
IAF ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सरकार-से-सरकार समझौता प्रस्तावित किया
भारतीय वायुसेना (IAF) ने फ्रांस से अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सरकार-से-सरकार (G2G) समझौते का प्रस्ताव रखा है। यह कदम लंबित मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) परियोजना के तहत उठाया जा रहा है, जिसमें अधिकांश विमानों का निर्माण देश में विदेशी सहयोग से होगा। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अगले एक-दो महीने में IAF इस परियोजना के लिए ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ (AoN) का प्रस्ताव रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के सामने रखेगा।
MRFA परियोजना और राफेल की जरूरत
MRFA परियोजना पिछले सात-आठ वर्षों से अटकी हुई है और इसकी शुरुआती लागत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये थी। वर्तमान में IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जो मिग-21 विमानों की सेवानिवृत्ति के बाद घटकर 29 रह जाएंगे। आवश्यक 42.5 स्क्वाड्रन की तुलना में यह संख्या काफी कम है। इसी कारण से IAF ने तत्काल राफेल विमानों की जरूरत जताई है।
ऑपरेशन सिंदूर और रणनीतिक महत्व
तीन महीने पहले पाकिस्तान के साथ हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों ने लंबी दूरी के हमलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान ने कुछ विमानों के मार गिराए जाने का दावा किया था, जिसे भारत ने खारिज किया।
भविष्य की योजनाएं और तकनीकी समानता
IAF भविष्य में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की भी मांग कर रहा है, जिसमें रूस के सुखोई-57 और अमेरिका के F-35 विकल्प हो सकते हैं। सितंबर 2016 में भारत ने 36 राफेल विमानों की 59,000 करोड़ रुपये की डील की थी। नौसेना ने भी हाल ही में 26 राफेल-मरीन विमानों का ऑर्डर दिया है, जिससे प्लेटफॉर्म और उपकरणों में समानता बनी रहेगी।
रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी का प्रोत्साहन
एक उच्च स्तरीय समिति ने IAF की युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिए रोडमैप तैयार किया है, जिससे प्राइवेट क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम भारतीय रक्षा उद्योग के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।