रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में प्याज के छिलकों की तर्ज पर निकल रहे घोटालों को लेकर विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर की कार्यप्रणाली कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। करोड़ों के भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों और ठेकेदारों पर क़ानूनी शिकंजा कसने के बजाये मंत्री जी का ऐसे तत्वों को मिल रहा संरक्षण चर्चा में है। बताया जा रहा है कि घोटालों में नामजद किये गए भ्रष्ट अफसरों के तार सीधे तौर पर अजगर नामक ठेकेदार से जुड़े हुए है। लिहाजा वैधानिक कार्यवाही को लेकर अकबर – बीरबल के हाथ ही नहीं बल्कि कदम भी डगमगा रहे है। फ़िलहाल छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार से घिरे तीन अफसरों क्रमशः अपर आयुक्त एच के जोशी, एम डी पनारिया और एच के वर्मा का तबादला किया गया है।
अपर आयुक्त एच के जोशी को दुर्ग सर्कल स्थानांतरित किया गया है। जबकि एम डी पनारिया बिलासपुर पदस्थ किये गए है। हालाँकि कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ नाते – रिश्तेदारी का दावा करने वाले अपर आयुक्त एच के वर्मा रायपुर में ही पदस्थापना पाने में कामयाब रहे है। इन तीनों अफसरों पर करोड़ो के वारा न्यारा करने के आरोप विभागीय जाँच में दोषसिद्ध पाए गए है। दरअसल न्यूज़ टुडे की लगातार प्रामाणिक खबरों से छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड और राजनैतिक गलियारे में खलबली मची है। बताया जा रहा है कि मकान रजिस्ट्रेशन के नाम पर ग्राहकों से वसूली जाने वाली रकम की अदायगी भी शुरू हो गई है। हालाँकि इस सरकारी रकम की अदायगी के मामले ने अभी जोर नहीं पकड़ा है, फिर भी हफ्ते भर के भीतर 35 लाख से ज्यादा की रकम हाउसिंग बोर्ड के खाते में जमा कराई गई है।
एक जानकारी के मुताबिक अभी भी इस मद में लगभग 10 करोड़ की रकम की अदाएगी शेष है। करोड़ों की इस रकम को जिम्मेदार अधिकारी अपनी तिजोरी में डाल बैठे थे। उनके अरमानों पर उस समय पानी फिर गया जब न्यूज़ टुडे ने इसका भंडाफोड़ किया। बताया जाता है कि अपनी विभिन्न योजनाओं में मकानों और दुकानों के रजिस्ट्रेशन के लिए CGHB ग्राहकों से रजिस्ट्रेशन फीस वसूलता है। मकान पर अधिपत्य लेने के बाद मेंटेनेंस, जल कर और अन्य मदों में नगद रकम की वसूली की जाती है। इस रकम की अदाएगी के एवज में ग्राहकों को बोर्ड की ओर से बाक़ायदा रसीद दी जाती है। लेकिन अधिकारी इस रकम को अपने निजी खर्चों में उड़ा देते है। करोड़ो की यह रकम कई सालों से अधिकारी दबा बैठे थे।
उधर मनी रिसिप्ट ग्राहकों को सौंपने के बावजूद यह रकम सरकारी खातों में जमा नहीं कराई गई थी। इस रकम को अधिकारीयों ने अपने जेब में डालकर बेफिक्री से अपने हितों में उपयोग करना शुरू कर दिया था।ज्यादातर अफसरों ने इस रकम को CGHB के खाते में कई सालों से जमा तक नहीं करवाया था। सूत्रों के मुताबिक ऐसे अफसरों ने मनी रसीदों की प्राप्ति स्वीकृति को ही जला दिया था। ताकि कोई हिसाब किताब ही न हो सके। न्यूज़ टुडे ने जब भ्रष्टाचार के इस मामले का खुलासा किया तो ऐसे अफसरों की नींद उड़ गई। खबर का असर यह हुआ कि अब कई अफसरों ने इस रकम की वापसी सुनिश्चितकरना ही मुनासिब समझा है। फ़िलहाल 35 लाख की रकम जमा होने की खबर है।