
जी-7 समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर 35 मिनट लंबी बातचीत हुई, जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है. यह चर्चा ऐसे समय में हुई जब इजरायल-ईरान टकराव और ऑपरेशन सिंदूर जैसे गंभीर मुद्दे वैश्विक फोकस में हैं. दोनों नेताओं की मुलाकात पहले से तय थी, लेकिन ट्रंप को इजरायल-ईरान युद्ध के चलते समय से पहले अमेरिका लौटना पड़ा.
इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर फोन कॉल के जरिए बातचीत हुई. विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, इस दौरान आतंकवाद, भारत-पाकिस्तान तनाव, जी-7 के मुद्दे, और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर भी विस्तार से चर्चा हुई. इस बातचीत को द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत ने इसके जवाब में 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को सटीक और संयमित ढंग से निशाना बनाया. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का उद्देश्य युद्ध नहीं, बल्कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है.
भारत की नीति पर मोदी का स्पष्ट रुख
मोदी ने ट्रंप से साफ कहा कि भारत ने कभी भी किसी मध्यस्थता को न स्वीकार किया है, न करेगा. पाकिस्तान की ओर से सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील भारत के सख्त जवाब के बाद ही हुई. इस पूरी प्रक्रिया में भारत और अमेरिका के बीच किसी व्यापार या मध्यस्थता पर चर्चा नहीं हुई.
इजरायल-ईरान संघर्ष और इंडो-पैसिफिक मुद्दा
दोनों नेताओं ने इजरायल-ईरान संघर्ष की गंभीरता पर भी चर्चा की और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर जल्द शांति की अपील की. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में QUAD की भूमिका पर सहमति बनी और पीएम मोदी ने ट्रंप को भारत आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे ट्रंप ने सहर्ष स्वीकार किया.