपोर्ट में सैंपल ओके होने से पूर्व ही, टुटेजा ब्रांड बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई कर दी गई थी। इस दौरान कमेटी में शामिल अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

सूत्र बताते है कि दूसरी बार मौका मिलने पर बैलेस्टिक टेस्ट में जो बुलेट प्रूफ जैकेट उपलब्ध कराये गए थे, उसके बजाय काफी पहले ही पहले दौर वाले घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट जवानों को उपलब्ध करा दिए गए थे। फ़िलहाल पीड़ित जवानों और शहीद परिवारों ने राज्य की बीजेपी सरकार से अविलंब मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग की है। उनके मुताबिक यह मामला गंभीर प्रकृति और जवानों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इसकी निष्पक्ष जांच में हिला – हवाली नहीं होना चाहिए।