लखनऊ / केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने देश के तमाम राज्यों के आईएएस अफसरों से उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा मांगा है | इस पर उत्तर प्रदेश के एक सैकड़ा से ज्यादा आईएएस अधिकारी अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा पेश करने में आनाकानी कर रहे है | राज्य के चीफ सेक्रेटरी को केंद्र सरकार की ओर से हिदायद भी दी गई है | इसमें आईएएस अफसरों के आईपीआर जल्द भेजने के लिए जोर दिया गया है | उधर अफसरों के नए नए बहानो से सरकार हैरत में है | उसने चेतावनी दी है कि अब ऐसे अफसरों की पदोन्नति रोकी जाएगी |
राज्य सरकार नियम बनाकर यह सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है कि क्यों ना आईपीआर को पदोन्नति से जोड़ा जाये | मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने न्यूज़ टुडे से कहा कि पदोन्नति के समय एसीआर की अनिवार्यता की व्यवस्था पहले से है। उस पर अमल किया गया है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए आईपीआर दाखिल करना अनिवार्य है। उनके मुताबिक भविष्य में पदोन्नतियों में इसका भी संज्ञान लिया जाएगा। उधर आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा देकर नियमों का पालन किया है | अब ये अफसर आईएएस अफसरों को भी आईना दिखा रहे है |
केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए प्रति वर्ष अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य किया है। इसमें उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त संपत्ति, स्वयं से अर्जित संपत्ति या परिवार के किसी सदस्य या अन्य के लिए ली गई संपत्ति का ब्योरा देना होता है।
प्रावधान है कि यदि ऑनलाइन आईपीआर दाखिल न किया गया तो संबंधित को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए ‘इम्पैनल’ नहीं किया जाएगा | यही नहीं ऐसे अफसरों को विजिलेंस क्लीयरेंस भी नहीं दी जाएगी। इसके बावजूद प्रदेश के लगभग एक सैकड़ा आईएएस अधिकारियों ने आईपीआर नहीं जमा किया है | बताया गया कि 2018 के लिए 78 और 2019 के लिए 68 अफसरों ने संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन नहीं जमा किया है | यही नहीं ये अफसर दोनों वर्ष का ब्योरा देने में आनाकानी कर रहे है | केंद्र ने प्रदेश सरकार को इस स्थिति से कड़ाई से निपटने की सलाह दी है |
शासन के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने न्यूज़ टुडे को बताया कि प्रदेश सरकार ने आईपीआर दाखिल न करने की प्रवृत्ति को बेहद गंभीरता से लिया है। इस बार वार्षिक मूल्यांकन प्रविष्टि (एसीआर) तय सीमा तक न होने पर कई अफसरों की पदोन्नति स्थगित कर दी गई। उन्होंने बताया कि अब पदोन्नति के समय आईपीआर का भी संज्ञान लेने पर विचार हो रहा है। उनके मुताबिक इससे आईपीआर दाखिल न करने वाले अफसरों की पदोन्नति अटक जाएगी।
उधर आईपीआर दाखिल न करने के कई कारण और बहाने गिनाए जा रहे है | दरअसल नियमों में सिर्फ केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के इम्पैनलमेंट के लिए आईपीआर अनिवार्य है। पदोन्नति पर इसका असर नहीं पड़ता। जिन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाना होता है, वे रुचि नहीं लेते। कई अधिकारी यह बहाना बनाते हैं कि आईपीआर भरने की अवधि में शासकीय कार्य से व्यस्त थे, ऑफलाइन भेजा गया है। कई यह कहकर बचने की कोशिश करते हैं कि पूर्व में दाखिल आईपीआर के बाद उनकी संपत्ति बढ़ी ही नहीं।