Holika Dahan 2025: होलिका दहन में भद्रा दोष, सिर्फ 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त! कर लें इस विधि से पूजा

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Holika Dahan 2025: होलिका दहन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसके अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। वर्ष 2025 में, होलिका दहन 13 मार्च को निर्धारित है। हालांकि, इस वर्ष भद्रा दोष के कारण शुभ मुहूर्त केवल 1 घंटा 4 मिनट का ही रहेगा, जो मध्यरात्रि में होगा।

भद्रा दोष का महत्व:
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को अशुभ माना जाता है। भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस अवधि में किए गए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं या वे असफल हो सकते हैं। होलिका दहन के संदर्भ में, भद्रा काल में दहन करना वर्जित है, क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

2025 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:
वर्ष 2025 में, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे होगा और इसका समापन 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे होगा। इस अवधि में, भद्रा काल 13 मार्च की शाम 6:28 बजे तक रहेगा। अतः, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा, जो कुल 1 घंटा 4 मिनट की अवधि है।

होलिका दहन की विधि:

  • स्थान चयन: होलिका दहन के लिए एक उपयुक्त स्थान का चयन करें, जो साफ-सुथरा हो और आसपास कोई ज्वलनशील वस्तु न हो।
  • होलिका की स्थापना: चयनित स्थान पर लकड़ियों का ढेर बनाएं और उसके ऊपर गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पूजा सामग्री: रोली, मौली, अक्षत, फूल, नारियल, गुड़, कच्चा सूत, हल्दी, बताशे, नई फसल (जैसे गेहूं की बालियां), जल का पात्र आदि एकत्रित करें।

पूजन विधि:

  • सबसे पहले, भगवान गणेश का स्मरण करें और रोली, अक्षत चढ़ाएं।
  • होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा पर रोली, अक्षत, फूल चढ़ाएं।
  • कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटें।
  • नारियल, गुड़, बताशे, नई फसल की बालियां आदि होलिका में अर्पित करें।
  • जल का अर्घ्य दें और होलिका दहन की प्रार्थना करें।
  • होलिका दहन: शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन करें और परिक्रमा करते हुए लोकगीत गाएं एवं खुशियां मनाएं।

होलिका दहन से जुड़े नियम:

  • भद्रा काल में होलिका दहन से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है और इससे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा, बाधाएं और अशुभ फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
  • शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन करना चाहिए, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो, पारिवारिक सुख-शांति बनी रहे और सभी कार्यों में शुभ फल प्राप्त हो सके।
  • दहन के समय सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें, आग पर नियंत्रण बनाए रखें, अग्निशमन साधन पास रखें और विशेष रूप से बच्चों को आग के पास जाने से रोकें ताकि कोई दुर्घटना न हो।

होलिका दहन का पौराणिक महत्व:
होलिका दहन की कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी है। कहानी के अनुसार, प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे, लेकिन उनके पिता हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु के विरोधी थे। प्रह्लाद की भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को आग में जलाने का आदेश दिया। होलिका को वरदान था कि आग उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकती, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रभाव से होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहे। यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसे होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. NEWS TODAY इसकी पुष्टि नहीं करता है.)