छत्तीसगढ़ में दागी अफसरों पर सरकार की मेहरबानी चर्चा में , भ्रष्ट्राचार को लेकर बरती जा रही नरमी से हैरत में जनता , ब्लैकमनी पैडलर्स का दावा ,कांग्रेस सरकार और उसके कर्ता-धर्ता उनकी मुट्ठी में  

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रायपुर – छत्तीसगढ़ में भले ही मरवाही विधानसभा सीट पर राज्य की कांग्रेस सरकार ने कब्जा कर लिया हो , लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में राज्य सरकार दागियों की गिरफ्त में नजर आ रही है | PWD विभाग के ENC के खिलाफ ED ने मामला दर्ज किया है | इसके पूर्व ENC साहब EOW के हत्थे चढ़ चुके है | दोनों ही मामलों में जांच जारी है | बावजूद इसके साहब अपने पद पर बने हुए है | ना तो उन्हें निलंबित किया गया है और ना ही मुख्यालय  में अटैच | बल्कि ये साहब PWD विभाग की कमान अपने हाथों में संभाले हुए है | 

उधर पीएचई विभाग का क्या कहना , यहां भी भ्रष्ट्र अफसरों पर सरकार की मेहरबानी देखकर जनता हैरत में है | दरअसल विभिन्न नल जल योजनाओं और पाइप घोटाले को लेकर एक बड़ी आबादी के अरमानों पर पानी फिर रहा है | खुद राज्य सरकार ने सात हजार करोड़ से ज्यादा के टेंडर निरस्त कर दिए थे  , वो भी कैबिनेट की बैठक में | लेकीन भ्रष्ट्राचार के मामले में लिप्त अफसरों पर कार्रवाई को लेकर खुद सरकार कुंडली मारकर बैठ गई | इस विभाग के ENC भी अपनी भ्रष्ट्र कार्यप्रणाली के कारण बेमेतरा और दुर्ग में काफी चर्चित रहे | इसी के कार्यकाल में उन्हें पाइप घोटाले में निलंबित किया गया था | लेकिन विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु की ऐसी मेहरबानी हुई कि बगैर आरोप पत्र का जवाब दिए इस अफसर को चीफ इंजीनियर के पद से सीधे बहाल करते हुए ENC बना दिया गया | राज्य की कांग्रेस सरकार का भ्रष्ट्र अफसरों पर ऐसा स्नेह और प्यार बरस रहा है कि प्रदेश में अब नई संस्कृति का पनपना स्वाभाविक माना जा रहा है | यह नई संस्कृति जहां ईमानदार अफसरों की कार्यप्रणाली पर चोट मार रही है , वही भ्रष्ट्र अफसरों के उज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने में सहायक साबित हो रही  है |  

पीएचई विभाग के एक और चीफ इंजीनियर अपनी साहूकारी और भ्रष्ट्र कार्यप्रणाली में माहिर रहे | उनके काले कारनामों की चर्चा विभाग के सभी अफसरों और ठेकेदारों की जुबान पर है |इन्हे भी भ्रष्ट्राचार के मामले में इसी सरकार के कार्यकाल में निलंबित किया गया था | लेकिन ENC  की तर्ज पर इन्हे भी बगैर किसी ठोस जांच के बहाल कर दिया गया | इन्ही चीफ इंजीनियर साहब ने सात हजार करोड़ से ज्यादा के टेंडर निविदा अपने गिरोह के ठेकेदारों को सौंप कर कांग्रेस सरकार की छवि पर बट्टा लगाया है | यह भी संयोग ही है कि जिस तरह से भ्रष्ट्र अफसर कांग्रेस सरकार के आंखो के तारे बने हुए है , वैसे ही भ्रष्ट्र ठेकेदार भी सरकार का चेहरा मोहरा बनने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ रहे है | 

