
(रायपुर/दिल्ली, कोरबा) – छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला प्रदेश में ब्लैक मनी का बड़ा हब बन गया है। राज्य के कई बड़े घोटालों के अवशेष यहाँ बिखरे पड़े हैं। ये और बात है कि केंद्र और राज्य की महत्वपूर्ण जांच एजेंसियों ने अपनी नज़रें इस इलाके से फेर रखी हैं। दिलचस्प बात यह है कि देखते ही देखते चंद महीनों में नई-नई धन-दौलत कमाने वाले कई उद्योगपति और कारोबारी IT-ED की नज़रों में धूल झोंकते हुए बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी और ‘वन टू का फोर, फोर टू का वन’ जैसे नुस्खे आज़माने के चलते सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। इनके कारोबार की प्रगति ने कई नामी-गिरामी कंपनियों की आर्थिक समृद्धि को पीछे छोड़ दिया है। IT विभाग को असलियत से परे रखकर ये कारोबारी अपनी आय-व्यय का जो ब्योरा पेश कर रहे हैं, वो दाँतों तले उंगली दबाने जैसा बताया जा रहा है। सोना उगल रही कोरबा की धरती पर बड़े पैमाने पर लहलहा रही भ्रष्टाचार की फसल देखकर देश-विदेश के कई नामचीन आर्थिक सलाहकार भी हैरत में हैं। यहाँ के कई उद्योगपति और कारोबारियों ने कमाई के मामले में रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े पार कर लिए हैं। यह रकम कब और कैसे आई? लाभांश के नाम पर नोटों की बारिश का मामला उच्च स्तरीय जांच के दायरे में बताया जा रहा है।

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यह भी बताया जा रहा है कि कोरबा की काली कमाई से प्रदेश के कई जिलों में रियल एस्टेट कारोबार बूम कर रहा है। यहाँ नए-नवेले निवेशक रोज़ाना करोड़ों का निवेश कर रहे हैं। इस निवेश और आय के स्रोतों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। एक शिकायत के मुताबिक, विभिन्न घोटालेबाज़ों ने जांच एजेंसियों की निगाह से बचते हुए कोरबा जिले में बड़े पैमाने पर बेनामी निवेश किया है, यह रकम सरकारी तिजोरी से सम्बद्ध बताई जा रही है। शिकायत में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही कोरबा जिले में कई संदेहास्पद कारोबारी सक्रिय हुए थे। उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के कार्यकाल में कोरबा स्थित विभिन्न कंपनियों में आपूर्तिकर्ता और ठेकेदार के रूप में नियुक्त ये बाहुबली अब इलाके के धन्ना सेठों के रूप में जाने-पहचाने जाने लगे हैं। उनकी कमाई ही नहीं, गतिविधियाँ भी संदेहास्पद बताई जा रही हैं।

छत्तीसगढ़ के कोरबा में ब्लैक एंड वाइट मनी राजनीतिक और कारोबारी वर्ग में ‘गेम चेंजर’ साबित हो रही है। यहाँ स्थित ब्लैक मनी का भंडार राजनेताओं, उद्योगपतियों और कारोबारियों से लेकर नौकरशाही के कई स्तरों तक फैला बताया जा रहा है। ताज़ा मामला उस मिस्टर इन्डा का बताया जा रहा है, जिनकी धन-दौलत अभी नई-नई है। यह भी बताया जा रहा है कि मिस्टर इन्डा अपने कारोबार की नंबर दो की रकम का हिसाब-किताब पूरी शिद्दत से नंबर एक में बयां कर रहे हैं। लेकिन आय के स्रोतों के घालमेल का सीधा कनेक्शन कई बड़े घोटालों से बताया जा रहा है। शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इन्डा एंड कंपनी के IT रिटर्न चौंकाने वाले हैं। इसमें उस मोटी रकम का घालमेल भी शामिल बताया जा रहा है, जो पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की खासमखास और तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया की अवैध संपत्ति से जोड़ कर दर्ज की गई है। बताया जाता है कि सौम्या चौरसिया ने कोरबा में करोड़ों का बेनामी निवेश किया था। यह रकम राजस्थान निवासी कारोबारियों के नाम पर किया गया था।

कोरबा में कई नामचीन घोटालेबाज़ों की करोड़ों की ब्लैक मनी और अभी भी जारी कारोबार सालाना करोड़ों में आँका जा रहा है। हैरान करने वाली बात यह बताई जा रही है कि कांग्रेस शासन के मात्र पाँच वर्ष के कार्यकाल में इन्डा और उसके नाते-रिश्तेदारों के नाम पर कोरबा समेत प्रदेश के कई जिलों में ब्लैक मनी का साम्राज्य फैला दिया गया है। ब्लैक मनी का यह कारोबार साल दर साल वाइट मनी का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन कर रहा है। बेनामी कारोबार आर्थिक समृद्धि की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। उसके लाभांश का प्रतिशत उफान पर है। इसके ज़रिये ब्लैक मनी से वाइट मनी में तब्दील करने वाले नए उपक्रम भी प्रगति पर बताए जा रहे हैं। आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक, कोरबा अंचल के कतिपय चिन्हित कारोबारियों की फर्मों-व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने अडानी-अंबानी और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भी कहीं पीछे छोड़ दिया है। बीते 5 वर्षों में उनकी प्रगति का ग्राफ नई धन संपदा अर्जित करने और छप्पर फाड़ कर कमाई करने वाला साबित हुआ है। कोरबा के कारोबारी और सियासी बाजार में सौम्या चौरसिया की धमक एक बार फिर सुनाई देने लगी है। इसके साथ ही, हालिया उभर कर आए नए कारोबारी मिस्टर इन्डा भी चर्चा में हैं। कोल परिवहन और कई ठेकों में उनकी हनक सुनाई देने लगी है। कोरबा में इस कारोबारी का ब्लैक मनी का साम्राज्य जांच के घेरे में बताया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के कोरबा में कोयले की भारी-भरकम चोरी और अवैध परिवहन ने एक नए माफिया राज को जन्म दे दिया है। इन दिनों कोरबा जिला प्रदेश के बाहुबलियों का नया गढ़ बन गया है। देश के कई राज्यों से आने वाले कामगार माफिया राज में अपनी जड़ें जमा रहे हैं। कोयले की कमाई से ओतप्रोत बाहुबलियों ने ब्लैक मनी का नया कारोबार खड़ा कर यहाँ की अर्थव्यवस्था को नई चुनौती पेश की है। इलाके के लोग तस्दीक कर रहे हैं कि भूपेश सरकार के बाद मौजूदा सत्ताधारी दल के कई स्थानीय नेता इस बेनामी कारोबार के हितग्राही बन गए हैं। उनके मुताबिक, कागज़ी कारोबार और काला धन कोरबा की नई पहचान बन गया है। कई नामचीन उद्योगपति और कारोबारी बाहरी राज्यों से कोरबा आने वाले कामगारों की पहचान सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। उनके मुताबिक, हालिया सुर्ख़ियों में आए कई नए कारोबारी और उनका व्यवसाय न केवल संदेहास्पद है, बल्कि उनके कारोबार में शामिल सदस्यों की पहचान भी सवालों के घेरे में है। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश के कई बड़े कारोबारियों ने कोरबा को अपना व्यावसायिक ठिकाना बना लिया है। उनका ब्लैक मनी का कारोबार दिनों-दिन अपनी जड़ें जमा रहा है। शिकायत में IT-ED से कई संदेही फर्मों और प्रतिष्ठानों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।
