रायपुर :”हम दो, हमारे दो” छत्तीसगढ़ को भाड़ में जाने दो, जैसा नारा बुलंद करने वाले राजनैतिक दंपत्ति का मामला अब अदालत तक जा पहुंचा है। एक याचिका में अदालत का ध्यान इस ओर दिलाते हुए जुड़वाँ बच्चों की दावेदारी करने वाले सभी पक्षों की DNA टेस्ट की मांग की गई है। इसमें प्रमुख रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल और सौम्या चौरसिया के पति की भूमिका की भी पड़ताल की बात कही गई है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में इन दिनों SIR की प्रकिया जोरों पर है। ऐसे समय में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत उनके करीबियों के कब्जे में निवासरत दो जुड़वाँ बच्चों के “जेनेटिक” माता- पिता की पहचान का मुद्दा ख़ूब सुर्खियां बटोर रहा है।

तस्वीरों में नजर आ रहे, ये दो जुडवा बच्चे भविष्य में देश के नागरिक बनेंगे। ऐसे में उनके नैसर्गिक माता- पिता की पहचान जरुरी बताई जाती है। यह भी बताया जाता है,कि राजनैतिक और प्रशासनिक रसूख के चलते जुड़वाँ बच्चों के आधार कार्ड भी बनाये गए है, इसमें फर्जी जानकारी देकर बच्चो के माता पिता का नाम दर्ज कराया गया है। जानकार तस्दीक करते है,कि प्यार की निशानी कायम करने के लिए इन बच्चो की आधारशिला रखी गई थी। लेकिन अब असलियत सामने आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल इन बच्चो के वैधानिक माता-पिता की पहचान को लेकर चुप्पी साधे हुए है। जबकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर ही उनकी उप सचिव को ये जुड़वाँ बच्चे एक विशेष भेंट के दौरान प्राप्त हुए थे। यह भी बताया जाता है,कि एक पीड़ित शख्स ने पुख्ता दावा किया है,कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए ये अनोखे बच्चे हासिल किए है। इनमें “1 नग लड़का और 1 नग लड़की “शामिल बताये जाते है। पीड़ित शख्स ने शासन – प्रशासन से स्वयं के अलावा सभी पक्षकारों क्रमशः बघेल, सौम्या और उसके पति के DNA टेस्ट की मांग की है।

उनके मुताबिक DNA मेल खाने पर बच्चे उनके नैसर्गिक माता- पिता के हवाले किए जाये ? अन्यथा इनकी जप्ती कर महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत संचालित ( आंगनबाड़ी ) बाल रख-रखाव केंद्र अथवा चाइल्ड केयर सेंटर को सौंपा जाये। उनके मुताबिक कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान शराब और महादेव एप्प सट्टा घोटाले की दर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने निःसंतान दंपत्तियों को अवैधानिक रूप से माँ बनाने का उपक्रम भी खोल रखा था। अब ये बच्चें लगभग 7 साल के हो चुके है, और अपने जेनेटिक माता- पिता से कोसों दूर है। उन्हें प्रभावशील राजनैतिक दंपति ने अपने कब्जे में ले रखा है।

जानकारी के मुताबिक सौम्या चौरसिया ने रायपुर के शंकर नगर और समता कॉलोनी स्थित चर्चित प्राइवेट मेटरनिटी होम में विशेषज्ञ डॉक्टरों की देख- रेख में किसी अज्ञात महिला का प्रसव कराया था। इन बच्चो को किस महिला ने जन्म दिया था ? इसका अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। यह भी बताया जाता है,कि वर्ष 2018 और 2019 में प्रदेश के कई थानों में बच्चों की गुमशुदगी के दर्जनों मामले भी दर्ज किए गए थे। लेकिन राजनैतिक और प्रशासनिक रसूख के चलते इस दंपत्ति के कब्जे में आये इन बच्चों की वैधानिकता को लेकर कोई जाँच पड़ताल नहीं की गई थी।एक जानकारी के मुताबिक इस दौर में तंत्र – मंत्र और गैर कानूनी कुकृत्यों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल और उनकी पसंदीदा उपसचिव का भौकाल देखते ही बनता था। जानकारी के मुताबिक 45 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया इस दौरान ना तो गर्भवती हुई थी और ना ही इन बच्चों को गोद लेने अथवा प्रजनन के वैधानिक तौर तरीको को लेकर सरकारी सेवा होने के नाते उनके द्वारा शासन – प्रशासन से कोई अनुमति ली गई थी। यह भी तथ्य सामने आया है,कि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी अस्पातल में प्रसव को लेकर सौम्या के भर्ती होने एवं इलाज संबंधी कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। ऐसे में ये बच्चें आसमान से गिरे या फिर प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुए ? इसका कोई हवाला भी दर्ज नहीं है।


जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने पाटन विधानसभा क्षेत्र की तत्कालीन तहसीलदार सौम्या चौरसिया को मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव के पद पर नियुक्ति दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर उच्चाधिकारियों ने मंत्रालय के बजाये सौम्या चौरसिया की सेवाएं कार्यालय मुख्यमंत्री आवास को सौंप दी थी। बताते है कि सौम्या ने यहाँ कार्यालीन समय के साथ – साथ 24×7 डेरा डाल लिया था। उसकी गैरकानूनी गतिविधियों से पूर्व मुख्यमंत्री के परिजनों से लेकर कई अधिकारी त्रस्त बताये जाते थे। जबकि बघेल के विशेष सरंक्षण और वरदहस्त के कारण सौम्या ने सामान्य शिष्टाचार से लेकर सिविल सेवा आचरण संहिता की धज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उसकी मनमानी से कांग्रेस सरकार तेजी से जनाधार खोने लगी थी। जानकारों के मुताबिक इन जुड़वाँ बच्चो की प्राप्ति के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल सौम्या के उंगलियों पर ”नाचने” लगे थे।

अंदेशा जाहिर किया जा रहा था कि सौम्या ने बघेल की दुखती ”रग” अपने हाथों में थाम ली है। यह वाकया उस समय सच साबित हुआ जब पूर्व मुख्यमंत्री की एक पुत्री की जान पर बन आई थी, उसे गंभीर परिस्थितियों में एयरलिफ्ट कर दिल्ली के मेदांता अस्पताल में दाखिल कराया गया था। सत्ता के गलियारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री के परिजनों और सौम्या के बीच जमकर वाद – विवाद और मारपीट भी हुई थी। इससे आहत एक क़रीबी परिजन ने जहर का सेवन कर लिया था। हालांकि यह भी बताया जाता है कि मामले के सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के खेमे ने फेस सेविंग करते हुए घटनाक्रम की जाँच कराने के बजाए मामला ही रफा – दफा कर दिया था। बघेल और सौम्या की जुगलबंदी से प्रदेश में एक से बढ़कर एक दर्जनों घोटाले सामने आए है। इन मामलो की जाँच सीबीआई, आईटी – ईडी समेत ACB – EOW जैसी एजेंसियां कर रही है।

ND तिवारी बनाम भू – पे बघेल
उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और राजनीति के महारथी स्वर्गीय ND तिवारी कांग्रेस की राजनीति में आज भी प्रासंगिक बताये जाते है। पार्टी में उनके पद चिन्हों पर चलने वाले नेताओं की आज भी कोई कमी नहीं बताई जाती है। राजनीति के जानकार तस्दीक करते है कि मौजूदा दौर में भू – पे नन्द लाल बघेल इस परंपरा के महत्वपूर्ण घटक बन गए है। वे छत्तीसगढ़ में इस परंपरा के मुख्य पुरोधा के रूप में जाने – पहचाने जाते है, ND तिवारी की तर्ज पर उनकी राजनीति के चर्चे आम है। राजनीति के पंडितो की माने तो स्वर्गीय तिवारी के आदर्शो पर कदम बढ़ा रहे उनके परम शिष्य ”श्रीमान” जी भी ”बिन फ़ेरे हम तेरे” की राह में थे। लेकिन इन जुड़वाँ बच्चो ने अब उनकी राह मुश्किल कर दी है। प्रदेश की आम जनता को विश्वास में लेने के लिए कांग्रेस पर भी बघेल के DNA टेस्ट कराये जाने का दबाव लगातार बढ़ते जा रहा है।

मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ तत्कालीन सरकारी मुलाजिम को अनोखे तरीके से ” माँ ” बनाने की भू – पे तकनीक चर्चा में है। दलील दी जा रही है कि बघेल की इस रहस्मय शक्ति से सिर्फ सौम्या ही क्यों ? जनहित में सैकड़ो निःसंतान दम्पत्तियों के घर – आँगन में किलकारियां गूंज सकेगी, बिना प्रसवपीड़ा और गर्भ धारण के अधेड़ उम्र की महिलाओं को मातृत्व सुख प्रदान करने की बघेल की शक्ति क्रन्तिकारी बताई जाती है। मेडिकल विज्ञान में इस तकनीक का कोई हवाला नहीं मिलता।

अलबत्ता अब तक लोग सुनते आये है,कि महाभारत कालीन युग में ऐसी ही दिव्य शक्ति से कुंती को सूर्य से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। दिव्य शक्ति से एक नन्हा बालक कुंती की गोद में आ समाया था। जानकारों के मुताबिक, ऐसा ही चमत्कार छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अपने आधिकारिक निवास पर दिखा चुके है। मानों या ना मानों की तर्ज पर भू – पे सौम्या प्रसंग अभी भी अपने भीतर कई रहस्यों को समेटे हुए है। लेकिन अब इसकी गूंज अदालत में भी सुनाई देने लगी है।
