इंदौर / मध्य प्रदेश के इंदौर में मानवता और मानवीय मूल्यों को ताक पर रख देने वाला एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो इंदौर और देवास की सीमा बताया जा रहा है ,जहां क्षिप्रा नदी के करीब जानवरों की तरह ठूंस कर लाये गए बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों को शहरी सीमा से भगाने के बड़े षड्यंत्र का खुलासा हुआ। निगम के कर्मचारी बेसहारा बुजुर्गों को ट्रक में भरकर लाए और शहर की सीमा से बाहर फेंक कर चलते बने।
इस दौरान मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने यह वीडियो शूट करते हुए बताया कि निगमकर्मी बुजुर्गों को सड़क किनारे फेंकने आए हैं और बुजुर्गों को इंदौर नगर निगम का गाड़ी में भरकर लाया गया है। जब गांव वाले वीडियो बनाने लगे और कर्मियों को फटकारा तो कर्मी उन्हें फिर गाड़ी में बैठाने लगे। ग्रामीणों ने कर्मियों से कहा कि कम से कम बुजुर्गों को इस तरह नहीं फेंकना चाहिए। नगर निगम के कर्मचारियों की संख्या तीन थी, जो यह अमानवीय काम कर रहे थे। जिस गाड़ी से बुजुर्गों को हाईवे पर बेसहारा कर छोड़ने लाया गया था, उसका नंबर एमपीएफ 7622 था और यह निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते की गाड़ी है।
इधर इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार करने के मामले में नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर प्रताप सोलंकी को सस्पेंड कर दिया है। वही वीडियों के वायरल होने के बाद नगर निगम के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने बताया कि रैन बसेरे में कार्यरत कर्मचारी ब्रजेश लश्करी और विश्वास वाजपेयी की सेवा समाप्त कर दी गई है। अपर आयुक्त ने ये भी कहा कि मिस हैंडलिंग के चलते ये सबकुछ हुआ है और निगम पूरे मामले की विभागीय जांच करवाएगा। उन्होंने बताया कि शहर में पर्याप्त रैन बसेरे हैं और निगम के आदेश के तहत ठंड के मौसम में बुजुर्गों को रखने की व्यवस्था भी की गई है।