भोपाल/रायपुर: मध्यप्रदेश के आईपीएस कैडर में अफसरों की संपत्ति को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। दरअसल, मध्यप्रदेश में थानेदारों से लेकर आईपीएस अधिकारियों को अपने वेतनभत्तों से ही गुजारा करना पड़ रहा है। ज्यादातर अफसरों की माली हालत ख़राब है। हालांकि, ऐसे अफसरों में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी के मालिक वरुण कपूर बताये जाते है। दिलचस्प बात यह है कि मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना से कही अधिक प्रॉपर्टी उनके अधीनस्तों के पास है।

हालाँकि छत्तीसगढ़ के डीजीपी का भी यही हाल बताया जाता है। जबकि उनके मातहतों के पास सोने की लंका बताई जाती है। राज्य में थानेदारों से लेकर दर्जनों आईपीएस अधिकारियों की संपत्ति में बीते 5 सालों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। छत्तीसगढ़ कैडर के चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की खोजबीन के लिए IT-ED और CBI जैसी एजेंसियां हाथ-पैर मार रही है।

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एक जानकारी के मुताबिक आल इंडिया सर्विस के अधिकारियों ने नए वित्तीय वर्ष 2025-26 में अपनी आय-व्यय का ब्यौरा पेश किया है। इसके मुताबिक माली हालत को लेकर मध्यप्रदेश में जहाँ आईपीएस अधिकारियों को आर्थिक तंगी के दौर से गुजरना पड़ रहा है, वही छत्तीसगढ़ में ज्यादातर आईपीएस अधिकारी चांदी की फसल काट रहे है। उनकी गाड़ी, बंगला, फार्महाउस से लेकर बेशकीमती सम्पत्तियाँ मुँह बांय खड़ी है। इन दिनों मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसरों की माली हालत सुर्ख़ियों में है।

मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना के पास भोपाल में एक करोड़ 11 लाख रुपए का एक प्लॉट और एक मकान है, जबकि स्पेशल डीजी वरुण कपूर की चल-अचल संपत्तियों में 10 करोड़ 51 लाख रुपए की एक प्रॉपर्टी है। इसमें कृषि भूमि, प्लॉट, मकान और फ्लैट भी शामिल हैं। डीजी उपेंद्र कुमार जैन 8 करोड़ 39 लाख रुपए की प्रॉपर्टी के मालिक हैं। स्पेशल डीजी अजय कुमार शर्मा के पास दिल्ली-भोपाल में 6 करोड़ 15 लाख की संपत्ति है।

इसमें फ्लैट, कृषिभूमि, प्लाॅट शामिल हैं। आईपीएस अफसरों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिए अपनी चल-अचल संपत्ति के ब्योरे में उनकी माली हालत को लेकर नई जानकारी सामने आई है। मध्यप्रदेश कैडर में 319 आईपीएस हैं, इनमें से 48 पद रिक्त हैं, शेष बाकी 271 में से 198 अधिकारियों ने 31 दिसंबर 2024 की स्थिति में अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा पेश किया है। इनमें मऊगंज के एसपी दिलीप सोनी के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है। उनके पास भोपाल, इंदौर और नर्मदापुरम में कृषि भूमि, प्लॉट और मकान मिलाकर 4 करोड़ की संपत्ति है।

एडीजी लोकायुक्त से हटाए गए जयदीप प्रसाद के पास करीब 5 करोड़ की खेती एवं अन्य भूमि है। चंबल रेंज में पदस्थ डीआईजी कुमार सौरभ के पास 7 करोड़ 15 लाख रुपए की अचल संपत्ति के मालिक हैं। सागर, जबलपुर, रीवा आईजी ने कोई प्रॉपर्टी दर्ज नहीं कराई है।

मध्यप्रदेश के रेंज आईजी और पुलिस कमिश्नरों ने जो जानकारी दी है, उसमें सागर, जबलपुर और रीवा रेंज के आईजी ने अपने पास कोई संपत्ति नहीं होना बताया है। सागर आईजी प्रमोद वर्मा, जबलपुर के प्रभारी आईजी सचिन अतुलकर तथा रीवा आईजी गौरव राजपूत ने संपत्ति का ब्योरा तो दिया है लेकिन किसी तरह की अचल संपत्ति नहीं होना बताया है।

जानकारी के मुताबिक 25 एसपी की प्रॉपर्टी का ब्योरा अपलोड नहीं किया है। प्रदेश के 55 जिलों में से 30 जिलों के एसपी की संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर है। इनमें से 14 ने अपनी प्रॉपर्टी शून्य बताई है। इसके साथ ही 25 एसपी की प्रॉपर्टी का ब्योरा वेबसाइट पर अपलोड नहीं करने के कोई कारण स्पष्ट भी नहीं किये गए है।

गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर 55 में से 30 एसपी की प्रॉपर्टी की जानकारी है। अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव प्रॉपर्टी के मामले में मध्यप्रदेश के सभी आईएएस अफसरों में टॉप पर हैं। उनके नाम सबसे ज्यादा 19.50 करोड़ रुपए मूल्य की प्रॉपर्टी है।

वहीं, कलेक्टरों में टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय अव्वल हैं। उनके पास 6.20 करोड़ करोड़ की प्रॉपर्टी है। प्रदेश के 231 आईएएस अफसरों के पास खेती की जमीन है, जबकि 100 आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके पास न खुद का मकान है न प्लाॅट।