रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा को ED ने समस्त श्रोतों से उनकी आय-व्यय, पूंजी और जमीन-जायदाद का ब्यौरा सौंपने के लिए कहा है। इसकी मौहलत सोमवार शाम ख़त्म होने वाली है। ED ने इनके ठिकानों में छापेमारी के बाद हाथो-हाथ समन भी थमा दिया है, माननीय से ‘उनकी चल-अचल संपत्ति’ का ब्यौरा माँगा गया है। पूर्व मंत्री का ओएसडी ED की गिरफ्त में है। जबकि माना जा रहा है कि शराब घोटाले की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रहे, पूर्व मंत्री पिता-पुत्र आज रायपुर स्थित ED के दफ्तर में उपस्थित हो सकते है ? छत्तीसगढ़ में अब तक के सबसे बड़े लगभग 2200 करोड़ के शराब घोटाले में आधा दर्जन से ज्यादा आरोपी इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। जबकि 60 से अधिक लाभार्थी अधिकारी और कारोबारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षित बेरोजगारों कों मुँह चिढ़ा रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा की मासिक आमदनी करोड़ों में बताई जाती है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगा सकते है कि शराब घोटाले पर चुप्पी साधे रहने के एवज में प्रतिमाह 50 लाख नगद, उन्हें बतौर नजराना पेश किया जाता था। दिलचस्प बात यह है कि ED की छापेमारी के बाद अपनी सफाई में पूर्व मंत्री की दलीले लोगों के गले नहीं उतर रही है।
कवासी लखमा ने खुद को बेगुनाह बताते हुए दावा किया है कि घोटाले का मास्टर माइंड आबकारी अधिकारी त्रिपाठी है, मैं तो अनपढ़ हूँ। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का जिक्र किये बगैर साफ किया है कि वे अनपढ़ आदमी है, आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी और उनके ओएसडी, जिस कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए बोलते थे, वे उस पर हस्ताक्षर कर देते थे।
लखमा ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए यह भी दावा किया है कि घोटाले का मास्टर माइंड ए.पी. त्रिपाठी है। इसमें कितने करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ है, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें एक रुपए नहीं मिला है। शराब घोटाला उजागर होने के लंबे अरसे बाद पहली बार आया पूर्व मंत्री का बयान, चौंकाने वाला बताया जा रहा है। इस बयान के बाद सबसे ज्यादा हैरान वो नौजवान है, जो उच्च शिक्षित होने के बावजूद अदद नौकरी को लेकर अपनी चप्पलें घिस रहे है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के रोजगार दफ्तरों में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 16 लाख 92 हजार 824 का आंकड़ा पार कर चुकी है। ऐसे में एक अनपढ़, पूर्व मंत्री की ‘कमाई’ और गरीब जनता के धन की सरकारी तिजोरी से ‘लुटाई’ गौरतलब बताई जाती है।
ED की ECIR में दर्ज किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के कार्यकाल में तत्कालीन आबकारी मंत्री को प्रतिमाह 50 लाख रुपये बतौर रिश्वत पेश की जाती थी। उधर जानकार तस्दीक कर रहे है कि भूपे राज में कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा के बंगले से लेकर सरकारी-गैर सरकारी दौरों, सुरक्षा, वेतन भत्ते और अन्य सुख-सुविधाओं पर प्रति माह 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च सरकारी तिजोरी से व्यय किया जाता था।
राज्य में अनपढ़ होना कितना फायदे का धंधा है, कवासी लखमा की बेगुनाही और उन पर लग रहे आरोपों को लेकर सामने आ रहे तथ्यों से, अंदाजा लगाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में शिक्षित बेरोजगारों को प्रतिमाह 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का एलान किया था। लेकिन बेरोजगारों के लिए कांग्रेस का वादा-दावा बेमानी साबित हुआ।
भूपे बघेल के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के 4 साल बाद भी बेरोजगारों की झोली खाली रही। रोजगार को लेकर जहाँ वे दर-दर की ठोकरे खाते रहे वही CGPSC घोटाले ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। यही नहीं विधानसभा चुनाव 2023 के चंद महीनों पहले बघेल सरकार ने बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत बेरोजगार व्यक्तियों को 146.98 करोड़ रुपये वितरित कर खूब वाह-वाही लूटी थी।
जानकारी के मुताबिक भूपे सरकार के 5 वर्ष के कार्यकाल में चुनिंदा शिक्षित बेरोजगारों के खातों में महज चार-पांच हज़ार की रकम जमा कर कांग्रेस के वादे की रस्म अदायगी नौजवान अभी तक नहीं भूल पाए है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी ने नौजवानों का जीना मुहाल कर दिया है। प्रदेश की राजनीति में अनपढ़ व्यक्तियों का लाभार्थी होना प्रदेश के नौजवानों के सामने नया आयाम पेश कर रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी पर नजर दौड़ाये तो जांजगीर में सबसे अधिक लगभग 1.32 लाख से अधिक बेरोजगार पंजीकृत हैं.
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मौजूदा समय में रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 16 लाख 92 हजार 824 है. सबसे अधिक पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या जांजगीर में 1 लाख 32 हजार 676 है. वहीं दूसरे स्थान पर रायगढ़ में 1 लाख 7 हजार 621 और तीसरे स्थान पर बिलासपुर में 1 लाख 5 हजार 803 है. सबसे कम बेरोजगारों की संख्या सुकमा में 11 हजार 703, गौरेला-पेंड्रा-मारवाही में 14 हजार 568 और बीजापुर में 14 हजार 824 है. राज्य के पूर्व मंत्री लखमा और उनके पुत्र हरीश लखमा का मोबाइल ED के कब्जे में है।
शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को बचाने की कवायतें भी जोरो पर है। एक अनपढ़ विधायक का मंत्री तक का सफर संघर्षों की वो कहानी है, जिसमे लोकतंत्र की मजबूती और जस्बा झलकता है। लेकिन एक होनहार आदिवासी जनप्रतिनिधि कों बलि का बकरा बना कर दूसरे पढ़े लिखे और चंट-चालाक ‘चौकीदार’ ने उसके उज्जवल भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है, इस तथ्य पर भी गौर फरमाने वालों की संख्या कम नहीं आंकी जा रही है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके संगी-साथी ED के दफ्तर में आज क्या दावे- प्रति दावे पेश करते है ?