रायपुर: छत्तीसगढ़ क्रेडा में भारी भरकम कमीशन और भ्रष्टाचार के चलते अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है। इसका सीधा असर सरकार की छवि और हितग्राहियो के हितों पर पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस मुख्य महकमे में कमीशनखोरी के नए पैमाने को लेकर बवाल मचा है। टेंडर मैनेजमेंट और कमीशन फिक्सिंग को लेकर ‘क्रेडा’ में आयोजित एक क्लोज डोर मीटिंग सुर्ख़ियों में है। करीब घंटे भर से ज्यादा वक़्त तक चली टेंडर मैनेजमेंट वाली इस बैठक में CEO समेत अन्य लोगों के कमीशन को लेकर उस वक़्त तनाव की स्थिति निर्मित हो गई, जब 3 ठेकेदारों ने खुले-तौर पर 40 फीसदी तक एक मुश्त कमीशन देने से इंकार कर दिया है। इसके बाद छिड़े विवाद ने क्रेडा के CEO समेत अन्य अधिकारियों की कलई खोल कर रख दी है। यह भी बताया जा रहा है कि कमीशन की गोपनीयता बरक़रार रखने के लिए सिर्फ गिने-चुने ठेकेदारों को ही इस बैठक में बुलाया गया था।
सूत्रों के मुताबिक लगभग 6 माह से लटके एक टेंडर को लेकर क्रेडा में पंजीबद्ध ठेकेदारों और CEO के बीच ठन गई है। कमीशनखोरी की सेवा-शर्तों से इंकार करने वाले ठेकेदारों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर करने के साथ-साथ उनके प्रतिष्ठान को ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी भी देने से मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह भी बताया जा रहा है कि मनमाने कमीशन के चलते ‘बैगा’ नामक एक अधिकारी और CEO के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने के लिए EOW में शिकायत दर्ज कराने का फैसला लिया गया है।
यही नहीं पीड़ित ठेकेदारों ने कमीशनखोरी के नए पैमाने को लेकर चिंता जताई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार का ध्यान ‘क्रेडा’ की गतिविधियों पर दिलाते हुए पीड़ित ठेकेदारों ने दीपावली के बाद 4 नवम्बर को ओपन होने वाले टेंडर पर आपत्ति करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता ठेकेदारों के मुताबिक क्रेडा के मैनेज टेंडर में कमीशन की मन मुताबिक नगद रकम मांगे जाने को लेकर कवायतें जोरो पर है। इसके लिए विभाग में एक क्लोज डोर मीटिंग आयोजित कर हज़ारों करोड़ के टेंडर के लिए लगभग 250 में से मात्र 19 बड़े ठेकेदारों को न्यौता भेजा गया था।
सूत्रों के मुताबिक भरी बैठक में इनमे से 3 ठेकेदारों ने नए टेंडरों में 40 फीसदी कमीशन देने से साफतौर पर इंकार कर दिया। यह भी बताया जा रहा है कि 14 ठेकेदारों को उनके हिस्से आने वाले ‘मैनेज टेंडर’ के कार्यों के एवज में मोटे भुगतान के लिए राजी कर लिया गया है। ऐसे ठेकेदारों को टेंडर ओपनिंग डेट के अगले ही दिन पूरा हिसाब-किताब करना होगा। इस भुगतान में CEO समेत अन्य प्रभावशील लोगों की हिस्सेदारी तय बताई जा रही है।
शिकायतकर्ता ठेकेदारों के मुताबिक क्रेडा में कमीशन के नए पैमाने से इंकार करने पर उनके खिलाफ ब्लैक लिस्टेड करने की चेतावनी देते हुए प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। शिकायत में कहा गया है कि क्रेडा में पंजीबद्ध 250 से ज्यादा फर्म और आपूर्तिकर्ता सप्लायरों में से मात्र 19 ठेकेदारों को ही क्लोज डोर मीटिंग का न्योता भेजा गया था। बैठक में प्राइज़ बिडिंग की रकम को CEO के निर्देश पर अलग-अलग ठेकेदारों को इसकी जानकारी देते हुए, भरवाया गया है। ताकि टेंडर ओपनिंग के बाद प्रथम, द्वितीय और तृतीय नंबर पर आने वाले ठेकेदारों के बीच कोई स्वस्थ प्रतियोगिता ना हो सके।
इस सुनियोजित खेल में 250 में से कई ठेकेदार टेंडर तो भरेंगे, लेकिन प्राइज़ बिडिंग की अहर्ता सिर्फ 14 ठेकेदारों को ही प्राप्त होगी। ये सभी ‘कमीशन का धन नगद में देने योग्य’ चुनिंदा ठेकेदार बताये जाते है। पीड़ित ठेकेदारों ने विभाग में पदस्थ एक आईएएस समेत लगभग आधा दर्जन अधिकारीयों की कार्यप्रणाली पर आपत्ति करते हुए, मामले की शिकायत EOW से करने का एलान किया है।
बताया जाता है कि विभागीय अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया के नियमों में छेड़छाड़ कर कई ऐसी योग्यता-शर्ते लागू कर दी है, जिसकी अहर्ता बा-मुश्किल दर्जन भर ठेकेदार ही सुनिश्चित कर पाएंगे। टेंडर मैंनेजमेंट के खेल में CEO की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। बता दे कि पारदर्शिता रहित टेंडर मैनेजमेंट को लेकर इन दिनों क्रेडा के दफ्तर में जोड़-तोड़ और गहमा-गहमी का दौर जारी है। 4 नवंबर को टेंडर ओपनिंग की डेट निर्धारित की गई है। सूत्र बता रहे है कि मामले की शिकायत विभागीय सचिव से भी की गई है। लेकिन कोई हल नहीं निकला है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार नई सरकार के कार्यकाल में परंपरागत कमीशन को दरकिनार कर नई दरें फिक्स करने को लेकर पिछले लगभग 6 माह से गतिरोध जारी है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नए आयाम तय करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार तेजी से कार्यरत है। ऐसी योजनाओं को आम हितग्राहियों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने भी अपनी तिजोरी खोल दी है। राज्य में सालाना 5 हज़ार करोड़ से ज्यादा की योजनाए इन दिनों संचालित की जा रही है। लेकिन उसका अपेक्षित लाभ आम हितग्राहियों और किसानों को नहीं मिल पा रहा है। बताते है कि कतिपय अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते, क्रेडा की साख पर भी बट्टा लग रहा है।