सुनील नामदेव
नई दिल्ली/मुंबई: IAS Puja Khedkar: महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का मामला अब राजनैतिक रंग भी लेने लगा है। ताजा विवाद में सत्ता में काबिज कई नेता हो या फिर विपक्षी दल, दोनों ही ओर से चुनी हुई सरकार पर हावी होती नौकरशाही को लेकर बहस छिड़ गई है। नेता चिंता में है कि नौकरशाही चुनी हुई सरकार को अपनी गिरफ्त में लेकर मनमानी पर उतर आई है। टॉप नौकरशाही सरकारी नौकर है, या फिर सरकार और देश के मालिक, इसे लेकर खासी बहस छिड़ी हुई है। महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में टॉप ब्यूरोक्रेटस की कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर सरकार और अफसरों के बीच खींच तान के मामले भी सुर्ख़ियों में रहे है।
साहब और मालिक, सर और महोदय जैसे शब्द भी नौकरशाही के सम्मान के लिए अब कम पड़ने लगे है। अधिकारों की संपन्नता से उनके सम्मान का तौर तरीका भी इन दिनों काफी बदला हुआ नजर आता है। जबकि संविधान में साफतौर पर ऐसे मुलाजिमों को सरकारी नौकर या सेवक की संज्ञा दी गई है। बावजूद इसके नौकरशाही के भीतर राजशाही का रंग, देखते ही बनता है। अफसरों की तीमारदारी में सरकारी तिजोरी पर पड़ रही चोट भी गौरतलब है। जनता के टैक्स की बड़ी रकम ऐसे नौकरशाहों की आन बान और शान बनाये रखने पर खर्च हो रही है।
नौकरशाही की तर्ज पर नेताओं की सुख सुविधा पर रोजाना खर्च होते करोड़ो रुपये का भार आखिरकार टैक्स पेयर के कंधों पर ही डाला जा रहा है, क्या ये जायज है? नौकरशाही के अधिकारों के साथ उनके कर्तव्यों को लेकर प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनैतिक गलियारों तक बहस छिड़ी हुई है। ताजा माथापच्ची ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की कार्यप्रणाली को लेकर हो रही है। उनका नाम आजकल काफी सुर्खियों में हैं, उनकी नियुक्ति को लेकर देशभर में घमासान मच गया है। इस बीच, शिवसेना के राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा सहित देश की नौकरशाही की कार्यप्रणाली में जवाबदेही की मांग की है।
उन्ही की तर्ज पर कई सांसदों ने भी मामले को गंभीर बताते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय का ध्यान इस ओर दिलाया है। देवड़ा ने कहा कि सार्वजनिक सेवा में लगे लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनेताओं के पास ऐसी ही एक प्रणाली है, वो है चुनाव।उन्होंने आगे कहा, ‘कई बार हम राजनेताओं की आलोचना की जाती है, चाहे हम किसी भी पार्टी के हों और ठीक ही तो है, मैं इसका स्वागत करता हूं। लेकिन कृपया ध्यान रखें कि राजनेताओं के पास अभी भी जवाबदेही की एक प्रणाली है। हमें वोट देकर सत्ता में लाया जाता है और वोट नहीं देकर बाहर भी निकाल दिया जाता है। साफ है कि जनता के पास हमें कार्यालय से बाहर फेंकने की शक्ति है।’
देवड़ा ने कहा, ‘मगर भारत में नौकरशाही की बात करें तो यह काफी हद तक गैर-जवाबदेह बनी हुई है। प्रणाली के अंदर से जवाबदेही तय करना बहुत जरूरी है। इसलिए मैं फिर से कहता हूं कि अधिकारियों को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।’ शिवसेना के राज्यसभा सदस्य ने न्यायपालिका से जवाबदेही की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘जब हम सुधार और शासन में बदलाव की बात करते हैं तो मेरा मानना है कि राजनेताओं की यह जवाबदेही है। मगर हमें न्यायिक और प्रशासनिक या नौकरशाही सुधारों के बारे में भी बात करनी होगी। वास्तव में, हम अपने लोकतंत्र के इन स्तंभों को और अधिक जवाबदेह कैसे बना रहे हैं?
आप सिर्फ यह नहीं कह सकते कि हम राजनेताओं को जवाबदेह बना रहे हैं। क्या न्यायपालिका और नौकरशाही की कोई जवाबदेही नहीं है।’ देवड़ा ने एक मीडिया चैनल से कहा, ‘मैंने जो रिपोर्ट पढ़ी है, उसके आधार पर यह परेशान करने वाला है। मेरा मानना है कि जो लोग सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करते हैं, नौकरशाह या राजनेता या यहां तक कि मीडिया में भी, हमें खुद को एक मानक पर रखना होगा। हमें खुद से पूछना होगा कि हम अपने चुने हुए पेशे में क्यों हैं।’ उन्होंने महाराष्ट्र के उत्कृष्ट नौकरशाहों के लंबे इतिहास का हवाला दिया। साथ ही कहा कि इसलिए वह खेडकर के बारे में सुनकर बहुत परेशान थे।
शिवसेना सांसद ने कहा, ‘अगर यह मौजूदा संस्कृति है तो हमें इसे तुरंत खत्म करना चाहिए। वहीं, इस मामले की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर ये आरोप सही पाए जाते हैं तो ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए कि ऐसे लोग सार्वजनिक सेवा में मौजूद न रहें।’ उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग फिट नहीं हैं, उन्हें सिविल सेवा में प्रवेश नहीं करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
इससे पहले देवड़ा ने इस मामले पर एक्स पर भी पोस्ट किया। उन्होंने कहा, ‘आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ आरोप सेवा की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर खतरा हैं। क्या आप सरकार में सेवा करने के लिए हैं या हक की भावना के कारण? मैं महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से बिना किसी देरी के इन आरोपों की व्यापक और निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह करता हूं।’ गौरतलब है कि 2013 बैच की आईएएस पूजा खेडकर अपनी नियुक्ति को लेकर भी विवादों में रही है।
नियुक्ति के बाद उनकी सेवा – नौकरी भी सिविल सेवा आचरण संहिता के विपरीत पाई गई है। इस सप्ताह वे फिर एक नए विवाद में फंस गईं, जब उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा। दरअसल, सिविल सेवा परीक्षा के दौरान पूजा ने दावा किया था कि वह मानसिक रूप से दिव्यांग हैं और उन्हें देखने में भी समस्या है, लेकिन हैरानी है कि बिना जांच के ही उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। इतना ही नहीं प्रोबेशन के समय अपने लिए घर, कार और कार्यालय जैसी मांगें भी की थी। इसे लेकर भी विवाद थामे नहीं थम रहा है।