पीएचई घोटाले में शामिल भ्रष्ट्र अफसरों और ठेकेदारों ने साफ किया है कि  राज्य की कांग्रेस सरकार उनकी मुट्ठी में है | उनके मुताबिक सरकार की आकांक्षाओं  पर खरा उतरने एक लिए तन,मन और धन से पूरा सहयोग कर रहे है| यहां तक कि बगैर वर्क ऑर्डर के काम करने में  वे पूरा दम लगा रहे है | उसके  मुताबिक भले ही निविदा टेंडर कैबिनेट ने रद्द कर दिए गए हो लेकिन पिछले दरवाजे से उन्हें आधे अधूरे कार्य को पूर्ण करने का न्यौता मिल गया है | उनका दावा है कि इस सरकार में उनका ही सिक्का चलेगा | दिलचस्प बात ये है कि कई गंभीर शिकायतों के बाद पीएचई विभाग में अरबो का टेंडर निरस्त होने के बावजूद ना तो किसी अफसर के खिलाफ कोई वैधानिक कार्रवाई की गई और ना ही ठेकेदारों के खिलाफ |  सरकारी रकम की बंदरबांट की नींव रखने वाले ठेकेदारों और उनकी कंपनियों पर वैधानिक कार्रवाई हेतु कोई प्रकिया शुरू नहीं होने से सरकार की भ्रष्ट्राचार के खिलाफ नीति उजागर हो रही है | पीएचई विभाग के अरबो के टेंडर रद्द होने के बावजूद  अब कई कांग्रेसी नेता दलीले दे रहे है कि जब घोटाला ही नहीं हुआ तो किसी के खिलाफ कार्रवाई क्यों करे ? ऐसे में भ्रष्ट्राचार की जड़े मौजूदा सरकार में भी जमते नजर आ रही है | 

उधर पीएचई घोटाले , बीज निगम , हॉर्टिकल्चर और  कृषि विभाग में विभाग में भ्रष्ट्राचार और अनियमितता की नींव रखने वाले ब्लैकमनी पैडलर्स का दावा भी कम हैरत अंगेज नहीं है | राजेश-मुकेश नामक दोनों ब्लैकमनी पैडलर्स का दावा है कि राज्य सरकार के विश्वासपात्र कई अधिकारियों के काले कारनामों कम से अर्जित की गई चमचमाती रकम उनकी सात समुंदर पार तिजोरी में बंद है | उनके मुताबिक  उनका गठजोड़ सरकार के कामकाज को आम जनता तक पहुंचाता है |  काम में खोट और सरकारी योजनाओं में चोट को वक्त का तकाजा बताते हुए ब्लैकमनी पैडलर्स खुद पर सरकार का हाथ होने का दावा कर रहे है | उनके मुताबिकपीएचई और अन्य विभागों में उनके साथियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की बाते सिर्फ हवा हवाई है |  

राजेश-मुकेश नामक पैडलर्स प्रदेश के  कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के निर्देशों पर तंज कसने में पीछे नहीं है |  हाल ही में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विभागीय  बैठक में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ सख्त हिदायत दी थी | उन्होंने  अफसरों को निर्देशित किया था  कि वो किसानों के साथ छल करने वाले , घटिया और नकली खाद्य बीज और कीटनाशकों के आपूर्तिकर्ता और कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी करकरने वाले तत्वों के खिलाफ FIR दर्ज करवाएं |  बताया जाता है कि कृषि मंत्री इस तथ्य से वाकिफ है कि भ्रष्ट्र तत्व किस तरह से सरकारी योजनाओं को दीमक की तरह चाट रहे है | लेकिन सरकार पर हावी ब्लैकमनी पैडलर्स कृषि मंत्री के निर्देशों को शगूफा  करार देने में जुटे है |

 मौजूदा सूरतेहाल में छत्तीसगढ़ की आम जनता ही नहीं बल्कि  किसानों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि भ्रष्ट्र अफसरों और ठेकेदारों से उनके खेत खलियानों  को बचाया जाए | उनकी दलील है कि ‘जल जीवन मिशन’ जैसी महती योजनाओं को पथ से भटकाने वाले ब्लैकमनी पैडलर्स के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए | पीड़ित किसानों ने मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह तथ्य लाया है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हॉर्टिकल्चर , बीज निगम और कृषि विभाग से जुडी तमाम योजनाओं पर टिड्डी दल की तर्ज पर हमला करने वाले ब्लैक मनी पैडलर्स के खिलाफ विचाराधीन तमाम शिकायतों की जांच की  जाए | यही नहीं जांच को समय सीमा के भीतर अंजाम तक भी पहुंचाया जाए | पीड़ित किसानों के मुताबिक राजेश-मुकेश नामक पैडलर्स की कई कंपनियों के खिलाफ पूर्ववर्ती सरकार से लेकर मौजूदा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल तक में गंभीर शिकायतों को फाइलों में कैद करने की परंपरा को तोडा जाए | बहरहाल देखना होगा कि मरवाही उपचुनाव में भी अपनी बाजीगरी दिखाने वाले मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर क्या रुख अपनाते है ?