दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप सट्टा घोटाले में सीबीआई की जांच ने जोर पकड़ लिया है। कई पुलिस अधिकारी विवेचना के दायरे में है। इसमें उन आईपीएस अधिकारियों की जांच-पड़ताल अंतिम पड़ाव में बतायी जाती है, जो खाकी वर्दी पहनने के बाद महादेव ऐप सट्टा के कारोबार में मशगूल थे। सट्टे पर प्रभावी कार्यवाही करने के बजाय पुलिस के एक तंत्र ने महादेव ऐप सट्टे कारोबार को क़ानूनी शक्ल दे दी थी। सीबीआई की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। इसमें कई दागियों की गिरफ्तारी के आसार भी जाहिर किये जा रहे है। आईपीएस अभिषेक पल्लव से पूछताछ के पहले दौर के ख़त्म होते ही महादेव घोटाले का असल सच सामने आ गया है।

सूत्र तस्दीक करते है कि अभिषेक पल्लव के हकीकत बयां करने के बाद घोटालेबाजों का असली चेहरा जल्द सामने आ सकता है।बतौर सरकारी गवाह अभिषेक पल्लव ने महादेव ऐप सट्टा घोटाले की पोल-खोल कर रख दी है।आलाधिकारियों की एक अलग लॉबी पुलिस तंत्र में इतनी प्रभावशील थी कि अवैध कारोबार पर लगाम लगाने वाले ईमानदार अफसरों को ठिकाने लगाने के लिए ‘ट्रांसफर, लाइन अटैच’ जैसे फरमान मौखिक ही सुना दिए जाते थे।

यही नहीं चंद घंटों के भीतर ठिकाने लगाए जाने के विधिवत आदेश भी हाथों में थमा दिए जाते थे। छत्तीसगढ़ में क़ानूनी शक्ल लेने के बाद महादेव ऐप सट्टे के कारोबार पर चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी। इस कारोबार से तत्कालीन मुख्यमंत्री पूरी तरह से वाकिफ और लाभार्थी करार दिए जा रहे है। सूत्र तस्दीक करते है कि वर्ष 2013 बैच के आईपीएस अभिषेक पल्लव महादेव ऐप घोटाले में बतौर सरकारी गवाह नामजद किये जा सकते है। हालांकि एजेंसियों की ओर से इस बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, विवेचना जारी बताई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक अभिषेक पल्लव के बयानों से महादेव ऐप घोटाले में पुलिस तंत्र की सहभागिता को लेकर कई बड़े खुलासे किये गए है। उनके बयानों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत अन्य 3 आईपीएस अधिकारी क्रमशः शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा और प्रशांत अग्रवाल की मुसीबतें बढ़ सकती है। अभिषेक पल्लव पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के गृह जिले दुर्ग में कई वर्षों तक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहे थे। राज्य में बीजेपी की सरकार के सत्ता में आने के बाद अभिषेक पल्लव को कवर्धा स्थानांतरित कर दिया गया था।



सीबीआई ने अभिषेक पल्लव से लंबी पूछताछ की है। सूत्र तस्दीक करते है कि घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक पुलिसकर्मी ‘भीम’ के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय उसे उपकृत करने के विशेष निर्देश तत्कालीन मुख्यमंत्री से प्राप्त हुए थे। बघेल के निदेशों के तहत ही अभिषेक पल्लव ने आरक्षक भीम को विशेष तवज्जो दी थी। भीम इन दिनों जेल की हवा खा रहा है। घोटाले की रकम ठिकाने लगाने और हवाला कारोबारियों के संपर्क में रह कर मनी लॉन्ड्रिंग के प्रकरणों में उससे पूछताछ की गई थी।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग में सबसे पहले महादेव ऐप सट्टा घोटाला उजागर होने के बाद बतौर पुलिस अधीक्षक प्राथमिक कार्यवाही अभिषेक पल्लव के मार्ग दर्शन में अंजाम दी गई थी। इस दौरान सामान्य धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर सैकड़ों सटोरियों को सस्ते में छोड़ दिया गया था। इलाके में मुनादी करके लोगों को सूचित किया गया था कि महादेव ऐप घोटाले में ईडी कार्यवाही कर सकती है, लिहाजा संबंधित सटोरिये स्थानीय थाने में उपस्थिति दर्ज कर जल्द से जल्द अपना प्रकरण निपटा ले।

जानकारों के मुताबिक सटोरियों की सार्वजनिक माफ़ी के मामले के जोर पकड़ने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल ने प्रभावी कार्यवाही का दावा करते हुए पुलिस की पीठ भी थप-थपाई थी। महादेव ऐप घोटाले का ऐपिक सेंटर भिलाई और चलित कार्यालय आईपीएस शेख आरिफ का वो मोबाइल नंबर मुख्य बताया जाता है, जो वे विशेष रूप से पुलिस तंत्र में इस्तेमाल कर रहे थे।
सूत्र यह भी बताते है कि महादेव ऐप समेत अन्य गैर-क़ानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख आनंद छाबड़ा ने 200 से अधिक मोबाइल सिम का उपयोग किया था। उनके स्टाफ में तैनात कई पुलिस कर्मियों एवं अज्ञात लोगों के नाम से ऐसे सिम कार्ड ख़रीदे गए थे। यही नहीं प्रदेश में ईडी की सक्रियता के मद्देनजर छाबड़ा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा के सरकारी आवासों में लगे CCTV फुटेज, कैमरे, DVR समेत कई महत्वपूर्ण रजिस्टर और दस्तावेज नष्ट किये थे।

इनकी सरकारी नियमों के तहत खरीदी की गई थी, लेकिन प्रदेश में अचानक सत्ता परिवर्तन होने के बाद तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख छाबड़ा ने सभी महत्वपूर्ण ठिकानों से सबूतों को नष्ट कर दिया था। इसमें मुख्यमंत्री बघेल का आधिकारिक निवास ‘मुख्यमंत्री आवास’ और भिलाई स्थित निजी आवास शामिल बताया जाता है। सूत्रों के मुताबिक घोटाले के सबूतों को नष्ट करने के लिए छाबड़ा ने अपने पद और प्रभाव का बेजा इस्तेमाल किया था।

सीबीआई की तफ्तीश में पुलिस तंत्र के दुरुपयोग और अधिकारियों की भूमिका को लेकर छानबीन गंभीर रुख ले चुकी है। बताया जाता है कि सटोरियों और पुलिस अफसरों का पूरा काला चिट्ठा एजेंसियों के पास उपलब्ध है। फ़िलहाल, एजेंसियों को सीबीआई की विशेष कोर्ट में न्यायधीश की उपस्थिति का इंतजार है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि अदालत का दरवाजा खुलते ही दागी आईपीएस अधिकारियों समेत कई सट्टा कारोबारी सीबीआई के हत्थे चढ़ सकते है।