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बेपनाह प्यार का एक तोहफा ऐसा भी! पत्नी की डिमांड पर इस शख्स ने भी बनवाया ताजमहल

बुरहानपुर। देश में आज भी ऐसे बहुत से लोग है जो अपने प्यार के खातिर कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो बड़ी मिसाल बन जाती है। जिसे लोग भूलकर भी भूल नहीं पाते है। ऐसे अनेकों लोग है जो प्यार में बड़े-बड़े वादे करते हैं। यहां तक कि अपने पार्टनर को खुश करने के लिए चांद-तारे तक तोड़ लाने की भी बात करते हैं। कुछ आशिक तो जान देने को भी तैयार हो जाते हैं, लेकिन एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए कुछ ऐसा किया जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है।

पत्नी को दिया प्यार का तोहफा
ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में देखने को मिला है, जहां शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी मंजूषा चौकसे को तोहफे में ताजमहल बनाकर दे दिया। ये ताजमहल हूबहू आगरा के ताजमहल जैसा है। आप भी यहां बने ताजमहल को देख हैरान हो जाओगे। इसे देख आप आगरा का ताजमहल ही समझ बैठोगे। खास बात ये है कि बुरहानपुर में ही मुमताज की याद में शाहजहां ताजमहल बनाना चाहते थे, लेकिन यहां की मिट्टी में दीमक होने से शाहजहां को आगरा में ताजमहल बनवाना पड़ा था। बुरहानपुर में शाहजहां नहीं कर पाया वो इस शहर के शख्स ने अपनी पत्नी के लिए कर दिया है। ताजमहल जैसा ये घर इतना खूबसूरत की आप भी देखकर कहेंगे कि वाह- मोहब्बत हो तो ऐसी.. हूबहू आगरा जैसा दिखने वाला ये ताजमहल।

3 साल में बनकर हुआ तैयार
3 साल में बनकर तैयार हुआ है 4 बेडरूम वाले इस घर को आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी मंजूषा को तोहफे में दिया है। इसमें एक बड़ा हॉल, 2 बेडरूम नीचे और 2 बेडरूम ऊपर हैं। इसके अलावा किचन, लाइब्रेरी और मेडिटेशन रूम भी है। हालांकि ये महल बनाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि इसमें कई दिक्कतें सामने आई। इस घर को बनाने के लिए पहले आनंद चौकसे अपनी पत्नी के साथ ताजमहल देखने आगरा पहुंचे। फिर वहां जाकर उन्होंने इंजीनियरों के साथ मिलकर बारीकी से ताजमहल का अध्यन किया। इसके बाद आनंद प्रकाश चौकसे ने ये घर बनाने की जिम्मेदारी कंसलटिंग इंजीनियर प्रवीण चौकसे को सौंपी। इस घर का क्षेत्रफल 90X90 का है। बेसिक स्ट्रक्चर 60X60 का है, जबकि गुंबद 29 फीट ऊंची है।

इस वजह से आगरा में बना दुनिया का पहला ताजमहज
घर की नक्काशी करने के लिए बंगाल और इंदौर के कारीगरों को बुलाया गया था, वहीं घर की फ्लोरिंग राजस्थान के मकराना के कारीगरों ने की है। फर्नीचर सूरत और मुंबई के कारीगरों ने तैयार किए हैं। आगरा के कारीगरों की भी मदद ली गई। ऐसे करते हुए ये पूरा ताजमहल तैयार हुआ है। बहुत कम लोगों की इस बात की जानकारी होगी कि आगरा का ताजमहल बुरहानपुर में बनने वाला था, लेकिन शहर की मिट्टी में दीमक नहीं होती तो ताजमहल आज आगरा की यमुना किनारे की बजाय बुरहानपुर में ताप्ती किनारे होता। ताप्ती किनारे की मिट्टी में दीमक के खतरे को भांपकर मुगल सम्राट शाहजहां ने यमुना का तट चुना था। दीमक के कारण यहां ताजमहल का आधार बनना नामुमकिन था। आगरा में रेत-मिट्टी खोदकर शीशम और सागौन की लकडि़यों से बेस बनाकर भव्य ताजमहल की 110 पिलरों पर आधारशिला रखी थी।

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