छत्तीसगढ़ में छेड़छाड़ के मामलों से घिरे ADG पवन देव को हाई कोर्ट से लगा झटका, पीड़ित महिला सब इंस्पेक्टर को अदालत से मिली राहत, यौन प्रताड़ना के दोषी पाए गए ADG साहब पर पीड़िता ने लगाया था मानसिक प्रताड़ना का आरोप, राज्य के गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की लापरवाही से महिला अपराधों में वृद्धि

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रायपुर / आइपीएस पवन देव पर मानसिक प्रताड़ना और दुरव्यवहार करने का आरोप लगाने वाली सब इंस्पेक्टर गरिमा श्रीवत्री को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अपने एक फैसले में कोर्ट ने यह कहते हुए गरिमा श्रीवत्री को लगभग क्लीन चिट दे दी कि आधिकारिक तौर पर उन्हें निगम के कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी इसलिए यह आरोप खारिज हो जाता है कि गरिमा ने सीआर के रखरखाव में कोई गड़बड़ी की |

सब इंस्पेक्टर गरिमा श्रीवत्री द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई करते हुए पी. सेम कोसी ने कहा कि महिला कर्मचारी को निगम के कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी आधिकारिक तौर पर नहीं सौंपी गई थी और न ही इसके पक्ष में कोई लिखित आदेश जारी किया गया था। कोर्ट ने कहा कि स्थापना खंड के प्रभारी कोई और थे, इसलिए याचिकाकर्ता इसके लिए जिम्मेदार नही थी।

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बताया जाता है कि सब इंस्पेक्टर गरिमा श्रीवत्री डीजीपी की स्टेनो थीं और पुलिस हाउसिंग बोर्ड में पदस्थ थीं | जिसके एमडी और जीएम दोनों पदों पर आइपीएस पवन देव काबिज हैं हालांकि यह डीजीपी स्तर का पद है। देव का आरोप था कि सब इंस्पेक्टर गरिमा श्रीवत्री के पास निगम के कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड को संभालने की जिम्मेदारी थी जो उन्होंने नही निभाई। इसके बाद गरिमा ने महिला आयोग को एक शिकायत करते हुए पवन देव पर मानसिक प्रताड़ना और दुरव्यवहार करने का आरोप लगाया था। लेकिन उनके खिलाफ विभागीय जांच बिठा दी गई जिसके खिलाफ सब इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।