रायपुर / छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का सिर्फ नारा ही जोर – शोर से लगता है। लेकिन वैधानिक कार्रवाई लालफीताशाही में सिमट कर रह जाती है। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में सरकारी जाँच रिपोर्ट में नामजद किये गए भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ बीजेपी शासन काल के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की गई। यही हाल PHE विभाग का है। इस विभाग की बागडोर जिन महाशय के हाथ में है, उसे मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पाइप घोटाले के आरोप में निलंबित किया था। इस दौरान यह शख्स चीफ इंजिनियर के पद पर तैनात था। लेकिन अचानक सरकार की ऐसी नजरे इनायत हुई कि भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किये गए इस अफसर को पदोन्नति देते हुए सीधे विभाग का ENC बना दिया गया।
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यही नहीं इस निलंबित अफसर की विभागीय जाँच अभी तक जस की तस बताई जा रही है। इधर ENC की कुर्सी पर बैठने के बाद साहब ने लगभग 15 हज़ार करोड़ के विभिन्न विकास कार्य नियम विरुद्ध टेंडर निविदा के जरिये अपनों को सौंप दिए। कई ठेकेदारों ने तो बगैर वर्क आर्डर के करोड़ों का काम भी कर दिया। गैर क़ानूनी रूप से जारी किये गए टेंडर निविदा को लेकर जब बवाल मचा तो सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कैबिनेट की बैठक में एक ही झटके में लगभग 10 हज़ार करोड़ के टेंडर निरस्त कर दिए। लेकिन चार माह बाद भी इस फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार ENC के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई।
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एक बार फिर ये अफसर अपनी गैर जिम्मेदार कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में है। इस बार प्रदेश में 2000 नलकूप खनन का कार्य को लेकर प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के फैसलों को लेकर बवाल मच रहा है। पारदर्शिता को दरकिनार कर मेकैनिकल खंडो को यह कार्य सौंपने की तैयारियों को लेकर सवाल खड़े हो रहे है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में पेयजल हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा 2000 नलकूप खनन कार्य अपने अधीनस्थ मेकेनिकल विंग द्वारा करवाए जाने हेतु आदेश जारी करने की तैयारी की गई है। इस कार्य के लिए पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत का लाभ उठाने के लिए भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
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बताया जा रहा है कि ENC के फैसले से सरकारी तिजोरी में 5 करोड़ से ज्यादा की चपत लगना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि बाजार भाव से कई गुना अधिक दर पर यह कार्य मेकैनिकल विंग द्वारा कराये जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए ENC कार्यालय द्वारा विभिन्न जिलों में तैनात वरिष्ठ अधिकारियो को जमीनी स्तर पर निर्देश दिए गए है। ENC की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाने वाले जानकार बता रहे है कि विभाग के मशीनी कार्य छमता अधिक गहरे और अधिक डाया के करने वाले नलकूप खनन की नहीं है। इनमें से अधिकांश मशीनें 20 से 25 वर्ष पुरानी है, जिनकी कार्य क्षमता भी काफी कमजोर है।गहरे एवं बड़े डाया के नलकूप खनन हेतु ENC द्वारा खनन के जानकारों से कोई राय मशविरा नहीं किया गया।
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नतीजतन जमीनी स्तर पर ब्लू प्रिंट तैयार नहीं होने से भ्रष्टाचार की संभावना कई गुना बढ़ गई है। ENC द्वारा जो प्लान तैयार किया गया है, उसमे गहरे और बड़े डाया के नलकूप खनन के लिए अधिक दर पर कम गहरे नलकूप खंड करवाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे साफ हो रहा है कि सरकारी तिजोरी में चूना लगाने की व्यापक तैयारी विभागीय स्तर पर कर ली गई है। जानकारों के मुताबिक ENC के इन फैसलों से सरकारी की महत्वाकांक्षी हर घर, घर – घर पानी वाली पाइप लाइन योजना के फ्लॉप होने का खतरा मंडराने लगा है। जानकारों की दलील है कि अभियंता द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए सरकार की योजना को ही दांव पर लगा दिया गया है। बताया जा रहा है कि गहरे एवं बड़े डाया के नलकूप खनन हेतु विभागीय मंत्री के निर्देश सिर्फ कागजों में है।
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जानकारी के आभाव और तकनीकी रिपोर्ट तैयार नहीं होने से कई इलाकों में जल संकट बरक़रार रहने के आसार है। जानकारों के मुताबिक अधिक दर पर खनन करवाने से राज्य सरकार को तगड़ी आर्थिक मार झेलनी पड़ेगी। जबकि जनता को भविष्य में भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा। उनकी दलील है कि ENC की गैर जिम्मेदार कार्यप्रणाली पर फ़ौरन रोक लगाई जाये। उधर सूत्र बता रहे है कि ENC दौरा साफतौर पर दावा किया जा रहा है कि उन्हें ‘ऊपर वालों’ का ध्यान रखना है, इसलिए जमीन पर होने वाले खनन में उनकी मनमर्जी चलेगी। इस मामले को लेकर न्यूज़ टुडे संवाददाता ने ENC से संपर्क किया। लेकिन उन्होंने इस मामले में चर्चा करने से इंकार कर दिया। फ़िलहाल राज्य सरकार को जल संकट के मद्देनजर अफसरों की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को लेकर वैधानिक कदम उठाने की आवश्यकता है।