दिल्ली: दिल्ली में टैटू के कई शौकीन इन दिनों HIV का इलाज करवा रहे है। इन लोगों ने आम बाजारों के साथ – साथ कभी मॉल और टैटू सेंटर में दस्तक देकर अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों में कलाकारी करवाई थी। यही कलाकारी अब गले की फांस बन गई है। उन्हें डॉक्टरों के चक्कर काटने पड़ रहे है। पीड़ितों में 20 से 30 वर्ष के नौजवान लड़के – लड़कियों की संख्या ज्यादा है। टैटू से एड्स फैलने की वजह जानकर आप भी हैरत में पड़ जायेंगे।
बताते है कि अभी तक लोगो ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था। लेकिन एड्स के बढ़ते मामलों के बीच कई पीड़ितों ने तस्दीक की है कि टैटू बनवाने के चंद दिनों बाद उन्हें वो लक्षण अपने शरीर में नजर आने लगे, जो आमतौर पर एड्स के मरीजों में पाए जाते है। मेडिकल टेस्ट के बाद ऐसे कई शौंकीन HIV का इलाज करवा रहे है। जब डॉक्टरों ने उनसे बातचीत की तो वे भी हैरान हो गए। टैटू बनवाने के चक्कर में एड्स की चपेट में आना, देशभर में विकराल रूप ले रहा है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली से सटे यूपी के 10 जिलों में फौरीतौर पर HIV के 40 ऐसे मामले सामने आए हैं, पीड़ित टैटू बनवाने के बाद HIV संक्रमित हुए हैं।पूर्वांचल के प्रयागराज होते हुए मामला आजमगढ़, मिर्जापुर और वाराणसी मण्डल तक फ़ैल गया है। बताते है कि दिल्ली, गाजियाबाद और नौएडा से लेकर यूपी के कई जिलों में टैटू ने कहर ढा दिया है। यहाँ 10 जिलों में 26 हजार से अधिक HIV संक्रमित मरीज मिले हैं। इसमें 50 फीसदी पीड़ित 20 से 45 वर्ष के बीच के है। इनमें 40 लोग ऐसे मिले हैं, जो टैटू बनवाने के बाद संक्रमित हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, 40 में से 26 लोग ऐसे मिले जिन्होंने सड़क किनारे टैटू बनवाया. वाराणसी में 26, आजमगढ़ में 12, सोनभद्र और मऊ में एक-एक लोग टैटू बनवाकर संक्रमित हो गए। उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों के मुताबिक, आमतौर पर मेडिकल में यूज होने वाले निडल में लोग काफी ध्यान देते हैं, लेकिन टैटू बनवाते वक़्त लोग निडल पर ध्यान नहीं देते हैं, इस वजह से एचआईवी की बीमारी के चपेट में आने का खतरा बना रहता है।
पीड़ितों और डॉक्टरों ने खुलासा करते हुए अपनी आपबीती सुनाई है। उनके मुताबिक कभी भी उन्होंने ऐसी वैसी जगह का रुख तक नहीं किया है। वे बताते है कि टैटू बनवाने के चक्कर में मुसीबत गले लग गई है। उन्होंने कारीगरों की नीडल पर ना तो ध्यान दिया और ना ही उसे बदलवाने में रूचि दिखाई थी। बताते है कि टैटू की सुई की कीमत लगभग 1500 से 2000 रुपये के बीच होती है, लेकिन चौक-चौराहे पर मात्र 150-200 रुपए में टैटू बनाए जाते हैं। सस्ते में टैटू बनवाने के चक्कर में ऐसे ठिकानों पर शौंकीनों की भारी भीड़ लगती है।
उधर कारीगर भी एक ही सुई से तमाम लोगो के शरीर में टैटू बनाते है। यही नहीं बेकार सुई का उपयोग भी भरपूर किया जाता है। ऐसे ठिकानों में नीडल की साफ – सफाई और उसे संक्रमण मुक्त रखने का कोई प्रयास भी नहीं किया जाता। नतीजतन पहले से ही संक्रमित कई मरीजों की वजह से ये बीमारी तेजी से फ़ैल रही है। कई मरीज और पर्यटक तस्दीक कर रहे है कि टैटू की सुई ने ही उन्हें संक्रमित कर दिया है।